गावहिं सबु मिल मंगल गीता, लै लै नाम राम और सीता
-हनुमान गली से निकल कर तालाब चौराह रामदरबार मंदिर में पहुंची चारों भाइयों की बारात
-नगर में धूमधाम से मनाया गया श्रीसीताराम विवाह पंचमी महामहोत्सव
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दरबाजे पर पूजन के दौरान घोड़ों पर सवार चारो दुल्हा सरकार
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बारात में शामिल श्री सियाराम के भक्तजन
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हाथरस। ‘‘प्रभु दोउ चापखंड महि डारे। देखि लोग सब भए सुखारे।। कौसिकरूप पयोनिधि पावन। प्रेम बारि अवगाहु सहावन।।’’ जैसे ही रघुवर ने शिव धनुस के दोनों खंड तोड़कर नीचे डारे तभी मिथिला के लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई। झांझि मृदंग संख सहनाई। भेरि ढोल दुंदभी सुहाई।। अति उमंग में जनकपुर में झांझि मृदंग सख सहनाई भेरि व ढोल और दुंदंभी धुन चहुंओर गुंजायमान हो उठी। बाजहिं बहु बाजने सुहाए। जहां तहं जुबतिन्ह मंगल गाए।। बहुप्रकार के बाजो की धन सुहानी लग रही थी मिथिला की महिलाएं घर-घर में मंगल गीत का रही थीं। क्योंकि माहौल ही श्री रघुवर और माता जानकी के विवाह महोत्सव का था।
मौका श्रीसीताराम विवाह महोत्सव का था और नगर के सद्गृहतस्त संत पं.भोलाशंकर जी की देखरेख में
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जनकपुर में भावरों के दौरान बिराजित प्रभु स्वरूपजन
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विवाह महोत्सव की शुरूआत बुधवार को भगवान की मंगला आरती के साथ हुई। अवधपुर नगर की हनुमान गली में श्री रामदरबार मंदिर में बनाया गया। जबकि मितिथपुरी को तालाब चौराहा स्थित राम दरबार मंदिर में सजाया गया था। दोनों ही मंदिरों में आलौकिक श्रृंगार के दर्शन के साथ श्रृंगार आरतियों का आयोजन हुआ। सायं चार बजे हनुमान गली से श्राघवेंद्र जी सहित चारों दुल्हा सरकार की बारात सजाई गई। बारात शोभायात्रा हनुमान गली से चक्की बाजार, सब्जीमंडी चौराहा, नयागंज, बाराहद्वारी, पत्थर बाजार, चौक सर्राफा, लोहट व रूई की मंडी होते हुए नजिहाई, हलवाईखाना, गुड़हाई, क्रांति चौक, पंजाबी मार्केट होते हुए स्वागत-सत्कार के
साथ मिथिपुरी के रूप में सजे तालाब चौराहा स्थित रामदरबार मंदिर पर पहुंची। जहां पर जनकपुर प्रमुख के रूप में मनोजबूटिया और उनके परिवार व सहयोगियों ने बारात की अगवानी की।
फिर वह घड़ी आई जिसका सभी इंतजार था। रामदरबार मंदिर में प्रभु की भांवरी पड़ने लगीं। कुअंरु कुअंरु कल भावंरि देहीं। नयन लाभु सबु सादर लेही। प्रभु चारों दुल्हा सरकार की भांवरें पड़ने लगे और पुरवासी नैनों का आलौकिक लाभ उठा रहे हैं। गावहिं सबु मिल मंगल गीता। लै लै नाम राम और सीता।। मिथिलापुरी की महिलाएं प्रभु राघवेंद्र सरकार और माता जानकी के नामों को ले ले कर मंगल गीत गा रही हैं। देर रात्रि तक चले इस उत्सव में प्रभु की भांवरें पड़ी और पुरी लीला का मनोहारी चित्रण रामदरबार मंदिर में गया गया।




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