Skip to main content

जिला हाथरस के ललाट पर वक्त ने लिखा 21 का अंक, हाथरस का जन्म हुआ था श्रीकृष्ण के जन्म से चंद घंटों बाद

जिला हाथरस के ललाट पर वक्त ने लिखा 21 का अंक, हाथरस का जन्म हुआ था श्रीकृष्ण के जन्म से चंद घंटों बाद
संजय दीक्षित 
UP (India) 03 May। ब्रज की द्वार देहरी रस की नगरी ‘हाथरस जिला’ के लिए 03 मई इसी प्रकार है जिस प्रकार एक मातापिता और सगे संबंधियों के लिए जन्म की दिनांक होती है। 3 मई 1997 को हाथरस का जन्म हुआ था यह तो नहीं कह सकते, लेकिन इतना जरूर कह सकते हैं कि हाथरस प्रौढ़ (बड़ा) हुआ था। अर्थात एक कस्बा का चोला छोड़ कर जिले का रूप लिया था। जिला हाथरस का जन्म दिन तो आप मनाही सकते हैं। 
वह शिवलिंगी जिसकी पाताल की ओर
लंबाई की नहीं मिल पाई है थाह
कब हुआ था हाथरस का जन्म और कौन ने किया था नामकरणः-
‘हाथरस’ का जन्म कब हुआ था इसकी कोई सटीक तारीख या तिथि तो स्पष्ट रूप से नहीं हो पाई है, लेकिन ‘हाथरस’ का जन्म का समय भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण से चंद घंटों बाद का बताया जाता है। इसका प्रमाण भी विद्वजन  ‘ब्रह्म वैवर्त पुराण’ में बताते हैं। अगर कथानुसार मानें तो जब देवताओं को गोकुल में श्रीकृष्ण अवरण की जानकारी हुई तो प्रभु शिव माता पार्वती के साथ गोकुल के लिए निकले थे, लेकिन ब्रज में प्रवेश के वक्त ही माता पार्वती को जल की आवश्यकता हुई तो भगवान शिव ने हाथ से भूमि खोद कर जल निकाला था। बस यहीं से भगवान शिव ने इस स्थान का नाम ‘हाथरस’ रख दिया। आज भी वह स्थान प्रमाणिकता के लिए माता ‘हाथुरसी’ मंदिर के नाम से मौजूद है।
राष्ट्रीय संत रमेश बाबा ने कहा हाथरस ब्रज में हैः-
मां हाथुरसी देवी, जिनके नाम पर
हुआ हाथरस का नामकरण
अभी बीते 22 अप्रैल, 18 दिन रविवार को ब्रजांचल के श्रीधाम बरसाना के गहवर वन में निवास करने वाले राष्ट्रीय संत रमेश बाबा ने ब्रज बरसाना यात्रा मंडल के 7 वें वार्षिकोत्सव के मौके पर गहवर बन के रासमंडल में अपने प्रवचनों के दौरान यह पुष्ट किया कि धर्मग्रंथों में यह स्पष्ट है कि हाथरस से लेकर जयपुर तक ब्रज स्थान है। हाथरस का भी अपना एक धार्मिक इतिहास है। उसी का प्रणाम है कि ब्रज की मुख्य धुरी में जितने मंदिर और देवालय हैं वही हाथरस में है। यहां के जन-जन में धर्मिक संवेदनाओं की इतनी प्रवलता है कि जिनती ब्रज की धुरी स्थित प्राणियों में होती है।
आज है जिला हाथरस का जन्म दिनः-
अपने जीवन के ललाट पर 21 का अंक लिखने वाले जनपद सृजन ने क्या खोया और क्या पाया ? मंथन और विश्लेषण की आवश्यकता है। भले ही हम अभी इसका विश्लेषण न करें, लेकिन यह किसी से छुपा नहीं है कि राजनीति के चक्र में हाथरस जिले के साथ जिले के नाम पर एक मजाक सा ही हुआ है। जनता से उठी बातों का माने तो जिले का स्वरूप जो होना चाहिए था वह न होकर इसमें भी राजनीति हावी रही और जिला मुख्यालय कहीं और, पुलिस लाइन कहीं और स्थापित किए गए। मजे की बात तो यह है कि जिला न्यायालय आज भी जुगाड़ मेंट से ही चल रहा है। अभी उसको अपना प्रोपर स्थान ही नहीं मिल पाया है। और तो और जिले में अभी तक जेल का निर्माण न होन के कारण करोड़ों रुपये साला का खर्चा जिले पर पड़ता है जो जनता द्वारा ही बतौर टैक्स के रूप में वहन किया जा रहा है। चाहें तो चिंतन करें।
जनपद जनक थे रामवीर उपाध्यायः-
जनपद जनक रामवीर उपाध्याय
हाथरस के लोगों को खूब अच्छे से याद होगा कि दिन के दोपहर करीब 2 व 3 के बीच का वक्त होगा। प्रचारक पं. त्रिलोकीनाथ टीएन शर्मा रिक्सा में रखे ध्वनी विस्तारक यंत्र पर हाथरस जिला होने की घोषणा का उद्घोष करते लोगों को यह जानकारी दे रहे थे कि उस वक्त बसपा सरकार के ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय की पहल उस वक्त की मुख्यमंत्री बहन कुं. मायावती ने हाथरस को ‘महामायानगर’ के नाम से जिला बनाया है।


