हनुमान जी सर्वश्रेष्ठ कथा श्रवणायक हैंः गौरांग जी महाराज
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| कथा प्रवचन करते हुए आचार्य गौरांग जी महाराज और साथ हैं। कथा रसिक पं.सुनीलदत्त रावत |
UP Hathras10 जून, 18। ‘‘प्रभु का मान भले ही चला जाए पर भक्त का मान न जाते देखा’’ यह सत्य है। प्रभु को आपने मान की चिंता नहीं है, लेकिन वह अपने किसी भी भक्त अपमान बर्दाश्त नहीं करते। जब भद्रीनाथ यात्रा से गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज लौट रहे थे तो उदंडी बालक द्वारा उन पर किए गए पत्थर प्रहार से जब उनके चोट लगी और आंखे खुली तो वहीं पर बालक भस्म हो गया।
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| कथा श्रवण करते भक्तजन |
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| कथा श्रवण करते भक्तजन |
यह देख कर गोस्वामी तुलसीदास जी बिचलित हो गए। उन्होंने प्रभु से कहा हेनाथ यह क्या किया। तो भगवान ने कहा कि मैं भक्त की परेशानी नहीं बर्दाश्त कर सकता। जो मेरे भक्त से छेड़ता है उसका यही हश्र होता है और उसको बाद में प्रेत योनी ही मिलती है। आचार्य ने कथा प्रसंग में बताया कि अब तक के सबसे श्रेष्ठ कथा श्रवण करने वालों में महावीर हनुमान जी का नाम प्रथम आता है। क्योंकि वह व्यास जी से पूर्व कथा में पहुंचते हैं और कथा विश्राम के बाद व्यास जी के चले जाने के बाद कथास्थल को छोड़ते हैं। ‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसत तिलक लैत रघुवीर।।’’ कथा के दौरान जब भक्ति की जिद्द होती है तो हनुमान जी का प्रभु को पहचानने का इशरा था कि तिलक लैत रघुवीर।




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