2 की हिंसा का जबाव 10 ने दिया, हालात यही रहे तो जल्द ही खत्म होगी आरक्षण की आड़ और फिर मिलेगा योग्यता को सम्मान अयोग्यता को भी मिलेगा भरपेट भोजन
2 की हिंसा का जबाव 10 ने दिया, हालात यही रहे तो जल्द ही खत्म होगी आरक्षण की आड़ और फिर मिलेगा योग्यता को सम्मान अयोग्यता को भी मिलेगा भरपेट भोजन
संजय दीक्षित
हाथरस 11 अपै्रल। आरक्षण की आग में जल रहे देश को मानो उस समय मरहम लगा था जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। मगर उस वक्त लोगों को झटका लगा जब 02 अपै्रल को उपद्रवी मानसिकता के लोगों ने कोर्ट के फैसले का विरोध कर डाला। इसी का परिणाम रहा 10 अपै्रल जो अपने आप में एक इतिहास बना गया।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा जी का जब फैसला आया तो देश से केवल आरक्षण का लाभ ले रहे लोगों, जिनको कर्तव्यों का भान नहीं था की जमीन निकल गई। यानि कहीं न कहीं अपनी लाभ लोलुपता को उन्होंने शायद पलीता लगता पाया। यही कारण रहा कि वह सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था जिसको के फैसले में हस्तक्षेप करने का शाहस कर बैठे। जिसका परिणाम में जन्म हुआ 10 अपै्रल जैसे सफल ऐतिहासिक बंद का। आधारशिला तो पहले ही रख गई थी, लेकिन जब परिणाम सामने आया तो हर कोई हतप्रद था। क्योंकि यह किसी नेतानगरी का निर्णय नहीं था। यह भारत की उस अवाम, जनताजनार्दन का निर्णय था जिस पर लोकतंत्र जमा हुआ है।
10 अपै्रल ने क्या संदेश दियाः-
10 अपै्रल चूंकि बुद्धजीवियों और सभ्य समाज के लोगों द्वारा लिया गया निर्णय था। इसलिए अहिंसा के दायरे में रहकर सुप्रीम कोर्ट जैसी सर्वोच्च सम्मानित संस्था के निर्णय को सपोर्ट किया और 02 अपै्रल यानि हिंसाइयों के उस मूर्खता को एक करारा जबाव साबित हुआ जिसकी उम्मीद ही नहीं थी, बल्कि पूर्व परिकल्पना की जा रही थी।
गांव-गांव और कस्बा-कस्बा से उठी आवाज आरक्षण अवसानः-
शहर में ही नहीं अपित् गांव-गांव और कस्बा-कस्बा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सैल्युट किया। यह दिखाया कि आज भी कितनी सहनसीलता है। दलितगीरी का दुरुपयोग कर रहे उन भेंड़ियों की हिंसा जिसमें 02 अपै्रल को अन्य के साथ एक मासूम ने भी जान गंवाई थी को, को करारा जबाव था 10 अपै्रल का शांतिपूर्ण बंद और अहिंसा के दायरे में पुलिस और प्रशासन के दिशा-निर्देश में अपनी मांग को माननीय राष्ट्रपति तक पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया है। जंग छेड़ी 02 अपै्रल ने थी, लेकिन परिणाम अहिंसा के रूप में 10 अपै्रल को मिला है। इससे यह उम्मीद जगी है कि निश्चित तौर पर जो बेजां आरक्षण दंश सर्वण युवादलित क्षेत्र रहे हैं, जल्द ही उससे शायद छुटकारा मिले।
संजय दीक्षित
हाथरस 11 अपै्रल। आरक्षण की आग में जल रहे देश को मानो उस समय मरहम लगा था जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। मगर उस वक्त लोगों को झटका लगा जब 02 अपै्रल को उपद्रवी मानसिकता के लोगों ने कोर्ट के फैसले का विरोध कर डाला। इसी का परिणाम रहा 10 अपै्रल जो अपने आप में एक इतिहास बना गया।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा जी का जब फैसला आया तो देश से केवल आरक्षण का लाभ ले रहे लोगों, जिनको कर्तव्यों का भान नहीं था की जमीन निकल गई। यानि कहीं न कहीं अपनी लाभ लोलुपता को उन्होंने शायद पलीता लगता पाया। यही कारण रहा कि वह सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था जिसको के फैसले में हस्तक्षेप करने का शाहस कर बैठे। जिसका परिणाम में जन्म हुआ 10 अपै्रल जैसे सफल ऐतिहासिक बंद का। आधारशिला तो पहले ही रख गई थी, लेकिन जब परिणाम सामने आया तो हर कोई हतप्रद था। क्योंकि यह किसी नेतानगरी का निर्णय नहीं था। यह भारत की उस अवाम, जनताजनार्दन का निर्णय था जिस पर लोकतंत्र जमा हुआ है।
10 अपै्रल ने क्या संदेश दियाः-
10 अपै्रल चूंकि बुद्धजीवियों और सभ्य समाज के लोगों द्वारा लिया गया निर्णय था। इसलिए अहिंसा के दायरे में रहकर सुप्रीम कोर्ट जैसी सर्वोच्च सम्मानित संस्था के निर्णय को सपोर्ट किया और 02 अपै्रल यानि हिंसाइयों के उस मूर्खता को एक करारा जबाव साबित हुआ जिसकी उम्मीद ही नहीं थी, बल्कि पूर्व परिकल्पना की जा रही थी।
गांव-गांव और कस्बा-कस्बा से उठी आवाज आरक्षण अवसानः-
शहर में ही नहीं अपित् गांव-गांव और कस्बा-कस्बा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सैल्युट किया। यह दिखाया कि आज भी कितनी सहनसीलता है। दलितगीरी का दुरुपयोग कर रहे उन भेंड़ियों की हिंसा जिसमें 02 अपै्रल को अन्य के साथ एक मासूम ने भी जान गंवाई थी को, को करारा जबाव था 10 अपै्रल का शांतिपूर्ण बंद और अहिंसा के दायरे में पुलिस और प्रशासन के दिशा-निर्देश में अपनी मांग को माननीय राष्ट्रपति तक पहुंचाने का सराहनीय कार्य किया है। जंग छेड़ी 02 अपै्रल ने थी, लेकिन परिणाम अहिंसा के रूप में 10 अपै्रल को मिला है। इससे यह उम्मीद जगी है कि निश्चित तौर पर जो बेजां आरक्षण दंश सर्वण युवादलित क्षेत्र रहे हैं, जल्द ही उससे शायद छुटकारा मिले।

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