गंगा सप्तमी के मौके पर सादाबाद में नमक बनाया था अतुर्रा के लाल ने
हाथरस 21 अप्रैल। थाना सादाबाद के गांव अतुर्रा में जन्मे इस लाल के कमाल से भी अंग्रेजों जी अफसर अचंभित और परेशान रहे थे। अपनी कम उम्र से ही आजादी के आंदोलन में कूदे इस सेनानी ने 2929 में पूरी तरह सक्रियता दिखाई और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन को धार दी थी।
सादाबाद के गांव अतुर्रा के ऋक्खीलाल के यहां जन्मे जयंती प्रसाद ने 1929 में जमकर अंग्रेजों के खिलाफ कार्य किए। नमक सत्याग्रह के दौरान उन्होंने 1930 में नमक बनाकर अंग्रेजों को खुली चुनौती दी थी। जिसके तहत इनको गिरफ्तार कर लिया गया और तीन महीने की सजा के साथ-साथ दस रुपये का जुर्माना भी किया गया। सजा भुगतने के बाद यह फिर से आजादी के आंदोलन में जुटे रहे और जगानबंदी आंदोलन में प्रमुख रूप से सादाबद क्षेत्र में सिरमोर रहे जयंती प्रसाद को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और छह महीना की कटोठ सजा के साथ 50 रुपये का जुर्माना भी किया गया।
1940 के व्यक्तिगत आंदोलन के वक्त भी अंग्रेजों को उन्होंने जमकर लोहा दिया और पीछे नहीं रहे। अंग्रेजों ने इन्हें पुनः गिरफ्तार किया और एक वर्ष का कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया। जबकि 200 रुपये भी जुमाना किया। 1942 में भी जमकर आंदोलन में सक्रिय रहे। 1933 से 36 तक आप जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे और आंदोलन को गांव-गांव और शहर-शहर पहुंचाते रहे। 1941 में आपने खादी उत्पत्ति केंद्र की स्थापना की। जिस पर अंग्रेजों ने 1943 में अपना कब्जा कर लिया। जिसमें आपको काफी आर्थिक हानि हुई। हालांकि वह फिर भी स्वाधीनता आंदोलन में कहीं पर भी पीछे नहीं रहे।


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