Skip to main content

प्रेमी के प्यार में पति की हत्या

प्रेमी के प्यार में पति की हत्या
-मुख्य हत्यारोपी सहित चार को भेजा पुलिस ने जेल, एक अभी पुलिस पकड़ से दूर
एसएचओ सासनी शैलेंद्र सिंह मामले का खुलाशा करते हुए साथ
 खड़ी है मृतक की पत्नी लता और मुख्य हत्यारोपी सुनील
ससनी (हाथरस)। प्रेमी से प्यार का जूनुन इतना परवान चढ़ा कि प्यार में पति की हत्या ही करा दी। पुलिस के खुलाशे की माने तो बात यही ही निकलकर सामने आती है। हालांकि पुलिस ने पूरा मसोदा तैयाकर मामला अब कोर्ट को सौंप दिया है। आरोपियों को गिरफ्तार कर अलीगढ़ जेल भेजा गया है।

क्या है पूरा मामलाः-
जानकारी के मुताबिक चंद्रमोहन उर्फ गुड्डा चौधरी पुत्र स्व.राजपाल सिंह निवासी गांव गजुआ थाना हाथरस गेट व सुनील कुमार पुत्र खचेर सिंह निवासी सीकुर-अकबरपुर थाना सासनी। हाथरस के बिजली गोदाम पर नौकरी करते थे और दोनों की आपस में दोस्ती थी। चंद्रमोहन की पत्नी लता का गांव पिसावा थाना गौंडा जिला अलीगढ़ मायका था और सुनील कुमार की इसी गांव में ननिहाल थी। यही कारण था की दोनों यानि चंद्रमोहन और सुनील में संबंध बने और दोस्ती बन गई, लेकिन इस दोस्ती में जो प्रगाड़ता का पानी लग रहा था उसका मुख्य कारण था सुनील और चंद्रमोहन की पत्नी लता के अवैध संबंध। यह अवैध संबंध ही चंद्रमोहन की मौत का मुख्य कारण बने।

क्यों की गई चंद्रमोहन ही हत्याः-
पुलिस की माने तो जब सुनील और लता के बीच अवैध संबंधों की बात चंद्रमोहन को पता चली तो घर में इसका विरोध होने लगा और हालात यहां तक हो गए कि जब लता पर अंकुश लगाया गया तो भी लता बिना सुनील के नहीं रह सकी। इसकी परिणिति यह रही कि चंद्रमोहन ने भी अपनी हदें पार की और लता के साथ कढ़ाई से पैस आया मारपीट होने लगी तो कहाबत यही सिद्ध हुई की न रहेगा बांस तो न बजे की बांसुरी। मतलब चंद्रमोहन की हत्या।

पांच लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्जः-
मृतक के भाई ब्रजकिशोर पुत्र राजपाल ने पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। जिसमें से पुलिस ने 7 अक्तूबर, 18 को भूरा पुत्र पूरन सिंह निवासी गांव लौहर्रा थाना सासनी की निशान देही पर हत्या में प्रयुक्त बाइक बरामद की थी। इसी गांव के ही नौरंगीलाल शर्मा पुत्र फतह सिंह की गिरफ्तारी 10 अक्तूबर को पुलिस ने की। जबकि सुनील कुमार पुत्र खचेर सिंह निवासी गांव सीकुर सासनी को पुलिस ने 23 अक्तूबर को गिरफ्तर जेल भजा है। जबकि पांचवां और आखरी आरोपी ओमप्रकाश उर्फ ओमी पुत्र जय प्रकाश निवासी गांव गौंडा अलीगढ़ अभी फरार है और पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए संभावित स्थानों पर दबिशें दे रही है। 

Comments

Popular posts from this blog

‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’

