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किले के सौंदर्य को लूटते रहे अतिक्रमणकारी और चिढ़ाते हैं वायदेखोर

किले के सौंदर्य को लूटते रहे अतिक्रमणकारी और चिढ़ाते हैं वायदेखोर
-करोड़ों खर्च हुए वाउंड्री पर फिर भी असुरक्षित किला राजा दयाराम
संजय दीक्षित
हाथरस। ‘‘चुनावी वायदे हुए धूमिल’’ के तहत अगर हम हाथरस के इतिहास की बात करें तो ऐतिहासिक धरोहर और यहां की प्राचीन पहचान में अगर कहीं अग्रणी आता है तो वह है किला राजा दयाराम स्थित मंदिर श्रीदाऊजी महाराज। इतिहास के पन्ने खंगालने 202 वर्ष पुराने इतिहासिक अवशेष मिलते हैं। क्योंकि सौंदर्यीकरण के लित तरसरहा ऐतिहासिक किला क्षेत्र आज भी वैसा है जैसा आजादी के वक्त था अगर मिला है तो सिर्फ चुनावी वायदे।
बाउंड्री की आधारशिला रखते वक्त 2006 का फाइल चित्र
किला क्षेत्र में सौंदर्यीयकरण का यह रहा है इतिहासः-
ऐतिहासिक किला राजा दयाराम का इतिहास को बहुत पुराना है। ऐतिहासिक अध्ययन से पता चलता है कि यहां पर कुषाण, मौर्य, गुप्त व राजपूत राजवंशों ने समय-समय पर शासन केंद्र बनाया। सन् 1710 के करीब जाट राजा भोज सिंह ने राजपूताना प्रभुत्व खत्म करते हुए मुरसान के बाद हाथरस पर अपना अधिपत्य किया और फिर से हाथरस किले का भव्य निर्माण करा अपनी राजधानी बनाया।  1750 में भोजसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र सदन सिंह ने राजपाट संभाला और राज्य विस्तार किया। 1760 में हाथरस के राजा सदन सिंह की सहायता से सदाशिवराव भाऊ ने दिल्ली पर
ऐतिहासिक किला स्थित मंदिर श्रीदाऊजी महराज में बिराजमान  प्रतिमएं
आक्रमण कर राज्य स्थापित किया। इसके बाद 1768 में सदन सिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र भूरी सिंह ने राज्य संभाला और यहां पर विशाल श्रीदाऊजी मंदिर का निर्माण कराया। सात वर्ष बाद उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र राजादयाराम ने राज्य संभाला था। उन्हीं के समय अग्रेजों ने श्रीदाऊजी मंदिर पर गोले दागे, लेकिन मंदिर की प्राची को हिला भी न सके थे, लेकिन वर्तमान में यहां अतिक्रमणकारियों ने कर रखा है अपना कब्जा।

प्रशासन के सहयोगे से अधिवक्ताओं और समाजेसेवियों ने शुरूकराया था वाउंड्री का निर्माण
वरिष्ठ अधिवक्ता राजपाल सिंह दिशवार
घटती सुरक्षा और बढ़ते अतिक्रमण हावी होने के चलते वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश कुमार शर्मा व सामाजिक धरोहर कल्याण समिति की पहल पर प्रशासन सजग हुआ था और पूरे किला परिक्षेत्र को एक बाउंड्री बाल के घेरे में करने के प्रयाश सार्थक उस वक्त सफल हुए जब 23 जुलाई, 2006 रविवार को पूजन के दौरान पहला पत्थर
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रखा गया था। पूजन में तत्कालीन जिलाजज एनके जैन, तत्कालीन डीएम अजय अग्रवाल, तत्कालीन एडीजे एसपी अरविंद व पुरातत्वविभाग के उपाधीक्षक एनके शर्मा के अलावा तमाम नगरवासी और अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।

बाउंड्री के बाद भी नहीं रुका अतिक्रमण
यह एक दुखद विषय है कि इतने कुछ होने के बाद भी अभी भी किला क्षेत्र में अतिक्रमण जारी है। एक आंकड़े के मुताबिक किला क्षेत्र में तकरीबन 150 लोगों के खिलाफ अतिक्रमण को लेकर शिकायत भी दर्ज है, लेकिन वह भी वह भी फाय-ले-मूमीन है।
क्या कहते हैं अधिवक्ता व पक्षधर
वरिष्ठ अधिवक्ता व विधानसभा क्षेत्र प्रभारी राजपाल सिंह दिशवार एडवोकेट कहते हैं कि किला क्षेत्र में सौंदर्यीकरण को लेकर जो प्रयास पूर्व में अधिवक्ताओं और नगर की जनता ने किए थे, वह अधिकारियों की सुस्ती के चलते अतिक्रमण पर अंकुश नहीं लगा सका है। सरकार पूर्व में भी जनहित के कार्यों को करती रही है और अगर फिर मौका मिला तो सरकार जनहित कार्यों में ही समर्पित रहेगी।

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