खुद ने लिया स्वच्छ भारत का लाभ, पड़ौसी को दी नारकीय जिंदगी कागजों में बन गया शानदार शौचालय, हकीकत में बदबू और गंदगी का राज
खुद ने लिया स्वच्छ भारत का लाभ, पड़ौसी को दी नारकीय जिंदगी
कागजों में बन गया शानदार शौचालय, हकीकत में बदबू और गंदगी का राज
मेंडू (हाथरस) 07 मार्च। बदबू की समाप्ति, गंदगी की समाप्ति, स्वच्छता के लिएगरूक करना ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रथम प्राइटी पर चल रहा है पूरे भारत में ‘स्वच्छ भारत अभियान’। दुखत विषय यह है कि मेंडू के एक वरिष्ठ नागरिक परिवार के लिए स्वच्छ भारत अभियान जी का जंजाल बन कर रह गया है। मजे की बात तो यह है कि इसके लिए मुख्य जिम्मेदार यानि ईओ और चेयरमैन दोनों ही सुनवाई करने को तैयार नहीं है। मतलब घोलमाल हो सकता है सरकार से मिली 8 हजार की धनराशि का बंदरबांट।
क्या है मामलाः-
घटना हाथरस जंक्शन के कस्बा मेंडू के मोहल्ला सुनारान का है। जहां पर वरिष्ठ नागरिक दंपति के रूप में डॉ.किशनलाल वार्ष्णेय अपनी शिक्षिका पत्नी के साथ रहते हैं। पीड़ित वरिष्ठ दंपति का आरोप अगर माने तो यह है कि उनके घर के ही सामने जो परिवार रहता है उसने सरकारी कार्ययोजना के तहत मिलने वाली 8 हजार की धनराशि तो वसूल ही, लेकिन घर के बाहर ही शौचालय के नाम पड़ोसी को परसो दी है तीक्षण बदबू और गंदगी भरा माहौल। पीड़ित की माने तो इतनी गदंगी और बदबू उठती है कि राह चलते व्यक्तियों को भी दूभर होता है तो हर समय रहने वाले लोगों का क्या हाल होगा।
पीड़ित ने की चेयरमैन से शिकायतः-
पीड़ित वरिष्ठ नागरिक दंपति की माने तो इस संबंध में वह कई बार चेयरमेन से भी मिलकर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। दंपति का यह भी आरोप है कि नगर पंचायत के कुछ कर्मचारियों ने आरोपी के साथ मिल कर घोलमाल कर लिया है। हो सकता है कि इन लोगों ने भी स्वच्छ भारत अभियान के तहत आई धनराशि का बंदरबांट कर लिया हो और उसके पदले हमें परोसी हो यह गदंगी।
वरिष्ठ नागरिक पीड़ित दंपति की चेतावनीः-
वरिष्ठ नागरिक पीड़ित दंपति ने चेयरमैन के समक्ष उपस्थित होकर यह चेतावनी भी दी है कि अगर उसकी समस्या का समाधान नहीं कराया गया तो वह नगर पंचायत में ही धरने पर बैठने के लिए मजबूर होगा।
पिता को मिला पद, लेकिन पंचायत को चलाता है बेटाः-
लोगों की माने तो मेंडू में चेयरमेन पद पर जीत पिता ने दर्ज की थी, लेकिन नगर पंचायत को उनका शिक्षक पुत्र चलाता है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि चेयरमैन सहाब पर तो फोन ही नहीं है। जितने भी फोन आते हैं वह उनका लड़का ही रिसीव करता है। नगर पंचायत के जितने भी टेंडर आदि या अन्य कार्य होते हैं वह सभी फायनल पुत्र ही करता है। हालांकि इस बात को चेयरमैन ने सिरे से नकार दिया है। उनकी ओर से माने तो उनका पुत्र तो शिक्षक है और वह अपने ड्यूटी पर जाता है। यह आरोप गलत हैं।
ईओ को नहीं उठता फोन और ना हीं होते हैं दर्शनः-
आरोपों की माने तो ईओ सहाब फोन उठाते नहीं और जब समस्या लेकर जाते हैं तो उनके दर्शन नहीं होते। जब उनको इसकी पुष्ठि के लिए बात की गई तो वाकई ईओ सहाब को फोन उठा ही नहीं। खैर जो भी है मामला जरूर गड़बढ़ झाले का दिखाई दे रहा है। बस इतना की कहा जा सकता है कि ‘अंधेर नगरी चौपट्ट राजा टका शेर भांती, टका शेर खाजा’।
रिपोटिंग
नवीन कुमार वार्ष्णेय

अच्छी सोच
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