नुक्कड़ नाटक में शौच, पॉलीथिन और सफाई अभियान
-ध्वनी विस्तारक यंत्र पर जब गूंजी ढोलक की थाप और हामोनियम के स्वर तो लागा लोगों का तांता
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| संस्थान के लोग हाथरस के बाहरद्वारी पर नाटक प्रस्तुत करते हुए |
हाथरस। पॉलीथिन के प्रयोग पर अंकुश, क्यों और बंदी से होने वाले लाभ पर प्रकाश, जब सब का साथ और सब का विकास तो खुले में शौच क्यों ? जब स्वच्छ और साफ रहेगा नगर तो नहीं करेंगे मच्छर परशिन। मसलन बीमारियों का होगा काम तमाम। आदि नारों, गानों, गीतों पर पद्यों के साथ-साथ ढोलक की थाप से उगी गूंज, हारमानियम के सात सुरों से हाथरस के तमाम वार्ड और मलीन बस्तियों में मची धूम तो श्रीराम ग्राम्य सेवा संस्थान के कलाकरों को देखने उमड़ पड़ी भीड़।
जी! हम बात केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के संबंध में कर रहे हैं। मौका 29 दिसंबर का जरूरता था, लेकिन श्रीराम ग्राम्य सेवा संस्थान, सासनी के कलाकारों ने जब हाथरस के विभिन्न वार्डों और शहर की मलीन बस्तियों में जब कार्यक्रम प्रस्तुत किया तो अभिनय और प्रस्तुति के चर्च-आम हो गए। संस्थान के कालारों ने जागरूता के जो फंडे अपनाए वह वाकई काबि-ले-तारीफ थे। जिसमें नुक्कड़ नाटकों को देखकर तो लोग हत प्रद थे। कालाकारों को जो संदेश था वह यह ही था कि पॉलीथिन से भले ही हमें बहुत सहूलियत है, लेकिन वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मौत का इंतजाम साबित होगी। क्योंकि पॉलीथिन न गलती है न अन्य किसी तरह से नस्ट होती है। काफी लंबे समय तक कचड़े में रहने के कारण भयंकर प्रजातियों के मच्छरों को जन्म देती है। इसका प्रयोग जितनी सहूलियतें नहीं देता, जितनी मौत की सौगात दे जाता है।
इसके अलावा नुक्कड़ नाटकों से लोगों को मिले मोटीवेशन का जो दिखाव दिखाई दे रहा था। उससे लोगों में बदलाव की चकम भी दिखाई दे रही थी। मोटीवेशन में जैसे खुले में शौच न करना। सरकार की तरफ से नगरी क्षेत्र में 8 हजार और ग्रामीण क्षेत्र में 12 हजार की सहायता राशि और उसको प्राप्त करने की सारी बातें बखूवी नुक्कड़ नाटकों में बताई जा रही थी। इसके अलावा साफ-सफाई में भी जिम्मेदारी के साथ हर नागरिक की भूमिका पर भी जोर दिया गया था।
इन नुक्कड़ नाटकों में मुख्य रूप से वीरेंद्र जैन ‘नारद’, रज्जो हाथरसी, जूली अग्रवाल, शारुख, आशू, इकरार, आसिफ, सुनील वार्ष्णेय के अलावा हर क्षेत्र के वार्ड सभासद व वहां के स्थानिय नागरिक भी काफी संख्या में मौजूद रहे।


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