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मंत्रोच्चारण के साथ देवमूर्तियों में डाले गए प्राण

मंत्रोच्चारण के साथ देवमूर्तियों में डाले गए प्राण, नगर भ्रमण के बाद की गई प्रतिष्ठा और प्रसाद का हुआ वितरण
UP (India) 01 May सनातन धर्म में प्रचलित मूर्ति पूजा के प्रति आस्था और समर्पण भाव का दृष्यांकन 01 मई, 18 दिन मंगलवार को यूपी के हाथरस जिले के कस्बा मुरसान में देखने को मिला। यहां पर शिवालय में शिव परिवार और 11 वें रुद्र अवतार अंजनी लाल के मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम से पूर्व सभी देव मूर्तियों को नगर भ्रणमण कराया गया।
क्या मतलब है प्राण प्रतिष्ठा सेः-
सनातन धर्म में मूर्ति पूजा को भी प्रचुर स्थान पर मान्यता मिलती है। मूर्ति पूजा का मतलब है कि किसी भी देवी-देवता की पत्थर या अष्ठधातु से निर्मित मूर्ति को मंत्रोंच्चारण के साथ वेदों में दी गई पद्वति के माध्यम से गंगाजल, गाय गोबर, अनाजों, मेवाओं आदि से स्नान के बाद नगर में भ्रमण करा कर एक ऐसे पवित्र स्थान पर स्थापित यानि प्राणप्रतिष्ठित किया जाता है जहां पर नियमित पूजन-अर्चन हो और समय से प्रतिष्ठत मूर्तियों की आरती और सेवा भाव से समय-समय पर पूजन हो। ऐसी मान्यता है कि देव स्थान पर स्थापित मूर्तियों में भी प्राण भाव पैदा होजा है अर्थात प्राणप्रतिष्ठा मानी जाती है।
क्यों की जाती है  देव मूर्तियों की प्राणप्रतिष्ठाः-

वेदांत में विदित है कि प्राणप्रतिष्ठित मूर्तियों में प्राण स्थापित होने के बाद ऐसे भाव की कामना की जाती है कि स्थापित देवी-देवता हमारे संरक्षक हैं और हर समय वह हमारी रक्षा करेंगे। बुरे समय में भी वह हमरे कष्ठों को हरेंगे। दिनों दिन उनकी पूजा-अर्चन से हमारे व हमारे परिवार में उन्नति का आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
मां ब्रह्मादेवी की प्रेरणा से उनकी स्मृति में देव मूर्तियों की कराई गई है प्राणप्रतिष्ठाः-गिर्राज शर्मा
पूर्व चेयरमेन गिर्राजकिशोर शर्मा ने बताया कि उन्होंने मंदिर ठा. श्री राधागोपाल जी के प्रांगण में शिवालय श्री मनकामेश्वर महाराज यानि शिव और शिव परिवार की प्रणप्रतिष्ठा कराई है। इस मौके पर नरवर से पधारे आचार्य पं.मुकेश जी महाराज, पं.भगवाती प्रसाद शर्मा, चंद्रप्रकाश शर्मा, वंशीधर शर्मा, सुरशे शर्मा, पं.मदनलाल शर्मा आदि के अलावा पूर्व चेयरमेन  गिर्राजकिशोर शर्मा के समस्त परिजन और कस्बे के अन्य गणमान्यजनों के साथ प्राणप्रतिष्ठा से पूर्व सभी देव प्रतिमाओं का नगर भ्रमण कराया गया तदोपरांत सभी देवीदेवताओं की मूर्तियों को प्राणप्रतिष्ठित कराया गया। इस मौके पर सभी को प्रसादी का वितरण भी किया गया।

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