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Showing posts from March, 2018

‘अंगे्रजो भारत छोड़ो’ में झौंक दी थी इस सेनानी ने अपनी जान और आजादी के लिए रचा था नया इतिहास

‘अंगे्रजो भारत छोड़ो’ में झौंक दी थी इस सेनानी ने अपनी जान और आजादी के लिए रचा था नया इतिहास संजय दीक्षित उत्तर प्रदेश के जिला हाथरस के कोतवाली सादाबाद जो पूर्व में जिला मथुरा में शामिल था, के गांव बिजाहरी के इस सपूत ने अंगे्रजों के छक्के छुड़ा दिए थे। 1904 के करीब जन्मे कृष्णदत्त पालीवाल ने देश की आजादी और अपनी स्वतंत्रता के लिए वह हर कदम उठाया जिससे मां भारती के इस लाल से गौरों के पसीने छूट गए थे। सन् 1934 में बिजाहरी के इस सपूत ने इतिहास रचा था। केंद्रीय असेंबली के लिए हुए चुनाव के कारण मथुरा जिले में एक नई जान फूंक दी थी। चुनाव में पं.ह्दयनरायण कुंजरू के विरुद्ध कांगे्रसी उम्मीदवार कृष्णदत्त पालीवाल की भारी बहुमत से विजय हुई थी। इसके बाद 1937 में हुए असेंबली चुनावों में भी कांगे्रस के तीनों उम्मीदवार पूर्ण बहुमत से विजयी हुए, जिसमें भी मुख्य भूमिका कृष्णदत्त पालीवाल की ही थी। इसका मुख्य कारण रहा था सरदार भल्लभभाई पटेल का मथुरा जिले में तूफानी दौरा और कृष्णदत्त पालीवाल की मेहतन का ही परिणाम था। 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन छिड़जाने पर मथुरा प्रदेश के करीब 300 देशभक्तों को...

दरियापुर के इस डॉक्टर ने देश के ऊपर कर दिया सबकुछ कुर्बान, आज के डॉक्टरों को सीखना चाहिए सबक

दरियापुर के इस डॉक्टर ने देश के ऊपर कर दिया सबकुछ कुर्बान, आज के डॉक्टरों को सीखना चाहिए सबक संजय दीक्षित वंदेमातरम ‘‘वेदी पर शीश चढ़ाएंगे, जालिम सरकार मिटाएंगे’’ छैलबिहारी दीक्षित ‘कंटक’ की यह पंक्तियां बरबस ही उस महान सेनानी की याद दिला देती है। जिसने लंदन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की विशेष उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया। वह महान व्यक्तित्व कोई और नहीं सर्वतोमुखी प्रतिभा के धनी डॉ.धनीराम ‘प्रेम’ थे। वह वक्त ही ऐसा था जब जलियांवाले बाग जैसे जघन्य कांड ने पूरे भारत को हिलाकर रख दिया था। कैसे जुड़े स्वतंत्रता आंदोलन सेः- यह उस वक्त की बात है जब अंग्रेज मानवीय संवेदनाओं को भूल गए थे। क्रांतिकारियों को अंडमान की नारकीय जेलों में भीषण यातनाएं दे रहे थे। उनको फांसी पर लटकाया जा रहा था। अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों से प्रभावित होकर यह महात्मागांधी के असहयोग आंदोलन में कूद पड़े और सक्रिय सेनानी की भूमिका में आ गए। क्रांतिकारियों चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराना और अंग्रजों के खिलाफ सक्रिय विरोध के चलते यह उनकी नजरों में चढ़गए। इसी के तहत डॉ.‘प्रेम’ की 1...

देश के प्रथम राष्ट्रपति को भारत रत्न भी नहीं विदेशी धरती पर बनाई थी स्वदेशी सरकार, अंग्रेजों को हिला कर रख दिया था हाथरस के राजा ने

