महेंद्रप्रताप ने अनेकों शिक्षण संस्थान की स्थाना बिना भेदभाव के की, लेकिन मुस्लिम युनिवर्सिटी का आधार केवल एक समुदाय विशेष रहा
संजय दीक्षित
UP (India) 07 May। जिस वक्त अलीगढ़ में हिन्दू-मुस्लिम एकता को विखंडित करने के लिए धार दी जा रही थी। उस वक्त देश की आन, वान और शान राजा महेंद्रप्रताप सिंह भारत आजादी के लिए सबकुछ त्याग कर जंगे आजादी की आधारशिला रख रहे थे। जब यूनिर्वर्सिटी में पाक का नामकरण हो रहा था तो राजा महेंद्रप्रताप विदेशों में आजाद हिन्द फौज के माध्मय से आजादी की अंतिम लढ़ाई को अंजाम देने में लगे थे।
हाथरस के कस्बा मुरसान में 1 दिसंबर 1886 में राजा मुरसान घनश्याम सिंह के यहां पर एक बच्चे का जन्म हुआ था। जिसका नाम खड़ग सिंह रखा गया। बाद में चूंकि हाथरस के राजा ह्दय नरायण के यहां पर बातौर दत्तकपुत्र बनकर आए थे और उनका नाम महेंद्रप्रताप सिंह रख दिया गया। खड़क सिंह स्वाभाव से दानी और वीर पुरुष थे। जिनकी प्रारंभिक शिक्षा हाथरस में ही हुई। बाद में यह पढ़ाई के लिए अलीगढ़ गए और एंग्लो ओरियॉंन्टल कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की शिक्षा लेते वक्त ही पढ़ाई पर विराम लगा दिया। 1906 में दाराभाई नोरोजी की अध्यक्षता वाली कलकत्ता की कांग्रेस बैठक में शम्मिलित होकर देश सेवा में लग गए।
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| सैयद अहमद खां |
देश के जिल राजा महेंद्रप्रताप ने जो किया कितना भी कहें कम रहेगा। क्योंकि उन्होंने अपने घर, परिवार और संतान तक की चिंता न करते हुए देश सेवा को प्राथमिकता दी। अपना ज्यादातर समय विदोशों में रहकर आजाद हिन्द सरकार बनाई आजाद हिन्द फौज से आक्रमण भी किए। जिससे अंग्रेजों के दांत भी खट्टे किए, लेकिन कुछ गद्दारों द्वारा उनकी सूचनाएं अंग्रेजी शासकों तक पहुंचती रही और उनके विशन में सेंधमारी होने से वह पूरी तरह सफल नहीं रहे।
शिक्षा की सोच राजा महेंद्रप्रताप और सर सैयद अहमद खांः-
अगर साहित का अध्यनन किया जाए तो जिनता काम राजा महेंद्रप्रताप सिंह ने शिक्षा क्षेत्र में लोगों लिए किया वही कार्य सर सैयद अहमद खां ने भी किया। अंतर सिर्फ इतना था कि राजा महेंद्रप्रताप सिंह सर्वधर्म संभाव के तहत शिक्षा के लिए कई शिक्षा मंदिरों की स्थापना कराई और उनमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं था। सभी को एकसमान भाव से शिक्षा की व्यवस्था था, लेकिन मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना का उद्देश्य ही यह था कि उसमें मुस्लिम भाइयों को शिक्षित और जागरूक बनाया जाए।
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| मोहम्मद अली जिन्ना |
मोहम्मद अली जिन्ना व राजा महेंद्रप्रताप सिंह और भारत की आजादीः-
अगर देश की आजादी की अगर बात करें तो राजा महेंद्रप्रताप वाकई दानी और त्यागी पुरुष थे और देश की आजादी उनका सबसे बड़ा जूनून था। आजाद भारत उनकी जिंदगी का एक प्रथम लक्ष्य था। इतिहास को उठाकर देखें तो राजा महेंद्रप्रताप अपने परिवार को छोड़कर आजादी के मिशन में लगे थे। पत्नी की मौत के वक्त भी वह युद्ध में थे। आजादी और शिक्षा के मिशन के चलते बीच में ही उनके पुत्र की मौत हो गई। प्रो.चिंतामणि शुक्ल के साहित्य को उठाकर देखें तो उसमें यह सब स्पष्ट है, लेकिन दूसरी और मोहम्मद अली जिन्न के किरदार को उठा कर देखें तो कहीं न कहीं एक समुदाय विशेष को लेकर पहल रहना और यूनिवर्सिटी के माध्यम से ही पाकिस्तान की आधारशिला रखा जाना प्रदर्शित होता है। जबकि राजा महेंद्रप्रताप सिंह बिना भेदभाव के देश की आजादी और देश में शिक्षा संस्थानों को स्थापित करते रहे।




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