हनुमान जी की कृपा से गुसांई बाबा को चित्रकूट के घाट पर प्रभु के दर्शन होते हैंःगौरांग जी महाराज UP Hathras11 जून, 18। चित्रकूट का घट है और गोस्वामी बाबा पथर की एक सिला पर चंदन घिर रहे हैं। कथा प्रवचन करते व्यासपीठ गौरांग जी महाराज इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके स्वामी आएंगे और मिलन होगा। अचानक वहां पर दो सुकुमार आते हैं और तुलसीदास से चंदन की मांग करते हैं, लेकिन प्रभु मिलन की आस में वह दोनों ही सुकुमारों से चंदन की मना करते हैं। महावीर जो देख रहे थे पहचान गए कि अभी भी तुलसीदास स्वामी को नहीं पहचान रहे। श्री रामदबार मंदिर में चल रही भक्तमाल कथा श्रवण करते श्रद्धालुजन कथा श्रवण करते बैंक अधिकारी कथा के दौरान आचार्य गौरांग जी महाराज इस मार्मिक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि कहीं फिर से तुलसीदास प्रभु दर्शन से न चूक जाएं। इसलिए पेड़ की एक डाल पर तोते का रूप धर कर हनुमान जी कथा श्रवण करते सेवानिवृत्त रोडवेज अधिकारी कहते हैं ‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’ यह दोहा सुनते ही गोस्वामी तुलसीदास का ज्ञानतंत्र जाग्रित हुआ। ध...

हर दिन डेढ सजा का लक्ष्य किया तय

हर दिन सुनाई गई डेढ़ सजा - पुलिस के साथ अभियोजन ने 716 आरोपियों को सुनाई सजा - पूरे साल में 556 मामलों में सुनाई गई सजा - बकौल एसपी चिरंजीव नाथ सिंहा, आगे और बहतर करने का होगा प्रयाश हाथरस। पुलिस ने अभियोजन के साथ मिलकर 360 दिन में 556 सजाओं के माध्यम से 716आरोपियों को अभियुक्त सिद्ध कर के जेल का रास्ता दिखाया है। अगर यह कहा जाए कि हर दिन पुलिस और अभियोजन ने मिल कर डेढ़ सजा का आंकड़ा तय किया है तो गलत नहीं होगा क्योंकि साल में 360 दिन होते हैं और सजा 556 सुनाई गई है।इससे सीधा-सीधा आंकड़ा निकलता है एक दिन में डेढ़ सजा का मापदंड तप किया गया है।हालांकि यह आंकड़ा इतना अच्छा भी नहीं है, मगर आने वाले दिनों में इसको और सुधारा जा सकता है। बीते समय से सबक लेने की आवश्यकता है कि कहां पर चूक हुई है।क्योंकि कहीं ना कहीं पुलिस गवाहों के होस्टाइल होने के कारण ही आरोपी कोअभियुक्त सिद्ध नहीं कर पाती और वह सजा से वंचित रह जाते हैं ।इसलिए यह कहना फक्र की बात है कि पुलिस ने मेहनत करते हुए हर दिन एक से ज्यादा सजा का लक्ष्य तय किया है इधर, अभियोजन ने भी रात दिन एक करते हुए अपने कार्य को अंजाम द...

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी -बाहरी प्रत्याशियों का दंश झेलता आ रहा है हाथरस -1984 तक कांगे्रस पर महरवान रही हाथरस की तनजा तो 1991 से भाजपा के प्रत्याशी को ही चुन कर संसद भेज रही जनता  संजय दीक्षित हाथरस। ‘‘अरे हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी, मुझ पल पल है तड़फाये एक दिना......’’ फिल्म ‘‘रोटी कपड़ा और मकान’’ के गाने के यह बोल लोकसभा हाथरस पर भी सटीक बैठते हैं। क्योंकि क्षेत्र की समस्या व लोगों की पीड़ा के निराकरण को अब तक हुए लोकतंत्र के 17 समरों को प्रतिनिधित्व 17 में 12 वार वाहरी लोगों को सौंपा गया है। मजे की बात तो यह है कि यह 18 लोकतंत्र के इस यज्ञ में 18 वीं वार भी आहूतियां देने के लिए लोकल प्रत्याशियों का पूर्णतः अभाव दिखाई दे रहा है। हाथरस के प्रथम सांसद नरदेव स्नातक को दुर्लभ चित्र यह हाथरस की पीड़ा ही कही जा जा सकती है कि लोकसभा के लिए यहां के मतदाताओं को अब तक 17 वार हुए मतदान में 12 वार वाहरी प्रत्याशियों को सांसद बनाकर लोकसभा भेजा है। लोगों के बोलों से निकली बातों पर जाएं तो यह सबसे बड़ी पीड़ा है कि हर विधानसभा और लोकसभा का एक अलग-अलग भौगो...