202 वर्ष पूर्व 28 फरवरी को अंग्रेजी सेनाओं को दी थी हाथरस ने शिकस्त
28 फरवरी भी याद दिलाती रहेगी हाथरस को गद्दारी गर्ज
संजय दीक्षित फोटो संकलनः-संतोष वार्ष्णेय
हाथरस 28 February। हाथरस के साथ हुई गद्दरी के बाद भी हाथरस की सेना ने अंग्रेजों के हाथ पांव फला कर
दख दिए थे। अलीगढ़ गजीटीयर में करीब 10-11 दिन तक चली अंग्रेजी और हाथरस की सेनाओं के बीच हुई भयंकर गोलावारी हाथरस के वीर सपूतों की गाथाओं के प्रसंग को इतिहास में उकेरती है।![]() |
| अंग्रेजों द्वारा दो वर्ष पूर्व सासनी से चलाए बारूदी गोलों में से बचा एक धरोहर के रूप में |
फरवरी का महीना था और वर्ष था 1817 का। अंग्रेजी जनरल मार्शल के नेतृत्व में हाथरस के किला राजा दयाराम को चारों ओर से घेर रखा था। इस घेराबंदी के बाद अंग्रेजों ने राजा दयाराम को आत्मसमर्पण करने के लिए अपने एक सैनिक के माध्मय से प्रस्ताव भी भेजा था, लेकिन राजा दयाराम ने यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया था। जबकि दुर्भाग्य से मुरसान के राजा ने अंग्रेजों के समक्ष अपने हथियार डाल दिए थे। इधर, राजा दयाराम ने अपने इसका अंग्रेजों को करारा जबाव दिया था और अपने मजबूत तोप खाने के बदौलत अंग्रेजी सैनाओं को बहुत पीछे ढकले दिया था। सात दिनों तक जमकर हुई गोलावारी में अंग्रेजों के हाथ पांव फूल गए थे और मजबूरन उनको पीछे हटाना पड़ा था, लेकिन दुर्भाग्य बस कुछ देशद्रोही लालच वस अंग्रेजों से जा मिले थे।
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| Sanjay Dixit |
जिसके चलते 28 फरवरी को अंग्रेजों ने सुरंगपुरा गांव से बारूद की सुरंग बिछाने में सफलता हासिल कर ली। जिससे राजा दयाराम की किलेबंदी की सुरक्षा को अंग्रेज काफी हद तक छिन्न-भिन्न करने में सफल हो गए थे। इस दौरान राजा दयाराम ने कटरा खाली करा दिया था और लोगों को किले में ही शरण दी थी। हालांकि बताते हैं कि इस दौरान राजा के सिपहसालार काले खां अंगेजों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। हालांकि अब बारी थी अंग्रेजी सेना किले पर मार्चा संभाले, लेकिन किली की प्राचीरों और बुर्जों से शत्रुओं सेना पर भयंकर गोलावारी की गई। जिसके चलते अंग्रेजों के हाथपांव फूल गए थे। अंग्रेजी सेनाओं को मजबूरन पीछे हटाना पड़ा था और अपने विशेष तोप खाने का इस्तेमाल किया था। इस आक्रमण का अलीगढ़ गजीटीयर में भी प्रसंग आता है।



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