वर्ष में 15 दिन बरसता है हाथरस में सभी धर्मों का प्यार, इसलिए ही सर्वधर्म समभाव का केंद्र है श्री दाऊजी मंदिर
संजय दीक्षित
31 अगस्त, 18। जय श्री राधे, हाथरस का ऐतिहासिक किला और मंदिर श्री दाऊजी महाराज वैसे तो खासतौर से अंग्रेजों के विरुद्ध गुलामी मुक्ति का क्षेत्र में प्रमुख केंद्र रहा है, लेकिन सर्वधर्म संभाव का केंद्र भी रहा है। खासकर हिन्दु-मुस्लिम एकता का प्रतीक आज भी यहां पर है सुबह श्री दाऊजी मंदिर पर घंटा, घड़ियाल और संखनाद की ध्वनीं तो कालेखां की मजार पर अजान की आवाज इस एकता को दर्शाती है।
आज भी काले खां की मजार और दाऊजी मंदिर है ‘‘सर्वधर्म संभाव’’ का केंद्र, क्यों है? जानेः-
जब-जब इतिहास के पन्नों को पलटा जाएगा। तब-तब
कुर्बानियों को स्वर्णिम अच्छरों में, शब्दों में, वाक्यों और पेहराओं आदि में उकेजा जाएगा। इतिहास के पन्नों पर अमिट छाप छोड़ने वाले हाथरस के जाट राजा भूरी सिंह, राजा दयाराम सिंह उनके पुत्र गोविंद सिंह, उनके उत्तराधिकारी हरनारायण सिंह और हरनारायण सिंह के बतौर दत्तकपुत्र व सच्चे देशभक्त और प्रथम हिन्द फौज के निर्माता राजा महेंद्रप्रताप सिंह को कभी भुलाया नहीं जा सकता।![]() |
| शहीद काले खां की मजार |
काले खां ने दी थी देश के लिए शहादतः-
यह ही नहीं इसके यदि दूसरे पहलू को उठाकर देखें तो राजा दयाराम के ही सिपहसालार रहे, काले खां भी आजादी के दीवानों में शामिल होना बताए जाते हैं। हालांकि इसका कहीं पर प्रमाण तो नहीं है, लेकिन उनकी मजार पर रहने वाले उनके ही वंशज गुलाब खां की जुवानी माने तो राजा दयाराम को अंग्रेजी आक्रमण से बचाने में और उनको हाथरस से निकालने में काले खां को शहादत देनी पड़ी थी।
एटा के राजकुंमारों ने निभाया था पड़ौसी धर्म, जान पर खेल कर निकाला था राजा दयाराम कोः-
गुलाब खां की माने तो काले खां अंग्रेजी सैनिकों से लड़ते रहे थे और राजा दयाराम को सुरक्षित निकालने में एटा जिले के घोलेश्वर के चारो कुंवर केशरी सिंह, राव इंद्रजीत सिंह, राव आशाराम सिंह व हीरा सिंह बचा कर निकाल ले गए थे। इस युद्ध में काले खां को शहाद मिली तो हीरा सिंह के भी गोली लगी थी और वह बुरी तरह अस्वास्थ हो गए थे, लेकिन अंग्रेजी अफसर की पत्नी ने हीरा सिंह की बहादुरी देखते हुए उसको जीवन दान दिलाया था।
श्री दाऊजी मेला आज भी निभा रहा है सर्वधर्म संभाव की रीत कोः-
ऐतिहासिक किला राजा दयाराम स्थित मंदिर श्री दाऊजी महाराज आज भी सैकड़ों वर्ष पुरानी प्रथा ‘‘सर्वधर्म
संभाव’’ को निभा रहा है। इसका जीता जागता प्रमाण तो हर समय काले खां की मजार और श्री दाऊजी मंदिर के रूप में तो है ही, लेकिन बाबू श्यामलाल और श्री गनेशीलाल मुख्तार द्वारा स्थापित मेला श्री दाऊजी महाराज भी है। इतिहास को माने तो यहां पर चलने वाले मेला श्री दाऊजी महाराज में भजन व अन्य धार्मिक कार्यक्रम हिन्दू धर्म को सिंबल प्रदान करते हैं, तो कब्बाली, मुशायरा आदि कार्यक्रम मुस्लिम धर्म को प्रवल बनाते हैं। जबकि पंजाबी दरबार पंजाबी धर्म और सर्वधर्म सम्मेलन में अन्य सभी धर्मों के विद्वजनों को सम्मानित किया जाता है।



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