गोस्वामी कृत सिद्ध हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करने से दुख, दालिद्र आदि सभी कष्टों से मुक्त हो प्रभुभक्ति का मार्ग सुलभ होता है
वाइव न्यूज नेटवर्क
UP Hathras 08 जून, 18। ‘‘रामदुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिन पैसारे। सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
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| मथुरा धाम निवासी कथा प्रवचन करते गौरांग जी महाराज |
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| रामदरबार तालाब चौक पर कथा प्रवचन सुनते श्रद्धालु भक्तजन |
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| रामदरबार तालाब चौक पर कथा प्रवचन सुनते श्रद्धालु भक्तजन |
आचार्य ने कहा बताया कि ‘‘साधु अवज्ञा कर लैही, जलहि नगर अनाकर जैसा’’ सुंदरकांड में आई इस चौपाई का बड़ा ही अपार अर्थ है। जहां पर साधु की अवज्ञा होती है वहां पर उन्नति नहीं होती। इसी प्रकार राजपुर में एक वृद्ध ने बताया कि आत्माराम दुबे के यहां पर एक बच्चे ने जन्म लिया था। जन्म लेते ही उसकी अवस्था 5 वर्ष सरी के बच्चे जैसी हो गई। रामनाम उच्चरित बच्चा उठकर चल दिया। उसके कुछ समय बाद ही आत्माराम दुबे की पत्नी का स्वर्गवास हो गया। इधर, जिस दाई ने बच्चे को पाला था उसकी मृत्यु के बाद जब आश्रम वालों ने आत्मारामदुबे के यहां आकर पूछता तो उत्तर मिला कि जो बच्चा जन्म लेते ही अपनी मां को खा गया। पालन करने वाली दाई को खा
गया, ऐसे बच्चे का यहां कोई कार्य नहीं हैं। यह वाक्य एक साधू ने सुनलिए और उन्होंने बच्चे विलक्षणता को पहचान लिया तो उन्होंने आत्माराम दुबे के परिवार को शाप दिया कि यहां पर कोई नामलेवा व पानी देवा नहीं होगा। दो मास बाद आत्माराम दुबे और दस मास में पूरे परिवार में सभी कालकप्ति हो गए।
गोस्वामी तुलसीदास के संबंध में जब गांव में जानकारी हुई तो सभी हर्षित हो उठे। वहीं पर एक ब्रह्मण परिवार की कन्या जिसका नाम रत्नावली था, विवाह हो गया। एक समय काफी समय से मायके में रह रही रत्नावली से मिलने को आतुर हुए और नदी पार कर उनके घर पर लटक रहे सर्प को पकड़कर घर में उनके कक्ष में पहुंच गए तो स्वयं रत्नावली दंग रह गई और यह कहा कि धिक्कार है मेरे प्यार और मेरे में लगी आपकी रुचि को जिसने आपको अपने मार्ग से भटका दिया। इतनी लगन अगर राम में लगाई होती तो क्या प्रतिफल मिला होता। गोस्वामी को बौध होते ही वह श्री रामभक्ति में लीन हो गए।




Gud
ReplyDeleteJai shree ram
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