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आरक्षण के आड़ में अब और कितनी प्रतिभाओं की चढ़ेगी बली, आरक्षण के विरोध में बाजार बंद में दिखाई दी एकता

आरक्षण के आड़ में अब और कितनी प्रतिभाओं की चढ़ेगी बली, आरक्षण के विरोध में बाजार बंद में दिखाई दी एकता
हाथरस 10 अपै्रल। आ+रक्षण अर्थात आरक्षण। आरक्षण के दुरुपयोग के विरोध में उठी आवाजें मंगलवार को एक नजर आई। शहर ही नहीं, कस्बे-कस्बे और गांव-गांव से उठी आवाजों और आरक्षण के विरोध में मिले समर्थन में पूरा भारत एक नजर आया। जिसका एक उदाहरण हाथरस के घंटाघर और मुरसान, हसायन, सादाबाद व अन्य कस्बों में भी आरक्षण खत्मकरो की आवाज गूंजी।
प्रतिभाओं पर पीली जंग लगाने वाला आरक्षण, पदों पर योग्यता का विरोधी आरक्षण, योग्य अधिकारी की पदोन्नति में आड़े आने वाला आरक्षण। अगर देश के विकास और उन्नति में कहीं बाधक हुआ है तो वह है आरक्षण। यह आवाज थी आरक्षण से तंग व परेशान हुए समर्थक जो हाथरस के घंटाघर पर एकत्र हुए थे। इन समर्थकों में जब एक बच्ची ने अपनी पीड़ा व्यक्त की तो लोगों के मुंह से सेम और महिलाओं के आंखों से आंशू छलक पड़े। बच्ची का नाम था केशू गौतम। उसने कहा कि आज हमें रुकना नहीं चाहिए। आरक्षण के रूप में हमारे देश की बर्बाद हो रही प्रतिभाओं के भविष्य को अब बिगड़ने से रोकना होगा। इसके लिए एकजुट होकर आवाज बुलंद करनी होगी। इस मौके पर इस मौके पर कार्यक्रम का संचालन कर पंड़ित राजू कौशिक के अलावा व्यापारी नेता प्रशांत शर्मा, अशोक बागला, विकास वार्ष्णेय, विकास अग्रवाल, योगा पंड़ित, कपिल अग्रवाल, पदम अग्रवाल, गोविंद प्रसाद अग्रवाल, राजकुमार वर्मा सहित सैकड़ों मुअज्जि व्यक्तित्व थे। जो शांतिपूर्ण आंदोलन को लेकर आरक्षण के दुरुपयोग के विरोध में अपनी बात रख रहे थे। इस मौके पर अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के लेटर हैड़ पर एक ज्ञापन तैयार किया गया था और किसी भी अधिकारी का इंतजार हो रहा था। समाचार अभी बाकी है। जो आगे अपडेट के साथ मिलेगा
आरक्षण के विरोध में कही गई कुछ महत्वपूर्ण बातेंः-
01. आरक्षण केवल दस वर्ष के लिए लागू की गई थी, लेकिन 70 वर्ष वाद भी समाप्त नहीं हो रहा।
02. प्रतिभाओं को उचित अवसर नहीं है।
03. हरिजन एक्ट का प्रश्न है तो उसका दुरुपयोग ही रहा है। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय का आदेश पूर्ण रूपेण से ठीक है।

रिपोटिंग

नवीन कुमार वार्ष्णेय

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