श्री गणेशाय नमः राजा महेंद्रप्रताप सिंह देश के प्रथम राष्ट्रपति को भारत रत्न भी नहीं विदेशी धरती पर बनाई थी स्वदेशी सरकार, अंग्रेजों को हिला कर रख दिया था हाथरस के राजा ने संजय दीक्षित जिसने देश की आजादी के लिए विदेश में बैठकर आजाद हिन्द सरकार बनाई। कई बार जीवन को देश के हितार्थ संकटों में डाला। पत्नी छोड़ी, परिवार छोड़ा और अपार कष्ट सहे। अफगान और जापान से आजाद हिन्द सेना बनाकर अंग्रेजों पर आक्रमण किए। उनके लोहे से थर्राए अंग्रेजों ने अपने हथियार डाले और देश का विभावन रूपी दंश दिया। अंग्रेजों को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। भले ही वह देश के खजाने को लूट कर ले गए, लेकिन मजबूरन ही सही भारत को अंग्रेजों ने छोड़ा और 15 अगस्त रूपी राष्ट्रीय पर्व मनाने का अधिकार मिला। दुखद यह है कि देश की आजादी के प्रमुख पंक्ति में आने वाली इस महान शख्सियत को राजनीतिक स्वार्थ परकता के चलते ‘‘भारत रत्न’’ जैसी उपाधी से भी नहीं नमाजा जा सका है। भले ही भारत में राजा महेंद्रपता सिंह को भारत रत्न की उपाधी नहीं मिल सकी हो, लेकिन राजा सहाब भारत के ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के नायाव हीरे हैं जिनको हम प्...

पड़ौसी की गंदगी, लेकिन नारकीय जीवन भोग रहे हैं पास के दा वृद्ध, शासन के पार्टल पर शिकायत के बाद समस्या का निस्तारण नहीं, ईओ ने कहा मामला मेरे संज्ञान में नहीं है

मेंडू (हाथरस) 29 मार्च। कस्बा मेंडू क्या है स्वच्छता का नाम खुद जाकर देखिए। सूत्र बताते हैं कि शौचालय के नाम पर एक मोहल्ला सुनारान में हजारों रुपये एंठलिए गए, लेकिन पड़ोसियों और राजगीरों को परौसी जा रही है तीक्ष्णगंद वाली बदबू जो दिल-ओ-दिमांग को भी झकझौर देती है। पीड़ित की शिकायत पर स्वयं क्षेत्राधिकारी भी कर चुके हैं निरीक्षण और दे चुके हैं सख्त हिदायत, लेकिन दबंगता की भी हद हे। कहावत यही सिद्ध होती है कि ‘‘नंग्ग बड़े पनवेश्वर से’’ जी ‘‘ना दान की दोस्ती और जी का जंजाल ’’ यह कहावत भी इन दिनों कस्बा मेंडू के मोहल्ला सुनारान में सिद्ध हो चली है। क्योंकि क्षेत्र के ही डॉ.किशनलाल वार्ष्णेय का आरोप है कि मोहल्ले में एक व्यक्ति ने सरकार की चल रही स्वच्छ भारत अभियान के तहत 8 हजार रुपये ले लिए और शौचालय भी नहीं बनवाया। जिससे मोहल्ले वालों को भी परौसी जा रही गंदगी, लोगों के लिए जी का जंजाल बन कर रह गई है। जिससे मानसिक, शारीरिक और सामाजिक हर प्रकार से पड़ोसियों खासकर क्षेत्र के सभ्रांत और शांत स्वभाव के पड़ोसी डॉ.किशनलाल को सबसे अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पीड़ित के मुताबिक पूर्व में...

मूंछों वाले रामजी के मेले में कलाकरों ने दिखाए पटाबनैटी के करतब, बच्चों ने खरीदे खेल-खिलौने

मूंछों वाले रामजी के मेले में कलाकरों ने दिखाए पटाबनैटी के करतब, बच्चों ने खरीदे खेल-खिलौने  संजय दीक्षित हाथरस 26 मार्च। दो दिवसीय तिमंजिला रथयात्रा महोत्सव के दूसरे दिन भी मूछों वाले रामजी के भव्य श्रृंगार दर्शन कराए गए और 136 वर्ष पुराने मेला में भी बच्चों ने जमकर धमाल मचाया। इस मौके पर खेल-तमाशे वालों ने भी जमकर मौके को फुराया। इस मौके पर पुलिस की व्यवस्था भी दुरुस्त नजर आई। कार्यक्रम की शुरूआत मंगला आरती के साथ हुई। इस मौके पर भगवान की चरणामृत प्रशादी का वितरण किया और इसके बाद सियाराम जी का अभिषेक-पूजन के बाद भव्यश्रृंगार के दर्शन करा गए। इस मौके पर लगाई गई प्रदर्शनी में बच्चों ने जमकर लुत्फ उठाया। शाम को श्रृंगार आरती के दर्शन कराए। इस मौके पर गमेल अखाड़े के कलाकारों ने पटाबनैटी के कुशल प्रदर्शन के साथ मौके पर मौजूद लोगों को अपनी ओर आकृर्षित किया। इस मौके पर रस्सी मेंं आग बांध कर जो कलाबाजियां दिखाई गई। जबकि भगवान श्री राघवेंद्र यानि मूछों वाले रामजी की सांध्यकालीन श्रृंगार आरती के साथ ही मौके पर पटाबनैटी की कलाबाजी कलाकारों ने दिखाना शुरू कर दिया। दूसरी ओर खाद्यय प...

