पुण्यतिथि पर विशेष...
सेवादल में कर्मठता के चलते पं.जवाहरलाल को भी ठोंकनी पड़ी थी मदन की पीठ
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| पूर्व कांग्रेस सेवादल प्रभारी रहे स्व. मदनलाल ‘आजाद’ |
UP Hathras 10 July, 18। त्याग और साहस से भरी रसकी नगरी ‘हाथरस’ का इतिहास प्रतिभाओं से भरा पड़ा है। ऐसे ही इतिहास की एक कड़ी रहे स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार मदनलाल ‘आजाद’ की सेवाओं और देशभक्ति को भुलाया नहीं जा सकता है।
भले ही आज ऐसी शख्सीयत हमारे बीच में नहीं है, लेकिन उनकी पुण्यतिथि पर उनके बताए मार्ग और देश को समर्पित भावाओं के साथ अच्छे कार्यों को अंजाम देते हुए हम उनको सच्ची श्रद्धांजिलि तो दे ही सकते हैं। अगर बात हम उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की करतें तो वह वाकई ब्रज की द्वार देहरी हाथरस नगरी के एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व थे। इस संबंध में जब हमने उनके सुपुत्र गिर्राजकिशोर ‘आजाद’ ने अपने पिता यानि मदललाल ‘आजाद’ के संबंध में एक संस्मरण बताया कि एक बार आगरा में कांग्रेस सेवादल की बैठक चल रही थी। जिसके द्वारपाल की जिम्मेदारी निभा रहे सेनानी मदललाल आजाद ने देश के एकत्र हो रहे नामचीन कांग्रेसी नेताओं और जनप्रतिनिधियों को उनके पहचान-पत्र न होने पर रोक दिया था। अंदर प्रवेश न मिलने पर बात जब अंदर सभा को संबंधित कर रहे प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरूतक पहुंची तो उनको अपना संबोधन छोड़कर आना पड़ा था। मदनलाल के सेवाभाव और कार्य के प्रतिनिष्ठा और जिम्मेदारी को देखते हुए आशीर्वाद ही नहीं दिया, बल्कि स्पेशन कमेटी में उनका नाम भी दर्ज कर के लिए गए थे।
पंजाब के स्वालकोट में 10 जनवरी, 1935 में लाला चंद्रभान जी के यहां जन्मे मदनू उर्फ मदनलाल की बचपचन से ही देशभक्ति की भावना कूटकूट कर भरी हुई थी। अपनी किशोरावस्था तक उन्होंने देशी की स्वतंत्रता के लिए कार्य किया। जबकि ‘गदर’ के वक्त मदनलाल अपने पिता चंद्रभान की के साथ पंजाब छोड़कर हाथरस में शरण ली थी। स्वतंत्रता के महान स्तंभ के रूप में जाने जाने वाले स्व.मदनलाल जी ‘आजाद’ की आज 17 वी पुण्यतिथि पर हाथरस उनको नमन करता है।

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