शरद महोत्सव में बालाजी की बिखरी रही अनौखी छटा
-देर रात तक ध्वनीविस्तारक यंत्र पर भक्तिगीतों का हुआ आयोजन और बंटती रही खीर प्रसादी
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Hathras (U.P.) 25 October,18। शरद पर बालाजी के श्रृंगार की एक छटा पाने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी, मंगला आरती के साथ शुरू हुए उत्सव की बहार देर रात तक चली। बीच में हुई श्रृंगार आरतियों और खीर व लड्डू प्रसादी का वितरण भी लोगों के लिए श्रद्धा और समपर्ण को दर्शाता रहा।
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| मां महाकाली के फूलबंगला श्रृंगार के मनोहारी दर्शनों की छटा |
हाथरस के प्रसिद्ध मंदिर हनुमान जी बालाजी महाराज पर शरद पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया। इस मौके पर कार्यक्रम की शुरूआत मंगला आरती के साथ हुई। इसके बाद हनुमान चालीसा पाठ और सुंदर कांड पाठ का आयोजन किया गया। सुबह की श्रृंगार आरती के बाद दोपहर को पट बंद होने पर खीर प्रसादी की तैयारियां शुरू हुई और शाम को दर्शनों के लिए पट खुलने के बाद भगवान के छप्पन भोग प्रसादी व फूलबंगला के श्रृंगार सजाए
गए। जबकि सायं 7 बजे श्रृंगार आरती हुई में जय जय जय हनुमान गुंसाई, कृपा करहुं गुरु देव की नाई।। के सुश्र गुंजायमान हो उठे। इस दौरान ही खीर प्रसादी और लड्डू प्रसादी का भोग
लगाया गया और प्रसादी भक्तों में वितरण के लिए पहुंच गई। देर रात तक चले इस क्रम में भक्तों का तांता लगा रहा। भक्तों को अपनी बारी आने के लिए काफी देर तक कतारबद्ध रहना पड़ा।
इस मौके पर मंदिर के सेवायत गोपाल प्रसाद गोस्वामी के अलावा नवीन कुमार वार्ष्णेय, प्रवीन कुमार वार्ष्णेय, सत्यनारायण, रमेशचंद्र अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, विकास अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल आदि सैकड़ों भक्तों का सहयोग सराहनीय रहा।
लोग करते हैं बाबा के चमत्कार को नमस्कार
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| सेवायत महंत गोपाल प्रसाद गोस्वामी |
जो भी यहां पर सच्चे दिल से अरदास लगाता है बालाजी बाबा उसको निराश नहीं करते। बाबा के मंत्र से मंत्रित धागा बांध ने तमाम आय बलाय दूर रहती हैं। जबकि बाबा का धाका बांध कर जाने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। यह जानकारी यहां पर सेवायत महंत गोपाल प्रसाद गोस्वामी ने दी। यह ही नहीं यहां के अनेकों दर्शनार्थियों का कहना है कि जो भी इनकी शरण में आ जाता है। उसके जीवन में दुख फिर मुड़कर के भी नहीं देखता। कई दर्शनार्थियों ने तो अपबीती भी सुनाई। सुनकर सभी रह गए दंग। हाथरस के ही पवन फोटो स्टिडियो के संचालक ने बताया कि एक बार वह काफी दुखी थे। परेशान हो गए तो किसी ने बताया और व बाबा के मंदिर में आ बैठे। उनकी समस्या का समाधान हुआ तो उन्होंने बाबा की फोटो खींचनी चाही, लेकिन उनके कैमरे में बाबा की तस्वीर ही नहीं आई। बाद में जब स्व. महंत ने बताया कि इसके लिए बाबा से अनुमति लेनी होगी तो आपके कैमरे में तस्वीर आ जाएगी और ऐसा ही हुआ। उन्होंने जब बाबा से आज्ञा मांगी तो तस्वीर भी आई और तभी से बाबा के हर कार्यक्रम में उनकी तस्वीर भी छपने लगी है। बहुत से परेशान लोग तो बाबा की तस्वीर ले जाकर अपने प्रतिष्ठान पर खते हैं तो रुके हुए कार्य भी चल जाते हैं।



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