Skip to main content

तोड़ने वालों के बीच में कुछ लोग कर रहे हैं जोड़ने का कार्य, रोजगार, शिक्षा और सफल दाम्पत्य का कार्य

तोड़ने वालों के बीच में कुछ लोग कर रहे हैं जोड़ने का कार्य, रोजगार, शिक्षा और सफल दाम्पत्य का कार्य 

संजय दीक्षित
हाथरस 06 अपै्रल। केवल एक सोचने बदल दी एक नव नवदंपति जिंदगी। जब लोग घर तोड़ने में, इंसानियत तोड़ने में, मानवता का खून करने में लगे थे। उस वक्त कुछ लोग ऐसे भी थे जो किसी की जिंदगी बसाने में लगे थे। हम सैल्युट करते हैं इस सोच और ऐसे अभियान को।
जातिवादिता की तलबार से समाज को काटने में लगा समाज का एक बड़ा धड़ा लगातर सोशल मीडिया पर अपने अधियारों को पैना रह है। वहीं समाज के इस बंधन को तोड़कर लोगों की नई दुनिया बसाने का काम कर रहा है। प्रसन्नता का विषय तो यह है कि हर कोई अपने आपको प्रचारित और प्रसारित करने, नीति को छोड़ अनीति रूपी राजनीति अपनाने में लगे लोगों की एक बहुत बड़ी भीड़ अपना-तेरी में लगे हुए हैं, लेकिन सामाजिक संस्था ‘अखिल भारतीय एकता परिषद’ के तत्वावधान में संस्था के अध्यक्ष विकास कौशिक व उनकी टीम ने जो पहल की है सराहनीय है, सम्माननीय है। क्योंकि जिन बच्चों की पढ़ाई में रोड़ा बन रहे पैसे को दरकिनार कर उनकको उच्च शिक्षा तक के लिए गुरुकुलम में एडमीशन कराया जा रहा है।
जबकि समाज की जो बिटिया शादी योग्य हैं और उनके सामने भी जब पैसे की दिक्कतें आती हैं तो वह भी समाज के लोगों के सहयोग से उनको दांपत्य-सूत्र-बंधन में बांधने का प्रयास करते हैं। यह ही नहीं बीते 05 अपै्रल को एक बिटिया को उसके दाम्पत्य जीवन में प्रवेश भी करा है। जबकि इस समय लोग अपने अपने सम्प्रदायों को लेकर अनुयायियों के साथ आरक्षण व अपनी अन्य मांगों को लेकर देश और समाज में समाजिकता को कहीं न कहीं विघटित कर रहे हैं। लेकिन जो लोग इस वक्त में भी मानवता के लिए कार्य कर रहे हैं उनके सम्मान में प्रणाम है।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’

हनुमान जी की कृपा से गुसांई बाबा को चित्रकूट के घाट पर प्रभु के दर्शन होते हैंःगौरांग जी महाराज UP Hathras11 जून, 18। चित्रकूट का घट है और गोस्वामी बाबा पथर की एक सिला पर चंदन घिर रहे हैं। कथा प्रवचन करते व्यासपीठ गौरांग जी महाराज इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके स्वामी आएंगे और मिलन होगा। अचानक वहां पर दो सुकुमार आते हैं और तुलसीदास से चंदन की मांग करते हैं, लेकिन प्रभु मिलन की आस में वह दोनों ही सुकुमारों से चंदन की मना करते हैं। महावीर जो देख रहे थे पहचान गए कि अभी भी तुलसीदास स्वामी को नहीं पहचान रहे। श्री रामदबार मंदिर में चल रही भक्तमाल कथा श्रवण करते श्रद्धालुजन कथा श्रवण करते बैंक अधिकारी कथा के दौरान आचार्य गौरांग जी महाराज इस मार्मिक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि कहीं फिर से तुलसीदास प्रभु दर्शन से न चूक जाएं। इसलिए पेड़ की एक डाल पर तोते का रूप धर कर हनुमान जी कथा श्रवण करते सेवानिवृत्त रोडवेज अधिकारी कहते हैं ‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’ यह दोहा सुनते ही गोस्वामी तुलसीदास का ज्ञानतंत्र जाग्रित हुआ। ध...

हर दिन डेढ सजा का लक्ष्य किया तय

हर दिन सुनाई गई डेढ़ सजा - पुलिस के साथ अभियोजन ने 716 आरोपियों को सुनाई सजा - पूरे साल में 556 मामलों में सुनाई गई सजा - बकौल एसपी चिरंजीव नाथ सिंहा, आगे और बहतर करने का होगा प्रयाश हाथरस। पुलिस ने अभियोजन के साथ मिलकर 360 दिन में 556 सजाओं के माध्यम से 716आरोपियों को अभियुक्त सिद्ध कर के जेल का रास्ता दिखाया है। अगर यह कहा जाए कि हर दिन पुलिस और अभियोजन ने मिल कर डेढ़ सजा का आंकड़ा तय किया है तो गलत नहीं होगा क्योंकि साल में 360 दिन होते हैं और सजा 556 सुनाई गई है।इससे सीधा-सीधा आंकड़ा निकलता है एक दिन में डेढ़ सजा का मापदंड तप किया गया है।हालांकि यह आंकड़ा इतना अच्छा भी नहीं है, मगर आने वाले दिनों में इसको और सुधारा जा सकता है। बीते समय से सबक लेने की आवश्यकता है कि कहां पर चूक हुई है।क्योंकि कहीं ना कहीं पुलिस गवाहों के होस्टाइल होने के कारण ही आरोपी कोअभियुक्त सिद्ध नहीं कर पाती और वह सजा से वंचित रह जाते हैं ।इसलिए यह कहना फक्र की बात है कि पुलिस ने मेहनत करते हुए हर दिन एक से ज्यादा सजा का लक्ष्य तय किया है इधर, अभियोजन ने भी रात दिन एक करते हुए अपने कार्य को अंजाम द...

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी -बाहरी प्रत्याशियों का दंश झेलता आ रहा है हाथरस -1984 तक कांगे्रस पर महरवान रही हाथरस की तनजा तो 1991 से भाजपा के प्रत्याशी को ही चुन कर संसद भेज रही जनता  संजय दीक्षित हाथरस। ‘‘अरे हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी, मुझ पल पल है तड़फाये एक दिना......’’ फिल्म ‘‘रोटी कपड़ा और मकान’’ के गाने के यह बोल लोकसभा हाथरस पर भी सटीक बैठते हैं। क्योंकि क्षेत्र की समस्या व लोगों की पीड़ा के निराकरण को अब तक हुए लोकतंत्र के 17 समरों को प्रतिनिधित्व 17 में 12 वार वाहरी लोगों को सौंपा गया है। मजे की बात तो यह है कि यह 18 लोकतंत्र के इस यज्ञ में 18 वीं वार भी आहूतियां देने के लिए लोकल प्रत्याशियों का पूर्णतः अभाव दिखाई दे रहा है। हाथरस के प्रथम सांसद नरदेव स्नातक को दुर्लभ चित्र यह हाथरस की पीड़ा ही कही जा जा सकती है कि लोकसभा के लिए यहां के मतदाताओं को अब तक 17 वार हुए मतदान में 12 वार वाहरी प्रत्याशियों को सांसद बनाकर लोकसभा भेजा है। लोगों के बोलों से निकली बातों पर जाएं तो यह सबसे बड़ी पीड़ा है कि हर विधानसभा और लोकसभा का एक अलग-अलग भौगो...