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18 अप्रैल को 18 वीं वार वोट डालेंगे हाथरस के मतदाता

यह संयोग ही है कि 18 अप्रैल को हाथरस के मतदाता लोस के लिए 18 वीं वार वोट करने वाले हैं
-विशेष मांगः सांसद द्वारा तालाब ओवरब्रिज रही विशेष उपलब्ध
संजय दीक्षित
Rajesh Diwakar M.P.
हाथरस। हाथरस सुरक्षित संसदीय क्षेत्र का चुनावी इतिहास का अगर आंकड़ा उठाकर देखें तो बड़ा ही रोचक और कड़ुवा रहा है। रोचक इसलिए कि आजादी के बाद जिसको को भी चाहा भरपल्ला दिया यानि चाहें कांगे्रस रही हों या फिर भाजपा जमकर जीतें दीं, लेकिन कड़वा इसलिए कि हाथरस लगाकर वाहरी प्रत्याशियों को झेलता रहा और उसके दर्द को कोई नहीं समझ सका। मसलन उद्योग धंधे का विकास, युवाओं को रोजगार और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के लिए सत्ताएं हाथरस को ठेंगा दिखाती रहीं।
मिली चुनावी आंकड़ों की जानकारी का अगर परीक्षण करें तो हाथरस में 18 अपै्रल को 18 वें लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। हाथरस (सुरक्षित) संसदीय सीट के इतिहास पर अगर नजर डालें तो हाथरस की जनता ने अब तक कांग्रेस, भाजपा और इन दोनों के विरोधी दलों को मौका दिया। वर्ष 1984 तक यहां कांग्रेस और उसके विरोधी दलों में टक्कर होती रही। देश के पहले दो लोकसभा चुनाव यानि वर्ष 1952 और 1957 में यहां कांग्रेस के नरदेव स्नातक विजयी हुए।
Kishan Lal Diler
वर्ष 1962 में यहां आरपीआई के ज्योतिस्वरूप ने नरदेव स्नातक को पराजित कर
Chanrda Pal Shelani
दिया, लेकिन मामला कोर्ट में पहुंचा और कोर्ट ने निर्वाचन शून्य कर दिया। इस सीट के लिए फिर 1965 में उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर बाजी मारी। नरदेव स्नातक ने फिर ज्योतिस्वरूप को पराजित कर दिया। वर्ष 1967 में कांग्रेस प्रत्याशी नरदेव स्नातक ने चंद्रपाल शैलानी को हराया। उसके बाद अगला चुनाव वर्ष 1971 में हुआ। तब कांग्रेस (आई) के चंद्रपाल शैलानी ने करन सिंह वर्मा को पराजित किया। वर्ष 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर के चलते जनता पार्टी के प्रत्याशी रामप्रसाद देशमुख ने कांग्रेस (आई) के चंद्रपाल शैलानी को पटखनी दी। उसके बाद वर्ष 1980 में जनता पार्टी (एस) के टिकट पर चंद्रपाल शैलानी लड़े और उन्होेंने कांग्रेस के डॉ.धर्मपाल को पराजित
Dr.Lalvahadur Rawal
किया। वर्ष 1984 में इंका प्रत्याशी पूरनचंद्र यहां चुनाव मैदान में उतरे और बाजी मार ले गए। उन्होंने जनता दल के डॉ.बंगाली सिंह को मात दी। अगला चुनाव 1989 में हुआ। कांग्रेस के खिलाफ एकजुट हुए विपक्ष ने इस बार यहां से जनता दल के बैनर तले डॉ.बंगाली सिंह को उतारा। डॉ.बंगाली सिंह ने पूरनचंद्र को यह चुनाव हरा दिया। अगला चुनाव वर्ष 1991 में हुआ। राम लहर के चलते इस बार भाजपा ने यह सीट जीती। भाजपा ने डॉ.लाल बहादुर रावल को अपना प्रत्याशी बनाया। रावल ने जनता दल के मूलचंद्र निम को चुनाव हरा दिया। उसके बाद तो भाजपा यहां से चुनाव जीतती चली गई। वर्ष 1996 में भाजपा ने प्रत्याशी बदल दिया। किशनलाल दिलेर यहां से चुनाव मैदान में उतरे तो उन्होंने बसपा के रणवीर सिंह कश्यप को हराया। वर्ष 1998 में फिर चुनाव हुआ। भाजपा ने फिर दिलेर को मैदान में उतारा। इस बार बसपा ने गंगाप्रसाद
रामजीलाल सुमन, रालोद, सपा व
 बसपा गठबंधन प्रत्याशी
(पूर्व केंद्रीयमंत्री) व सपा राष्ट्रीय महासचिव
पुष्कर को प्रत्याशी बनाया ,लेकिन पुष्कर फिर चुनाव हार गए। इसके अगले साल फिर 1999 में चुनाव हुआ। दिलेर फिर चुनाव लड़े और उनका मुकाबला फिर बसपा के ही गंगा प्रसाद पुष्कर से हुआ और दिलेर फिर जीते। वर्ष 2004 में भाजपा के प्रत्याशी तो किशनलाल दिलेर ही रहे, लेकिन बसपा ने प्रत्याशी बदल दिया। उसने इस बार रामवीर सिंह भैयाजी को मैदान में उतारा, लेकिन फिर बसपा हार गई। पिछला यानि वर्ष 2009 का चुनाव नए परिसीमन के आधार पर हुआ। भाजपा से गठबंधन के चलते यह सीट रालोद के खाते में आई और प्रत्याशी बनी सारिका सिंह बघेल। सारिका सिंह बघेल ने बसपा के राजेंद्र कुमार को हराया। वर्ष 2014 में भाजना ने अपने प्रत्याशी के रूप में राजेश दिवाकर को टिकट दिया और वह भी विनर कंडीडेट रहे। उन्होंने सपा के मनोज सोनी को पराजित किया।
इस तरह पिछले 1991 से अब तक इस सीट पर भाजपा या उसके गठबंधन की बसपा से ही टक्कर होती रही है, लेकिन बसपा जीती एक भी बार नहीं है।
हाथरस लोकसभा क्षेत्र

