हाथरस/बरसाना। यह तो सिद्ध हो चुका है कि ‘हाथरस’ ब्रज में है। कथाओं में प्रसंग आता है, लिखित में है कि हाथरस ब्रज क्षेत्र में ही है। जबकि इसी प्रकार राजस्थान का बहुत सा क्षेत्र ब्रज में ही है। जहां पर किसी न किसी रूप में श्रीकृष्ण साक्षत प्रमाणिकता का परिचय देते हैं। कृष्ण से मिलने के लिए संयम रखना आवश्यक है। जो संयम रखता है और भोग से दूर रहता है उन पर श्रीजी की कृपा बरसती है। जहां श्री की कृपा है वहां पर ही कृष्ण मौजूद रहते हैं।
ब्रजवासी राष्ट्रिय संत रमेशबाबा ने जब यह बताया कि ‘हाथरस’ ब्रज में है तो सैकड़ों की संख्या में मौजूद ब्रज द्वार के भक्तों करवंदन और तालियों की गड़गड़ाहट से रसमंडल का रोम-रोम श्रीभक्ति में झूम उठा। मौका हाथरस के ब्रज बरसाना यात्रा मंडल के सातवें वार्षिकोत्सव का। कार्यक्रम की शुरूआत तालाब चौराहा स्थित श्रीरामदरबार मंदिर से निकली प्रभात फेरी से हुआ। इसके बाद बसों में सवार होकर ब्रज द्वार के भक्त गांधी चौक घंटाघर, चक्की बाजार गोपाल धाम से सवार होकर ब्रज धाम बरसाना के लिए प्रस्थान किया। जहां पर राधारस मंदिर में पहुंचकर सभी से मत्था टेका। यहां पर बालभोग का रसास्वादन कर सभी रासमंडल में पहुंच भक्तिरस में गोते लगाए।
मानबिहारी जी सरकार के छप्पन भोग के सभी ने दर्शन किए औलोकिक फुलबंगला के दर्शन अपने आपमें अलग ही छटा बिखेर रहे थे। बालव्यासा चार्या मुरलिका शर्मा ने अपने संबोधन में बताया कि हाथरस के भक्त भी सद् गृहस्त संत हैं। उन्होंने दुर्वाषा ऋषि और उनकी हट के प्रसंग का मार्मिक वर्णन किया। गहवरन वन की मांटी के लड्डू खिलाकर उन्हें तृप्त किया। अपनी मां र्कीति की संका का भी समाधान किया। इस मौके पर श्री मानविहारी जी सरकार के छप्पन भोग के बाद 108 महा आरती के बाद संतप्रसादी का आयोजन में भक्तों से सहभागिता की। देर रात सभी भक्तों ने ब्रज द्वार ‘हाथरस’ में पुनः पदार्पण किया।



Comments
Post a Comment