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आसाराम को उम्रकैद के निर्णय से अन्य संतों और साधुओं पर कैसी रहेगी लोगों की सोच ? 2013 में लगा था नाबालिग से बलात्कार का आरोप

आसाराम को उम्रकैद के निर्णय से अन्य संतों और साधुओं पर कैसी रहेगी लोगों की सोच ? 2013 में लगा था नाबालिग से बलात्कार का आरोप
25 अप्रैल। साधु से सावाधु के रास्ते चलने वाले का हर्स अच्छा नहीं होता। भेष साधु का और कर्म सवाधु यानि स्वाद लेने वाले का हो तो निश्चित ही धर्म कर्म की दुकान का संचालन ज्यादा दिन नहीं चलता और फिर इसको लेकर अन्य संतों पर भी लोगों को उंगलियां उठाने का मौका मिल ही जाता है। खैर जो भी हो निर्णय न्यायालय ने दिया है और दोषी करार हुए हैं आसाराम। सजा के बिंदु पर भी अभी शायद सुनवाई होनी है। वह भी निर्णय न्यायालय ही सुनाएगा, लेकिन प्रश्न यह उठता है कि अब संत, साधु, सन्यासी और न्य नाम जो कि श्रद्धा, आस्था और समर्पण का केंद्र हुआ करते थे उनके लिए इस निर्णय से क्या संदेश पहुंचा है ?
राजस्थान के जोधपुर में आज हुई सुनवाई के दौरान न्यायालय ने आसाराम को दोषी करार दे ही दिया। न्यायालय ने पूरे मामले में तमाम सुनवाइयों के बाद अपना यह निर्णय सुनाया है। निश्चित ही पूरे मामले को बारीकी से जमकर परीक्षण हुआ होगा। क्योंकि मामला काफी हाईलाइट था और देश ही नहीं विदेशों में भी लोग इस मामले पर नजरें गढ़ाए हुए हैं। तो निश्चित ही इसमें पलीता तो लगने से रहा। मगर न्यायालय का जो निर्णय है उस पर तो कोई टिप्पणी मूर्खता होगी, लेकिन निर्णय से जो हकीकत सामने आई है वह निश्चित ही यह कहने को मजबूर करती है कि क्या साधु, संतों और अन्य समागमियों पर कोई भरोसा करेगा ?
क्या है पूरा मामलाः-
मामला अगस्त 2013 का है। आपने आपको बापू कहलाने वाले आसाराम के ऊपर जोधपुर में उनके ही आश्रम की एक नाबालिग (सोलह साल की) कन्या के साथ कथित अप्राकृतिक दुराचार के आरोप लगाया गया। पीड़ित नाबालिग कन्या के पिता ने दिल्ली जाकर पुलिस में इस कांड की रिपोर्ट दर्ज़ कराई। पुलिस ने मेडिकल टेस्ट कराया। 
केस में पॉस्को एक्ट लगाया गया था। पीड़िता के कलमबन्द बयान के बाद सारा मामला राजस्थान पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया था। इसके बाद आसाराम को पूछताछ के लिए 31 अगस्त 2013 तक का समय देते हुए सम्मन जारी किया गए थे। इसके बावजूद जब वे हाजिर नहीं हुए तो दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 342 (गलत तरीके से बन्धक बनाना), 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक हथकंडे) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज़ करने हेतु जोधपुर की अदालत में सारा मामला भेज दिया। फिर भी आसाराम गिरफ़्तारी से बचने के उपाय करते रहे थे। उन्होंने इंदौर जाकर प्रवचन देना प्रारम्भ कर दिया। पंडाल के बाहर गिरफ़्तारी को पहुँची पुलिस के साथ बापू के समर्थकों ने धक्का-मुक्की की। आखिरकार रात के बारह बजे तक प्रतीक्षा करने के बाद जैसे ही एक सितंबर 2013 की तारीख आई, राजस्थान पुलिस ने आसाराम को गिरफ़्तार कर लिया था और विमान द्वारा जोधपुर ले जाया गया। गिरफ्तारी के बाद आसाराम ने पीड़िता के सभी आरोपों को नकार दिया था।
क्या कहते हैं लोगः-
न्यायालय ने आसाराम को दोषी करार दिया है तो काफी परीक्षण किया होगा। उचित है और वह दोषी है तो सजा भी मिलनी ही चाहिए। प्रवीण वार्ष्णेय, प्रीतम आदि लोगों ने दी अपनी-अपनी राय।
अधिवक्ता अजय कुमार कुलश्रेष्ठ ने दी जानकारीः-
अधिवक्ता अजय कुमार कुलश्रेष्ठ ने ऑन लाइन जानकारी देते हुए बताया कि जोधपुर अदालत के स्पेशल जज मधूसुदन शर्मा ने 44 गवाहों के बयान सुनने के बाद 58 सबूतों और 144 दस्तावेजो को जांचने के बाद जोधपुर सेंट्रल जेल में पिछले 1,652 दिनो से नाबालिग यौन शोषण के आरोप मे बंद आसाराम को 25 अप्रैल को रेप केस में दोषी कारार दिया और साथ ही लिए बलात्कारी आसाराम को पॉक्सो एक्ट (1,200 पेज की चार्जशीट में लगी 14 धाराओं) के तहत ऊम्र कैद की सजा सुनाई है।

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