बाग वाली मैया की बरसती कृपा का केंद्र बना मां बौहरे वाली देवी का भवन

बाग वाली मैया की बरसती कृपा का केंद्र बना मां बौहरे वाली देवी का भवन संजय दीक्षित आइए चमत्कार देखना है तो नमस्कार करने के लिए चले आइए मां बौहरे वाली देवी के दरबार में। हिन्दुस्तान की राजधानी दिल्ली से करीब 200 किलो मीटर की दूरी पर बसे ब्रज के द्वार हाथरस की पश्चिम दिशा में बना मां बौहरे वाली देवी का दरबार भक्तों की मुरादें  पूरी करता है। हाथरस की शान, पहचान व धर्म को धारण करने में अपना एक अलग ही स्थान रखता है मां बौहरे वाली देवी या तो कहें बाग वाली मैया की कृपा अपने भक्तों पर जरूर बरसती है, लेकिन उन पर जो पूर्ण श्रद्धा, समर्पण और उम्मीद के साथ उसके दरबार में पहुंचते हैं। ब्रज का द्वार कहे जाने वाले हाथरस नगर की एक अनूठी  पहचान के रूप में प्रसिद्ध हो रहे मां बौहरे वाली देवी (बाग वाली मैया) का दरबार इन दिनों पूरे जिले का ही नहीं आसपास के क्षेत्रों के लिए भी आस्था का केंद्र बना हुआ है। कहावत है कि चमत्कार को लोग  नमस्कार करते हैं, वह यहां पर देखने मिलता है। एक वक्त था जब शाम सात बजे वहां पर जाने से भी बच्चों को डर लगता था, लेकिन अब तो देर रात तक गुलजार रहने वाला मां...

136 वां इतिहास गढ़ने के लिए मूछों वाले रामजी की तिमंजिला रथयात्रा का बजा विगुल

136 वां इतिहास गढ़ने के लिए मूछों वाले रामजी की तिमंजिला रथयात्रा का बजा विगुल संजय दीक्षित ब्रजद्वार 25 मार्च। 1882 में ब्रजद्वार हाथरस के नगर सेठ द्वारा आरंभ की गई श्रीरामजन्म के उलक्ष्य में तिमंजिला रथयात्रा रविवार को अपने 136 वें इतिहास को गढ़ा। चामड़ गेट स्थित गमेल वाली (रथवाली) बगीची से बाग बैनीराम के लिए निकली मूछों वाले राम जी की तिमंजिला रथ को देखने के लिए भक्तों भीड़ उमड़ पड़ी उत्साह देखते ही बन रहा था। कैसे गढ़ा गया इतिहास और इसका रचेयता कौन था ? हाथरस में चैत्रीय नवरात्र की नवमीं तिथि को निकलने वाली श्रीरामजानकी तिमंजिला रथयात्रा का अपना एक अनुथ ही इतिहास है। इसके रचेयताओं में खासतौर से हाथरस के प्रसिद्ध और उदारवादी सेठ बैनीराम का नाम सामने आता है। उन्होंने यह इतिहास सन् 1882 में आध्यत्म के सुनहरे पन्नों में लिखा था। उनके दिमांग में इस रथयात्रा का स्वप्न वृंदावन से पनपा। बताते हैं, बात 1882 की है। सेठा बैनीराम सदैव की भांति वृंदावन में निकलने वाली श्री रंगनाथन जी महाराज की शोभायात्रा देखने गए थे। बताते हैं, सेठी की बुग्गी पर सवार सारथी ने जब वृंदावन के रास्तों से जब भीड़ म...