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भले ही पालिका के पंगा में जीत भाजपा की रही हो, लेकिन हाथरस को मिला है एक अच्छा जनसेवक

भीषण गर्मी में पानी और वह भी ठंडा मानो प्यासे को अमृत मिल गया हो उसमें भी एक जनप्रतिनिधि पिलाए यह और गौरव की बात है 
सासनी के कन्या गुरुकुल में बच्चियों को
 पानी पिलाते चेयरमैन आशीष शर्मा
UP Hathras 18 May प्यासे को पानी और भूखे को भोजन अगर मिल जाए और उसके पीछे किसी एक विशेष व्यक्ति का हाथ हो तो उस विशेष व्यक्ति को ही विशेष नहीं बल्कि जनसेवक कहते है और हाथरस में इन दिनों बतौर जनसेवक के रूप में नगर पालिका अध्यक्ष आशीष शर्मा कार्य कर रहे हैं। नगर में ठंडे जल की व्यवस्था और उसमें भी स्वयं आपने हाथों से लोगों को पानी पिलाने का कार्य सराहनीय ही नहीं बल्कि अतिउत्तम है।
अब लोग भले ही इसको प्लानिंग कहें। आप ही बाता दीजिए ऐसा कोन है जो अपने भविष्य की प्लानिंग नहीं करता। आप नहीं करते या फिर मैं नहीं करता। किसी व्यक्ति की प्लानिंग में किसी अन्य व्यक्ति का भविष्य छिपा होता है। यहां पर भी यही हो रहा है। आशीष शर्मा को आए दिन देर रात सफाई टीम के साथ सड़कों पर देखा जा सकता है। हो रहे निर्माण कार्यों को मौके पर बार-बार जाकर देखना एक अच्छे जनसेवक का ही कार्य है। भले ही लोगों
हाथरस के आगरा रोड पर दोपहर को स्कूल से लौटते
वक्त बच्चियों को पानी पिलाते चेयरमैन आशीष शर्मा
में चुने हुए व्यक्ति को जनप्रतिनिधि कहा जाता है, लेकिन वास्तव में जो अच्छा जनप्रतिनिधि होता है वह ही एक अच्छा जनसेवक होता है। क्योंकि अच्छा जनप्रतिनिधि वही होता है जो जनता की और उसके हितार्थ कार्य करता है और अपने जनाधार को लगातार धार देते हुए आने वाले मतदान दिवस के रूप में मतदान लेने का प्रथम अधिकारी होता है। यहां पर भाव स्वार्थ का नहीं होना चाहिए। क्योंकि भाव होना चाहिए सेवा का। क्योंकि मतदान अपने पक्ष में होने पर ही आगे सेवा करने का अधिकार मिलेगा।
राजनीतिक क्षेत्र का पुराधा वही माना जाता है जो एक अच्छा प्लानर हो। जो अच्छा प्लान करेगा वह ही जनता में राज करेगा। जनता के दिलों पर राज करने वाला ही बार-बार मतदान प्राप्त करने का अधिकारी होता
ब्रजवाला कुआ पर बन रही पुलिया का निरीक्षण
कर निर्देशित करते चेयरमैन आशीष शर्मा
है और उस अधिकार को प्राप्त करने के बाद ही जनसेवा का मौका मिलता है और जनसेवा का मौका मिलने के बाद ऐसा महसूस होता है जैसे प्यासे को पानी मिल गया हो और भूखे को भोजन। खैर जो भी हो नजरिया अच्छा होगा तो लोगों को आशीष में एक जनसेवक नजर आएगा और आलोचनाओं का तो कोई अंत होता नहीं है। बहरहाल हाथरस को एक अच्छे जनसेवक के रूप में आशीष जैसा जनार्दन मिल गया है। इसमें कोई दो राय नहीं है।



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