सैनेटरी नैपकिन को लेकर विद्यालय जैसी संस्थाओं में वेडिंग मशीन लगाने का हाईकोर्ट का निर्णय सम्मान के योग्य
हाथरस 12 अपै्रल। सैनेटरी नैपकिन और माहवारी के प्रति, मेट्रो सिटीज की महिलाओं का नज़रिया बेशक पहले से ज्यादा बदल गया हो, पर छोटे शहरों कस्बों और गांवों की स्थिति आज भी ज्यों की त्यों हैं।
यह उद्गार मुरसान गेट स्थित हुए महिला जागरूकता और शसक्तिकरण को लेकर हुई साप्ताहिक बैठक में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में डायरेक्टर सेलर व लेखिका अनुपम वर्मा ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हाज भी यह हालात हैं कि महिलाएं पुराने ढर्रे पर हैं। क्योंकि आज भी केमिस्ट, नैपकिन के पैकेट को काली पॉलीथिन या अखबार में लपेट कर देते हैं। अधिकतर लड़कियां और महिलाएं, केमिस्ट शॉप पर भीड़ देखकर , संकोचवश वापस लौट जाती हैं। क्या है यह, यह हम महिलाओं के अंदर छुपी वह झिझक है जो हमको कहीं न कहीं विकास और उन्नति से रोकती है। यह निकालनी ही होगी। इस झिझक का ही परिणाम है कि हम आज भी ऐसे हालातों में फटे पुराने, बैक्टीरियल बेडशीट, चादर या तकिया के गिलाफ ही एकमात्र विकल्प में प्रयोग करते हैं। जिनसे इंफेक्शन की संभावनाएं अस्सी प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं।
कार्यक्रम में बतौर वक्ता डायरेक्ट सेलर मीनू वार्ष्णेय ने कहा कि संस्कार और रूढ़ियों में बंधे पांच दिन महिलाओं के जीवन में कैद जैसे साबित होते हैं। क्योंकि दुर्भाग्यवश महिलाएं ही इस प्राकृतिक चक्र पर बात करने से कतराती हैं। यदि कोई पुरुष महिलाओं की झिझक के पार जाकर मासिक धर्म या सैनेटरी नैपकिन पर बात करना चाहता है तो समाज उसे बेहया शब्द से नवाजता है। यह सीमित सोच नहीं तो और क्या है, लेकिन शिक्षा यह नहीं शिखाती। शिक्षित होने का उद्देश्य ही यह है कि जो घटनाएं प्राक्रितिकजन्य हैं उनको एक सामान्य तौर पर लेकर अपने जीवन में उतारें और अशिक्षा को करारा जबाव दें। इस मौके पर अन्य वक्ताओं ने हिमाचल हाईकोर्ट के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि वाकई में विद्यालयों व अन्य महिला जागरूकता जैसी संस्था और कार्यक्रमा में सैनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन, एक स्वागत योग्य कदम है। क्योंकि कई लड़कियां सिर्फ, कपड़ा इस्तेमाल करते हुए दाग लग जाने के डर से उन पांच दिनों स्कूल नहीं आतीं जिससे उनका पढ़ाई का भी नुकसान होता है। इस मौके पर यह जानकारी दी गई कि हिमाचल हाईकोर्ट में सैनेटरी नैपकिन को लेकर याचिका मोहिनी गुप्ता ने डाली थी और उस पर अपना निर्णय सुनाते हुए न्यायमूर्ति संजय करौल, संदीप शर्मा की खंडपीठ ने हिमाचल राज्य सरकार को ट्रायल के तौर पर वेडिंग मशीन लगाने को आदेशित किया है। यूपी सरकार को भी महिला हित को देखते हुए यह कदम उठाया जाना चाहिए।
इस मौके पर मुख्य तौर पर आशाकिरन, ज्योत्सना वर्मा, विनायका माथुर, रुपल, मेघा, रेनू दिशा, सुनीता, कुसुम गौड़, टीनू सिंह आदि महिलाएं मौजूद थीं।
रिपोटिंग
नवीन कुमार वार्ष्णेय

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