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Showing posts from February, 2019

एक मार्च था शूरवीरता का दिन, गद्दारों ने पलट दी थी बाजी

एक मार्च पर विशेष................ एक मार्च था शूरवीरता का दिन, गद्दारों ने पलट दी थी बाजी -शरणागतों को नहीं त्यागा, राजा ने दिया अंग्रेजों को मुंह तोड़ जबाव हाथरस 01 March, 2019। सत्यनिष्ठा, कर्म निष्ठा और शरणगतों के रक्षकों के संबंध में जब-जब चर्चाएं होंगी तो हाथरस के राजा दयाराम सिंह ठेनुआं का नाम चर्मोत्सकर्ष पर होगा। क्योंकि इतिहास के पन्नों में दबी कुछ सच्चाइयों को कुरेंदे तो फिर से गद्दारों की गद्दारी से मन व्यतिथ होता है तो शूरता, वीरता और कर्मनिष्ठता की त्रिवैणी के दर्शन भी राजा दयाराम के रूप में होते हैं। राजा दयाराम का अंग्रेजों से युद्ध के इतिहास में 01 मार्च, 1817 एक अंतिम दिन के रूप में दिखाई देता है। प्रजातंत्र के हितैषी और गरीब, मजलूम व शरण में आए की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहने वाले राजा दयाराम सिंह ठेनुआ की कुशल शासन नीति और हाथरस राज्य की बड़ती शाख को अंग्रेजी राजा दयाराम सिंह ठेनुआ के किले का मुख्य द्वार रहे गेट का फाइल चित्र हुकूमत पचा नहीं पा रही थी। अंत में वर्ष 1806 में इस्टइंडिया कंपनी के शासकों ने राजा दयाराम पर अंग्रेजी शासन के विरूद्ध कार्य क...

202 वर्ष पूर्व 28 फरवरी को अंग्रेजी सेनाओं को दी थी हाथरस ने शिकस्त

202 वर्ष पूर्व 28 फरवरी को अंग्रेजी सेनाओं को दी थी हाथरस ने शिकस्त  28 फरवरी भी याद दिलाती रहेगी हाथरस को गद्दारी गर्ज संजय दीक्षित                                                                                                 फोटो संकलनः-संतोष वार्ष्णेय हाथरस 28 February। हाथरस के साथ हुई गद्दरी के बाद भी हाथरस की सेना ने अंग्रेजों के हाथ पांव फला कर दख दिए थे। अलीगढ़ गजीटीयर में करीब 10-11 दिन तक चली अंग्रेजी और हाथरस की सेनाओं के बीच हुई भयंकर गोलावारी हाथरस के वीर सपूतों की गाथाओं के प्रसंग को इतिहास में उकेरती है। अंग्रेजों द्वारा दो वर्ष पूर्व सासनी से चलाए बारूदी गोलों में से बचा एक धरोहर के रूप में फरवरी का महीना था और वर्ष था 1817 का। अंग्रेजी जनरल मार्शल के नेतृत्व में हाथरस के किला राजा दयाराम को चारों ओर से घेर...

मन न माने मर्मता, दोष कर्म को होय, लक्ष्य साध कर चलो

मन न माने मर्मता, दोष कर्म को होय, लक्ष्य साध कर चलो  ब्रजदर्शन 28 February । हम जो देखते हैं क्या वह सही है। इसके लिए उस विषय की मार्मिकता समझनी चाहिए। सावधानी बरतने की आवश्यकता है। चिंतनीय बात यह है कि दुनिया क्या कर रही है। हमें क्या करना चाहिए इस संबंध में हमको विचार करना चाहिए। आइए चलते एक कहानी की ओर जिस विद्वान ने इसको गढ़ा है वाकई वह सम्माननीय हैं। आइए पढ़ते हैं कहानी। यह मूंछों वाले रामजी के दर्शन हैं। जो यूपी के जिला हाथरस के चावड़ गेट स्थित मंदिर में बिराजित हैं।  जिनकी राम नवमी पर तिमंजिला रथयात्रा में एक शोभायात्रा निकाली जाती है। एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी ! इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ? तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है ! कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं ! इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने...

वृत करता है विकारों को दूरःगिरीश

वृत करता है विकारों को दूरःगिरीश -बसंत पंचमी के मौके पर मनाई गई मां शारदे की जन्मजयंती विनोद बिहार स्थित मां गायत्री के मंदिर में मां के मनोहारी श्रृंगार दर्शन हाथरस। विद्यावर दायनी मां शारदेय व गुरुवर श्री श्रीराम आचार्य जी की जन्मजयंती में श्रद्धा, भाव और आस्था की त्रिवैणी में भक्तों नें जमकर डुबकी लगाई। इस मौके पर प्रवचनों में मां गायत्री के मंत्र की महिमा बताई तो तमाम अनुष्ठानों के बाद प्रसादी के पात्र बने श्रद्धलुओं ने पुण्य के महात्तम में भी गोता लगाया। जबकि इस मौके पर मुख्य रूप से भाजपा महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष अपनी नगर व जिले की टीम के साथ मौजूद रहीं। साथ ही सरकार की देश हित में की जा रही व्यवस्थाओं का बखान किया। अवसर था मां शारदेय की जन्मजयंती का। बसंत पंचमी के विनोद बिहार स्थित मां गायत्री के मंदिर में आयोजित सरस्वती जन्मजयंती के मौके पर मौजूद श्रद्धालुजन इस महापर्व पर हाथरस की विनोद बिहार कॉलोनी में स्थापित मां गायत्री मंदिर में इस महापर्व को श्रद्धा, आस्था और समर्पण के भाव से मनाया गया। कार्यक्रम का आरंभ मां सरस्वती, गुरुवर श्रीराम आचार्य जी व माता...