फेल हो गए हो तो परेशान क्यों होते हो आइए, पाइए एडमीशन अक्टूबर में मिलेगी अच्छे अंकों से पास की डिग्री
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| पास की डिग्रियों का प्रमाण-पत्र |
UP (India) 02 May। योग्यता गई तेल लेने आपको पास की डिग्री मिलेगी। कहीं मत जाइए आ जाइऐ यूपी के हाथरस जिले के कस्बा मुरसान में। गांव बगुली में स्थापित इस डिग्री की दुकान पर पहुंचकर कागजी कार्रवाई पूरी करिए और अक्तूबर में आपको दे देगा डिग्री का यह माफिया आपको कक्षा 9, 10, 11 या फिर 12 की डिग्री। इसकी नजर में डिग्री बेचना कोई अपराध नहीं है।
कैसे सप्लाई की जाती हैं बिना पड़े बच्चों को डिग्रियांः-
जानकार सूत्रों की माने तो यह लोग ऐसे किसी भी संस्थान से अपने संबंध स्थापित करते हैं जो बोर्ड का तमगा लिए हुए होते हैं। फिर उसका करते हैं प्रचार-प्रसार। जिसमें मुख्य रूप से दो तरीके होते हैं पहलाः- इनके खुद के एजेंट होते हैं जो गांव-गांव और घर-घर पहुंचकर अभिभावकों को यह गारंटी देते हैं कि हम आपके बच्चे को अच्छे नंबरों की डिग्रियों दिलाएंगे। दूसराः- यह पंपलेट छपवाकर अखबारों के माध्यम से अपनी बात ऐसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाते हैं जहां पर योग्यता की कोई कर्द नहीं होती उनको तो केवल डिग्री चाहिए होती है। क्योंकि डिग्रियों से ही यह लोग आपने बच्चों को किसी भी संस्थान में नौकरी दिला देना ही अपनी पहल को बड़ा काम समझते हैं।
कैसे हुई लोगों में इसके लिए जागरूक चार्चाः-
बात यूपी के हाथरस की ही है घंटाघर क्षेत्र में सुबह जब एक अखबार में यह पर्चा निकला कि इसी वर्ष (अक्टूबर) में परीक्षा पास करें सार्वोच्च परीक्षा परिणाम प्रवेश प्रारंभ। अब समझिए स्पष्ट रूप से यह कहा जा रहा है कि सर्वोच्च अंक के साथ पास करें। मतलब डिग्री की दुकान।
योग्यता के समय में अब क्या होगा इन डिग्रियों काः-
हमें क्या लोगों में चर्चा सुनी तो कुछ लिख रहे हैं। आगे लोगों की सोच और समझ है। मतलब कहने का यह है कि अब देश बदल रहा है। योग्यता का दायरा बढ़ रहा है। खास तौर पर प्राइवेट क्षेत्र में योग्यता को परखा जा रहा है। सरकारी जॉव में भी अब पेंशन नहीं है और तो और वक्त डायरेक्ट सेलिंग मार्केटिंग का है और समय बदल रहा है। यानि इस प्रकार की डिगरियों का कोई औचित्य ही नहीं रह जाना है। फिर भी उसे तो डिग्री विक्री करने की पड़ी है। भाई सहाब आप भी दंग रह जाएंगे। एक तो पहले से ही ‘आ धन रक्षण’ जैसी व्यवस्था से योग्यता को बुरा झटका लगा है। उसमें भी इस प्रकार की डिग्रियों की दुकानों ने तो योग्याता का पलीता ही कर के रख दिया।


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