दिनदहाड़े लूटी शिक्षका, पब्लिक ने दबोचा बदमाश, पुलिस बोली मजबूरी नहीं लिखेंगे मुकदमा
-जाने क्या है कहानी और क्यों हुई पुलिस मजबूर
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| पकड़े युवक को बुरी तरह पीटते पब्लिक के कुछ युवक |
हाथरस। पब्लिक ने खुले आम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए एक चोर की सरेराह धुनाई की। हालांकि पीटने वाले ने तो काम ही पिटाई के किए थे, लेकिन काम था पुलिस का और काम कर रही थी पब्लिक। यह कोई कहानी नहीं है, हकीकत है। मजे की बात तो यह रही कि जिस शिक्षिका का मोबाइल लूट कर भाग था बदमाश उसकी कार्रवाई करने से ही मना कर दिया। रेवले पुलिस बोली ‘‘भली भई मेरी मटकी फूटी, दधि वेचन से छूटी’’ मतलब पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की और मामला हो गया आया गया।
क्या है मामलाः-
घटना मोबाइल लूट कर भाग रहे बदमाश से जुड़ी है। मोबाइल लूट कर भाग रहे चोर को तो पब्लिक ने रंगे हाथ
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| नकाव में पीड़ित शिक्षका अपने मोबाइल के साथ |
पकड़ कर गुडवर्क किया, लेकिन साथ में कानून की धज्जियां भी जमकर उड़ाई। क्योंकि चोर को पब्लिक ने सरे राह पीट। मजे की बात तो यह रही कि जब आरोपी को रेवले पुलिस को सौंपा गया तो, पुलिस ने उसे छोड़ दिया। पुलिस का कहना रहा कि जिसका मोबाइल था उसने रिपोर्ट ही दर्ज नहीं कराई।
यही चला रहा है पुराने जमाने सेः-
श्रीमान जी यह ऐसी कोई पहली घटना नहीं है। क्योंकि रेलवे क्षेत्र में पॉकेट मार और झपट्टा मार गैंगों की भर मार है, लेकिन चूंकि सिथिल सुरक्षा व्यवस्था और जगरूकता की कमी के चलते इन अवैध रूप से घटनाओं को अंजाम देने वालों पर नकेल नहीं कसी जा पा रही है। यह हाथरस के के रेवले व सिविल क्षेत्र की बात नहीं है। ज्यादातर होता यही है कि जिस व्यक्ति का माल जाता है और आसानी से मिल जाए तो वह कार्रवाई नहीं करता। इससे अपराधियों को बल मिलता है और पुलिस को मिल जाती है कार्रवाई न करने की वजह।
मथुरा निवासी एक शिक्षका के साथ हुई थी घटना घटित:-
जानकार सूत्रों की माने तो मथुरा से एक शिक्षिका हाथरस के एक गांव में बतौर प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने आती है। रोज की तरह वह शनिवार को आई थी और सिटी स्टेशन से ट्रेन से उतरते ही एक झपट्टा मार ने
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| हर्बलधारा मतलब न कोई रिस्क न कोई झंझट। बिना इनवेस्टमेंट के साथ केवल घर का सामान खरीदने से आता है पैसा। मिलके करते हैं सब कार्य। |
शिक्षिका का मोबाइल छीन कर भीड़ में से भाग छूटा, लेकिन हल्ला मचने पर कुछ युवक सक्रिय हो गए और भागते झपट्टा मार को पकड़ लिया। पहले तो पब्लिक नियम और कानून को जाक में रखकर कानून की जमकर धज्जियां उड़ाई। क्योंकि जो काम पुलिस का था वह पब्लिक ने स्वयं किया और सरे राह उस झपट्टा मार की बुरी तरह धुनाई की।
क्यों नहीं किया पुलिस ने मामला दर्जः-
बाद में जब हो हल्ला सुन कर रेलवे पुलिस बल मौके पर पहुंचा तो मथुरा से आने वाली शिक्षा घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने से पीछे हट गई। पुलिस का कहना था कि इस प्रकार पब्लिक ही हमें कार्रवाई न करने से बांध देती हैं। क्योंकि मैडम जब तक रिपोर्ट दर्ज नहीं कराएंगी हम इस चोर को जेल नहीं भेज सकते।
क्योंकिया शिक्षका ने मामला दर्ज कराने से इंकारः-
बतादें कि पीड़ित शिक्षका हाथरस के केवलगढ़ी स्थित प्राथमि विद्यालय में बतौर शिक्षिका के पद पर तैनात है। उसका रोज मथुरा से हाथरस आना होता है। जबकि पकड़ा गया युवक भी हाथरस का नहीं है। पूछताल में उसने बताया कि उसका नाम सतेंद्र है और वह अलीगढ़ के थाना इगलास के गांव गजरौठ का रहने वाला है। पिटाई के बाद भी बदमाश के थे हौंसले बुलंद और उसने कहना था कि जेल में कबतक रहूंगा मैडम फिर कभी हो सकती है मुलाकात। यह सुनते ही सहम गई थी शिक्षका का। उसका पक्ष यह था कि यह लोग आए दिन रेलों में सक्रिय रहते हैं। उनके खिलाफ मामला दर्ज कराने का मतलब है अपनी जान जोखिम में डालना। उसकी माने तो बिना सह के यह बदमाश वारदातों को अंजाम नहीं दे सकते। शिकायत दे भी तो तो पुलिस सिर्फ कोरम पूरा करती है और दुश्मनी बंधजाती है हम जैसे पीड़ितों से।
थोड़ी देर के तमाशे के बाद पुलिस का कोरम हुआ पूरा और कार्रवाई की टांय टांय फिस्सः-
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| अधिवक्ता राजपाल सिंह दिशवार |
घटना को शब्दों में ढालते वक्त तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थी। पुलिस ने कोई कार्रवाई की या फिर बदमाश को छोड़ दिया। इस संबंध में कोई पुष्ठि नहीं हो पाई है। जबकि शिक्षका भी अपनी ढगर चली गई थी और पुलिस का तो यह रहा कि ‘‘न नौ मन तेल होगा और ना राधा नाचेगी।’’ मसलन क्या पुलिस मामले को दर्ज कर आरोपी को जेल नहीं भेज सकती थी ? लेकिन कानून की जानकारी के अभाव में फिर से एक आरोपी खुलेआम वर्दी को बवाल बनाकर निकल छूटा।
क्या कहता है कानूनः-
हाथरस डिस्ट्रिक्ट बार ऐसोसिएशन के पूर्व निर्वाचन अधिकारी रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजपाल सिंह दिशवार का कहना है कि कानून में प्रावधान है कि अगर कोई शिकायतकर्ता नहीं मिलता है तो वह स्वयं मामला दर्ज कर आरोपी को जेल भेज सकती है।




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