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वर्दी को मिला लाख का इनाम सींचेगा अनाथों के भविष्य को

यूपी के जिला हाथरस के एसपी के इस निर्णय से हो रही वाह वाह, अन्य अधिकारियों और कर्मियों को मिलनी चाहिए प्रेरणा
संजय दीक्षित
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन 18 लाख की चोरी का खुलाशा करने
पर एसपी सुशील चंद्रभान घुले को
एक लाख रुपये बतौर इनाम देते हुए
UP (India) 01 May देखिए वर्दी का त्याग, संस्कार और सरोकार, समन्वय और सभ्यता। अच्छे कार्य के लिए खुद व टीम को मिले एक लाख रुपये अनाथों के पोषण में दान में दे दिए। हाथरस सैल्युट करते हैं इस सोच और सिद्धांत को। हाथरस नमन करते हैं उस दिव्य शक्ति को जिसने ऐसे संस्कारों को पिरोया और हाथरस सुक्रिया अदा करता है उस वक्त का जो हाथरस में ऐसे पुलिस प्रमुख को लेकर आया जो वाकई एक सच्चे अधिकारी के दर्शन कराता है। 
तस नाम तस गुणः-
बहुत कम ऐसा देखने को मिला है कि जैसा व्यक्ति का नाम है वैसे ही गुण दिखाई दें, लेकिन हाथरस ने ऐसा देखा है। बोलें तो जहां पर त्याग, संस्कार, दया और मृदुभाव यह सारे गुण एकत्र हो जाएं तो समझो तसनाम, तसगुण यानि सुशील चंद्रभान घुले। अभी नहीं समझे। सुशीलः- माने कोमल, मधुर, सालीन और चंद्रभान माने चंदमा सी कांति वाले, भानु जैसा तेज लिए हुए जब यह सभी गुण मिल जायं यानि घुल जाएं तो परिणाम सुखद ही आने वाले हैं और वह आपके सामने हैं।
इनाम का एक लाख रुपये ‘मातृछाया केंद्र’
अनाथाश्रम के संचालक को बच्चों के लिए सौंपते हुए
जहां मुखिया इन तमाम गुणों को लिए हो तो टीम भी उन्हीं भावों में निवास करती हैः-
‘‘मुखिया मुख सो चाहिए, खान, पान कौं एक। पाले, पोषे सकल अंग, तुलसी कहत विवेक।।’’ अर्थात महाकवि तुलसी लिखते हैं कि जहां मुख्यि वाकई मुखित्व के भाव में रहता है वहां पर न अधीनस्त, न प्रजा, न कोई अन्य प्राणी दुखी नहीं रहता। क्योंकि वहां पर गुणों का भंडार और कर्तव्य और कर्मत्व को प्रधानता मिलती है तो संगी-साथी भी उसी सोच और संस्कार में ढल जाते हैं। मुख जैसे मुखिया का मतल है कि वह खाता अकेला है, लेकिन पूरे शरीर को पोषक तत्वों की पूर्ति करता है। जब मुखिया बढ़िया हो तो वहां परिवर्तन का दौर चलना स्वाभाविक है। यह वही पुलिस है जिस पर कई बार आरोप लगे हैं, लेकिन आज उसी पुलिस की कार्यशैली बदली हुई और सिद्धांत प्रधानता का पालन हो रहा है।
अनाथालय में पढ़ते बच्चे
क्या रही लिखने की मजबूरीः-
जहां आरोपों की खान से, कर्मठता, दया आदि गुणों से आने वाली पीढ़ी में अनेक सुशील चंद्रभान घुले बनाने की सोच हो तो निश्चित ही कलम कागज पर लेखनी की कला से काल्पनिक नहीं हकीकत को उकेरने के लिए मजबूर हो जाती है। क्योंकि एसपी हाथरस सुशील चंद्रभान घुले व उनकी टीक को अपने अच्छे कार्य के लिए बतौर ईनाम मिले एक लाख रुपयों को इस आशय से ‘मातृछाया’ अनाथ आश्रम को दान करते हैं कि यह पैसा उन बच्चों के भविष्य निर्माण में लगेगा जिनको वाकई पढ़लिख कर एक और सुशील चंद्रभान घुले बनना है। हाथरस उस सोच को भी वंदन करता है जिसने अच्छे कार्य के लिए पुलिस का उत्साहवर्धन करने की सोची।


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