       वर्ष विजयी प्रत्याशी        दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशी
01. 1952 नरदेव स्नातक (कांगे्रस) मेवाराम कश्यप
02. 1975 नरदेव स्नातक (कांगे्रस) करन सिंह वर्मा (जनसंघ)
03. 1962 ज्योतिस्वरूप (आरपीआई) नरदेव स्नातक (कांगे्रस)
04. 1965 उप. नरदेव स्नातक (कांगे्रस) ज्योतिस्वरूप (आरपीआई)
05. 1967 नरदेव स्नातक (कांगे्रस) चंद्रपाल शैलानी (आरपीआई)
06. 1971 चंद्रपाल शैलानी (कांगे्रस ई) करन सिंह वर्मा (जनसंघ)
07. 1977 रामप्रसाद देशमुख (ज.पा.) चंद्रपाल शैलानी (कांगे्रस ई)
08. 1980 चंद्रपाल शैलानी (ज.पा.एस) डाॅ.धर्मपाल सिंह (कांगे्रस)
09. 1984 पूरनचंद्र (कांगे्रस) डाॅ. बंगाली सिंह (जनता पा.)
10. 1989 डाॅ. बंगाली सिंह (जनतादल) पूरनचंद्र (कांगे्रस)
11. 1991 डाॅ.लालबहादुररावल (भाजपा) मूलचंद्र निम (जनतादल)
12. 1996 किशनलाल दिलेर (भाजपा) रणवीर सिंह कश्यप (बसपा)
13. 1998 किशनलाल दिलेर (भाजपा) गंगाप्रसाद पुष्कर (बसपा)
14. 1999 किशनलाल दिलेर (भाजपा) गंगाप्रसाद पुष्कर (बसपा)
15. 1904 किशनलाल दिलेर (भाजपा) रामवीर सिंह भैयाजी (बसपा)
16. 2009 सारिका सिंह बघेल (रालोद) राजेंद्र कुमार (बसपा)
17. 2014 रोजश दिवाकर (भाजपा) मनोज सोनी (बसपा)

2014 में भाजपा की हुई थी बड़ी जीत
त्रिलोकीराम दिवाकर कांग्रेस
प्रत्याशी व पूर्व विधायक
भाजपा ने 2014 में मोदी लहर का जमकर लाभ उठाया था और भाजपा के विजयी प्रत्याशी राजेश दिवाकर ने बसपा के मनोज सोनी को 326386 वोटों से बसपा के मनोज कुमार को पराजित किया था। इस प्रकार बसपा दूसरे, समाजवादी पार्टी तीसरे, रालोद चैथे और आप पार्टी ने पांचवा स्थान प्राप्त किया था। हालांकि इस चुनाव में 1758927 मतदाताओं ने चुनाव में सहभागिता की थी। इन मतदाओं ने 55 प्रतिशत पुरुष व 44 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। जबकि आंकड़ों में भाजपा और बसपा में 31.11 प्रतिशत वोओं का अंतर रहा था।
बेरोजगारी की दुश्मन आर्थिक आजादी का पक्षधर
 ‘‘हर्बलधारा’’ डायरेक्ट सेलिंग सिस्टम। बिना कुछ
लागए, बिना किसी रिस्क व झंझट
 के काम करने पर इनकंम की गारंटी
लोकसभा में दिवाकर की उपस्थिति रही 99 प्रतिशत
राजेश दिवाकर भाजपा के जमीनी नेता रहे है। उनका इतिहास पूरी तरह से साफसुथरा है। हालांकि उन्होंने सात मौकों पर डिवेड में हिस्सा लिया है। क्षेत्र के काफी महत्वपूर्ण मुद्दे भी संसद में उन्होंने उठाए हैं। जिसमें उन्होंने 260 सवाल सदमें पूछे हैं। उनकी सांसद
निधि का 90 प्रतिशत हिस्सा क्षेत्र में ही खर्च हुआ है। क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण मांग समझे जाने वाला तालाब चैराहे का ओवरब्रिज भी उनकी पहल पर आगे बढ़ा होना बताया जाता है। हालांकि कुछ मुद्दों पर उनका विरोध भी हुआ है। 
लोकसभा क्षेत्र में शामिल हैं पांच विधानसभा क्षेत्र
हाथरस लोकसभा में अलीगढ़ की दो विधानसभा सहित कुल पांच विधानसभाएं शामिल हैं। जिसमें अलीगढ़ क्षेत्र की इगलास और छर्रा विधानसभाएं और हाथरस, सिकंदराराऊ व सादाबाद विधानसाभाएं हाथरस की शामिल हैं।
यह हुए  प्रत्याशी घोषित
18 अप्रैल को होने वाले चुनावी समर के लिए सपा, बसपा व रालोद गठबंधन ने अपने प्रत्याशी के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री व सपा के राष्ट्रीय महासचिव को लेकर दाव खेला है। जबकि कांगे्रस ने पूर्व विधायक त्रिलोकीराम दिवाकर को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा ने समाचार लिखे जाने तक अपने पत्ते नहीं खोले थे और वर्तमान दिवाकर व आगरा की पूर्व मेयर मंजुला माहौर को लेकर काफी चर्चाओं के दौर चल रहे थे।

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