कप्तान की करनी से वर्दी हुई हल्कान, दाम के चक्कर में काम से गए लेखू, शिवू और कुमार
संजय दीक्षित
हाथरस 25 अप्रैल। जब तक देख रहे थे ठीक था। मौका बहुत था संभलने के इशारे भी बहुत किए, लेकिन यह क्या वह तो हद से गुजर गए। जी हां हम बात हाथरस के सुयोग्य पुलिस प्रमुख की कर रहे हैं। यह भी आप सही समझे जिनको हटाया या सस्पेंड किया गया है। इशारा भी उन्हीं की ओर है। अब कहें तो किस की कहें। जिन्होंने किया वह भी वर्दी में हैं। जिन्होंने दिया क्या दंड वह भी वर्दी में है। बस यहीं पर सही और गलत का फेसला हो जाता है। मात्र वर्दी पहनलेने से कुछ नहीं हो जाता है। होता है वर्दी में छुपे उन जज्बातों से, होता है वर्दी की उस महानता के अर्थ को समझने से जो देश और समाज को एक धुरी पर जोड़ती है। अपराध का सफाया करती है तो समाज में शांति और सकून का संदेश देती है। उसी को पुलिस अर्थात कानून कहते हैं और अपने असली रूप को दिखाया है मिस्टर सुशील घुले ने।
हाथरस 25 अप्रैल। जब तक देख रहे थे ठीक था। मौका बहुत था संभलने के इशारे भी बहुत किए, लेकिन यह क्या वह तो हद से गुजर गए। जी हां हम बात हाथरस के सुयोग्य पुलिस प्रमुख की कर रहे हैं। यह भी आप सही समझे जिनको हटाया या सस्पेंड किया गया है। इशारा भी उन्हीं की ओर है। अब कहें तो किस की कहें। जिन्होंने किया वह भी वर्दी में हैं। जिन्होंने दिया क्या दंड वह भी वर्दी में है। बस यहीं पर सही और गलत का फेसला हो जाता है। मात्र वर्दी पहनलेने से कुछ नहीं हो जाता है। होता है वर्दी में छुपे उन जज्बातों से, होता है वर्दी की उस महानता के अर्थ को समझने से जो देश और समाज को एक धुरी पर जोड़ती है। अपराध का सफाया करती है तो समाज में शांति और सकून का संदेश देती है। उसी को पुलिस अर्थात कानून कहते हैं और अपने असली रूप को दिखाया है मिस्टर सुशील घुले ने।
शिकायतें मिल रही थी कि कुछ वर्दी वालों ने वाहनो से अवैध अवैध वसूल का अवैध धंधा अपना रखा है। सूत्र बताते हैं, कि इस बात को स्वयं दिमांग में रखते हुए पुलिस प्रमुख सुशील घुले स्वयं नजर बनाए हुए थे। जब मामला स्वयं ने परखा और सही पाया तो उन्होंने पीआरवी नंबर 1127 पर तैनात हेड कांस्टेबल लेखराजव, होमगार्ड चंद्रकेश कुमार, शर्मा के अलावा कांस्टेबल शिवकुमार को निलंबित कर दिया है। जबकि कांस्टेबल के संबंध में जिला होमगार्ड कमांडेंट को पत्र लिखकर इस घटना से अवगत कराया है।
यह ही नहीं देर रात स्वयं कप्तान सुशील घुले जब सड़कों पर स्थिति का जायजा लेने निकले तो खलबली मच गई। जिन वर्दी वालों के कारण शिकायतें उठी थीं वह तो सतर्क हो ही गए। साथ ही अन्य के भी कान खड़े हो गए। जनता से उठी आवाजों को माने तो वाकई उर्म भले की कम हो, लेकिन कप्तान की कार्यशैली की जनता की ओर से अच्छी आवाजें निकल रही हैं। वह अलग बात है कि कहानी में कहीं न कहीं झौल तो होता ही है। अर्थात यह नहीं कह सकते कि अवा का अवा खराब है। कम से कम एसपी सुशील घुले के होते हुए तो बिलकुल नहीं।


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