दो-चार मिनट और लेट होते तो फटता गैस का सिलेंडर और आसपास के चार-पांच मकान हो जाते धरासाई, चिंगारी की आग ने मेहन के नोटों को भी निगल लिया
दो-चार मिनट और लेट होते तो फटता गैस का सिलेंडर और आसपास के चार-पांच मकान हो जाते धरासाई, चिंगारी की आग ने मेहन के नोटों को भी निगल लिया
हाथरस 24 अप्रैल। एक-एक मिनट भारी पड़ रही थी। क्योंकि दो चार मिनट की देरी कई जिंदगियों के लिए भारी पड़ने वाली थी। थाना हाथरस जंक्शन के गांव महौ में अग्नि की प्रचंड़ता का कुछ ऐसा तांडव हुआ कि अगर ग्रामीणों ने साहस न दिखाया होता तो इसकी लपेट में तीन-चार घर आ जाते। क्योंकि आग गैस सिलेंडरों के पास पहुंच चुकी थी, लेकिन गांव के कुछ साहसी युवकों ने जान पर खेल कर आग पर काबू पा लिया। मगर अग्निकांड में करीत 35 हजार के नोटों के अलावा हजारों रुपये मुल्य का अन्य सामान जलकर स्वाह हो गया। जानकार सूत्रों की माने तो हाथरस जंक्शन के गांव महौ में भूपेंद्र वार्ष्णेय पुत्र श्री चंद्रप्रकाश वार्ष्णेय मय परिवार के रहते हैं। बीती देर रात को जो उनके यहां हुआ उससे ग्रामीणों के रौंगटे खड़े होते हैं। घटना का रूप था भयंकर आग। सूत्रों की माने तो सभी लोग गांव में ही किसी कार्यक्रम में गए थे, लेकिन पीछे से अज्ञात कारणों के चलते लगी आग की चिंगारी ने भयंकर रूप ले लिया। जब घर से धूंए के साथ आग की लपटें उठने लगीं तो आसपास में हड़कंप मच गया। ग्रामीण युवकों ने हल्ला काट दिया। थोड़ी ही देर में पीड़ित परिवार भी मौके पर पहुंच गया और शोरगुल सुन कर काफी संख्या में मौके पर ग्रामीण एकत्र हो गए।
आग अपना भयंकर रूप ले चुकी थी। अब सभी का यह डर सता रहा था कि आग कहीं रसोई तक न पहुंच जाए। जैसे-तैसे ग्रामीणों ने आग पर काबू पाने के प्रयास शुरू किए। जब गांव के कुछ साहसी युवक आसपास की कई समरों का पानी लेकर अंदर घुसे तो ग्रामीणों के चिंता की लकीरें और बड़ चुकी थीं। क्योंकि आग रसोई और बैड रूम तक पहुंच चुकी थी। जिस अलमारी में नगदी रखी थी वह बुरी तरह आग की लपेट में थी। जबकि उससे भी ज्यादा चिंता का विषय यह था कि आग रसोई में भी अपनी भरपूर पकड़ बना चुकी थी। नोटों के जलने का इतना गम नहीं था, जितना सिलेंडर फटने से रौंकटे खड़े हो रहे थे। क्योंकि गैस सिलेंडर अगर फटजाता तो निश्चित ही घर के अलावा आसपास के कई घरों के धरासाई होने का भयंकर डर था। मगर साहस को आखिर सलाम करना ही पड़ेगा। क्योंकि आसपास के साहसी ग्रामीण युवकों ने लगातार आग पर पानी का प्रेसर बनाए रखा और जल्द से जल्द रसोई की आग पर काबू पाने में आखिरकार सफलता पा ही ली थी।
आग थम चुकी थी, लेकिन मंडर बड़ा ही डरावना था, लेकिन ग्रामीण काफी ठंडी सांसे ले रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो मौत के मुंह में से निकले हों। सबसे पहले ग्रामीणों ने रसोई से भयंकर गर्म हो चुके गैस सिलेंडर को जैसे-तैसे बाहर निकाला और उसको पूरी तरह ट्यूवबैल में डाल दिया। खतरा खत्म होते ही आग में हुए नुकसान को बचाने में ग्रामीण लगे। जब अलमारी खोल कर देखी तो उसमें हजारों रुपये मूल्य के कपड़े आदि सामान के अलावा हजारों की रखी नगदी जिसमें पांच सो व दो हजार के नोट थे, जलकर बेकार हो चुके थे। सूचना पर प्रशासनिक कर्मचारी ने पहुंचकर घटना की जानकारी ले ली थी, लेकिन समाचार लिखे जाने तक पीड़ित को काई राहत सामग्री प्राप्त नहीं हो पाई थी।
रिपोटिंग
नवीन कुमार वार्ष्णेय


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