Comments

Popular posts from this blog

‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’

हनुमान जी की कृपा से गुसांई बाबा को चित्रकूट के घाट पर प्रभु के दर्शन होते हैंःगौरांग जी महाराज UP Hathras11 जून, 18। चित्रकूट का घट है और गोस्वामी बाबा पथर की एक सिला पर चंदन घिर रहे हैं। कथा प्रवचन करते व्यासपीठ गौरांग जी महाराज इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके स्वामी आएंगे और मिलन होगा। अचानक वहां पर दो सुकुमार आते हैं और तुलसीदास से चंदन की मांग करते हैं, लेकिन प्रभु मिलन की आस में वह दोनों ही सुकुमारों से चंदन की मना करते हैं। महावीर जो देख रहे थे पहचान गए कि अभी भी तुलसीदास स्वामी को नहीं पहचान रहे। श्री रामदबार मंदिर में चल रही भक्तमाल कथा श्रवण करते श्रद्धालुजन कथा श्रवण करते बैंक अधिकारी कथा के दौरान आचार्य गौरांग जी महाराज इस मार्मिक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि कहीं फिर से तुलसीदास प्रभु दर्शन से न चूक जाएं। इसलिए पेड़ की एक डाल पर तोते का रूप धर कर हनुमान जी कथा श्रवण करते सेवानिवृत्त रोडवेज अधिकारी कहते हैं ‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’ यह दोहा सुनते ही गोस्वामी तुलसीदास का ज्ञानतंत्र जाग्रित हुआ। ध...

हर दिन डेढ सजा का लक्ष्य किया तय

हर दिन सुनाई गई डेढ़ सजा - पुलिस के साथ अभियोजन ने 716 आरोपियों को सुनाई सजा - पूरे साल में 556 मामलों में सुनाई गई सजा - बकौल एसपी चिरंजीव नाथ सिंहा, आगे और बहतर करने का होगा प्रयाश हाथरस। पुलिस ने अभियोजन के साथ मिलकर 360 दिन में 556 सजाओं के माध्यम से 716आरोपियों को अभियुक्त सिद्ध कर के जेल का रास्ता दिखाया है। अगर यह कहा जाए कि हर दिन पुलिस और अभियोजन ने मिल कर डेढ़ सजा का आंकड़ा तय किया है तो गलत नहीं होगा क्योंकि साल में 360 दिन होते हैं और सजा 556 सुनाई गई है।इससे सीधा-सीधा आंकड़ा निकलता है एक दिन में डेढ़ सजा का मापदंड तप किया गया है।हालांकि यह आंकड़ा इतना अच्छा भी नहीं है, मगर आने वाले दिनों में इसको और सुधारा जा सकता है। बीते समय से सबक लेने की आवश्यकता है कि कहां पर चूक हुई है।क्योंकि कहीं ना कहीं पुलिस गवाहों के होस्टाइल होने के कारण ही आरोपी कोअभियुक्त सिद्ध नहीं कर पाती और वह सजा से वंचित रह जाते हैं ।इसलिए यह कहना फक्र की बात है कि पुलिस ने मेहनत करते हुए हर दिन एक से ज्यादा सजा का लक्ष्य तय किया है इधर, अभियोजन ने भी रात दिन एक करते हुए अपने कार्य को अंजाम द...

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी -बाहरी प्रत्याशियों का दंश झेलता आ रहा है हाथरस -1984 तक कांगे्रस पर महरवान रही हाथरस की तनजा तो 1991 से भाजपा के प्रत्याशी को ही चुन कर संसद भेज रही जनता  संजय दीक्षित हाथरस। ‘‘अरे हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी, मुझ पल पल है तड़फाये एक दिना......’’ फिल्म ‘‘रोटी कपड़ा और मकान’’ के गाने के यह बोल लोकसभा हाथरस पर भी सटीक बैठते हैं। क्योंकि क्षेत्र की समस्या व लोगों की पीड़ा के निराकरण को अब तक हुए लोकतंत्र के 17 समरों को प्रतिनिधित्व 17 में 12 वार वाहरी लोगों को सौंपा गया है। मजे की बात तो यह है कि यह 18 लोकतंत्र के इस यज्ञ में 18 वीं वार भी आहूतियां देने के लिए लोकल प्रत्याशियों का पूर्णतः अभाव दिखाई दे रहा है। हाथरस के प्रथम सांसद नरदेव स्नातक को दुर्लभ चित्र यह हाथरस की पीड़ा ही कही जा जा सकती है कि लोकसभा के लिए यहां के मतदाताओं को अब तक 17 वार हुए मतदान में 12 वार वाहरी प्रत्याशियों को सांसद बनाकर लोकसभा भेजा है। लोगों के बोलों से निकली बातों पर जाएं तो यह सबसे बड़ी पीड़ा है कि हर विधानसभा और लोकसभा का एक अलग-अलग भौगो...