धन से शुरू होने वाले पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व की हाथरस में द्वतिया तक रहेगी धूम
-इन पांचों से धनतेरस, दीपावली पूजन, गोबर्धन पूजा, भैयादूज से मिलकर बनता है पांच दिवसीय महापर्व
-प्रभु राम के अयोध्या लौटने पर मनाया गया था महादीपदान का पर्व
Hathras 05 Nov.। दीपों के महापर्व पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व का आरंभ सोमवार को प्रातः बेला से हो गई।
![]() |
| मिट्टी के ल़़क्ष्मी गणेश जी मूर्तियां बेचता दुकानदार और खरीदी करते लोग |
सर्वधर्म समभाव की बरसों से जिस परंपरा की प्रतिक रही है ब्रज की द्वार देहरी रस की नगरी ‘हाथरस’ इस बार भी इस महापर्व के प्रारंभ पर दिखई दी। जब पर्व का उठान हुआ तो घरों में घंटरिया, मंदिरों में घंटा-घड़िया और संखनाद की धून गूंजी तो मस्जिदनों में प्रथम नमाज की अजान से धनतेरस का स्वागत किया।
पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व की शुरू आत पूर्व वत सनातन धर्मी परंपराओं के अनुरूप सोमवार को प्रारंभिक बेला में हो गई। बिदित हो कि जब भक्तों के भगवान प्रभु राम जब वनगमन से लौटे थे तो पूरवासियों ने दीपदान किया था। आतिशबाजी चला उनके आगमन पर स्वागत किया था। तभी से पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व की शुरूआत है। पांच दिवसीय इस पर्व की शुरूआत तेरस यानि धनतेरस से होती है। इसके दूसरे दिन नर्म चतुदर्शी की पूजा है और फिर दीपावली पूजन का महत्व है। दीपावली में लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती और भंडारी कुबेर की पूजा का विधान है। जबकि इसके दूसरे
![]() |
| बर्तन बेचता दुकानदार और खरीदी करते लोग |
दिन गोबर्धन पूजा होती है। पांच दिवसीय पर्व का अंतिम दिन होता है भैया दूज। जिस में बहनाएं भैयाओं के लिए तिलक कर उनके उज्ज्व भविष्य की कामना करती हैं और भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं। इस पर्व पर विशेष कर महत्व यमुना स्नान का है। सभी भाई अपनी बहनाओं को यमुना स्नान कराते हैं। जिसको यमदुतिया भी कहते हैं। ऐसा करने से यम की फांस से लोग मुक्त हो जाते हैं। क्योंकि यह वरादन यमराज ने यमुना जी को दिया
था कि इस दिन जो भी अपनी बहनाओं को यमुना में स्नान कराएगा उसको यम की फांस से मुक्ति मिल जाएगी।
नगर में इस महापर्व की शुरूआत प्रभु आराधना के साथ की। खासकर जो बाजार सुबह दस बजे खुलता था आज साढ़े पांच बजे से ही सजने लग गया। बर्तन व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों ने इसमें ज्यादा फुर्ती दिखाई। जबकि सर्राफ व्यवसाई, किराना व्यवसाई आदि के अलावा लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों के विक्रेता व पटाखा व्यापारियों ने भी भोर के शोर में अपने प्रतिष्ठानों को सजाना शुरू कर दिया था। सुबह 8 बजे तक तो पूरा का पूरा बाजार तैयार था और लोग अपनी आवश्यकतानुसार खरीदारी के लिए भी निकल पड़े थे।



Comments
Post a Comment