बाग वाली मैया की बरसती कृपा का केंद्र बना मां बौहरे वाली देवी का भवन
संजय दीक्षित
आइए चमत्कार देखना है तो नमस्कार करने के लिए चले आइए मां बौहरे वाली देवी के दरबार में। हिन्दुस्तान की राजधानी दिल्ली से करीब 200 किलो मीटर की दूरी पर बसे ब्रज के द्वार हाथरस की पश्चिम दिशा में बना मां बौहरे वाली देवी का दरबार भक्तों की मुरादें पूरी करता है।
हाथरस की शान, पहचान व धर्म को धारण करने में अपना एक अलग ही स्थान रखता है मां बौहरे वाली देवी या तो कहें बाग वाली मैया की कृपा अपने भक्तों पर जरूर बरसती है, लेकिन उन पर जो पूर्ण श्रद्धा, समर्पण और उम्मीद के साथ उसके दरबार में पहुंचते हैं। ब्रज का द्वार कहे जाने वाले हाथरस नगर की एक अनूठी पहचान के रूप में प्रसिद्ध हो रहे मां बौहरे वाली देवी (बाग वाली मैया) का दरबार इन दिनों पूरे जिले का ही नहीं आसपास के क्षेत्रों के लिए भी आस्था का केंद्र बना हुआ है। कहावत है कि चमत्कार को लोग नमस्कार करते हैं, वह यहां पर देखने मिलता है।
एक वक्त था जब शाम सात बजे वहां पर जाने से भी बच्चों को डर लगता था, लेकिन अब तो देर रात तक गुलजार रहने वाला मां का भवन पूरी तरह धर्म, आस्था और समरूपता का वह स्थान है, जहां से हर भक्त की झोली भरती है। बतादें कि आज से करीब चालीस वर्ष पूर्व कुछ चंद भक्तों का ही वहां पर जाना होता था, लेकिन सोमवार को तब भी वहां भक्तों की भीड़ रहती थी। समय बदला और मां की कृपा बरसी तो आज मुरसान गेट क्षेत्र के विकास में मां बौहरे वाली देवी का लगभग 90 प्रतिशत का योगदान है। मां का के भगवन का मुख्य द्वार मुरसान गेट की ओर खुलता है तो एक द्वार मथुरा रोड पर भी खुलता है। दोनों ही ओर मां की भरपूर कृपा बरसती है, लेकिन इसके भागी वही बन पाते हैं, जो मां की भक्ति में पूरी तरह डूबते हुए मां के भवन में पहुंचते हैं।
संजय दीक्षित
आइए चमत्कार देखना है तो नमस्कार करने के लिए चले आइए मां बौहरे वाली देवी के दरबार में। हिन्दुस्तान की राजधानी दिल्ली से करीब 200 किलो मीटर की दूरी पर बसे ब्रज के द्वार हाथरस की पश्चिम दिशा में बना मां बौहरे वाली देवी का दरबार भक्तों की मुरादें पूरी करता है।
हाथरस की शान, पहचान व धर्म को धारण करने में अपना एक अलग ही स्थान रखता है मां बौहरे वाली देवी या तो कहें बाग वाली मैया की कृपा अपने भक्तों पर जरूर बरसती है, लेकिन उन पर जो पूर्ण श्रद्धा, समर्पण और उम्मीद के साथ उसके दरबार में पहुंचते हैं। ब्रज का द्वार कहे जाने वाले हाथरस नगर की एक अनूठी पहचान के रूप में प्रसिद्ध हो रहे मां बौहरे वाली देवी (बाग वाली मैया) का दरबार इन दिनों पूरे जिले का ही नहीं आसपास के क्षेत्रों के लिए भी आस्था का केंद्र बना हुआ है। कहावत है कि चमत्कार को लोग नमस्कार करते हैं, वह यहां पर देखने मिलता है।
एक वक्त था जब शाम सात बजे वहां पर जाने से भी बच्चों को डर लगता था, लेकिन अब तो देर रात तक गुलजार रहने वाला मां का भवन पूरी तरह धर्म, आस्था और समरूपता का वह स्थान है, जहां से हर भक्त की झोली भरती है। बतादें कि आज से करीब चालीस वर्ष पूर्व कुछ चंद भक्तों का ही वहां पर जाना होता था, लेकिन सोमवार को तब भी वहां भक्तों की भीड़ रहती थी। समय बदला और मां की कृपा बरसी तो आज मुरसान गेट क्षेत्र के विकास में मां बौहरे वाली देवी का लगभग 90 प्रतिशत का योगदान है। मां का के भगवन का मुख्य द्वार मुरसान गेट की ओर खुलता है तो एक द्वार मथुरा रोड पर भी खुलता है। दोनों ही ओर मां की भरपूर कृपा बरसती है, लेकिन इसके भागी वही बन पाते हैं, जो मां की भक्ति में पूरी तरह डूबते हुए मां के भवन में पहुंचते हैं।

Comments
Post a Comment