मतदान से पूर्व पिता दिलेर के लिए भी हुई थी बारिश, क्या बेटा भी बनकर दिखाएगा दिलेर
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| पूर्व सांसद किशनलाल दिलेर |
हाथरस। वरुण की बारिश ने यह तो सिद्ध कर दिया है कि अब कुछ जरूर अच्छा होने वाला है। क्योंकि ब्रज में जब-जब बारिश होती है तो समझलिया जाता है कि परिणामों के सार्थक दर्शन होंगे। वक्त गवाह है 1996 की चुनाव की उस पूर्व संध्या का जब मेघ बरसे थे और दिलेर सांसद चुने गए थे। एक बार फिर चुनाव से पूर्व बारिश हुई है और एक बार फिर से दिलेन चुनाव मैदान में हैं, लेकिन पिता नहीं पुत्र। परिणाम के संबंध में बोलना तो आचार संहिता के खिलाफ जाना होगा, लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि परिणाम जनता के हितकर ही होंगे।
हाथरस विधान सभा के इतिहास को उठाकर देखें तो ऐसा प्रतीत होता है कि इतिहास अपने आपको फिर से दौहरना चाहता हो। चलिए बाता ही देते हैं कि हुआ क्या था। चर्चा हम बीते काल की करें तो वक्त 1984 का था और कांगे्रस की सीट पर अलीगढ़ के पूरन चंद्र सांसद चुनकर संसद पहुंचे थे, लेकिन आगे चलकर कांग्रस की कुछ नीतियों को लेकर जनता में विरोधी स्वर थे। परिणाम 1989 में जनतादल के पक्ष में गए थे और सांसद चुने गए थे डाॅ.बंगली सिंह। बस समझ लो यहीं से देश में आरक्षण की आग झौंक दी गई और हाथरस की
जनता ने फिर अपने बदले तेवर दिखाए और 1991 में अपनी बागडोर डाॅ.रावल को जिता भाजपा के हाथ सौंप दी थी। अब बात करते हैं इतिहास की। रावल के कार्यकाल से ब्रज की द्वार देरही की जनता खुश नहीं थी, लिहाजा भाजपा ने अपना कंडीटेट बदला और अलीगढ़ के दिलेर को हाथरस में दिलेरी दिखाने की कमान सौंप दी। चूंकि
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| विधायक इगलास व भाजपा प्रत्याशी | राजवीर सिंह दिलेर |
बात अब वर्तमान की करें तो हाथरस सीट से 2014 में हाथरस के ही वर्तमान सांसद राजेश दिवाकर हैं, इस बार भाजपा ने फिर से यहां से अपना कंडीडेट बदला है और अपना प्रत्याशी बनाया है दिलेर को। मजे की बात यह है कि चुनाव से ठीक एक दिन पूर्व ब्रज की द्वार देहरी हाथरस नगरी में बारिश हुई है। अगर परिणाम मतगणना के बाद दिलेर के पक्ष में आते हैं तो इसको इतिहास दौहराना ही कहा जाएगा। हालांकि इसको लेकर हाथरस के लोगों में जमकर चर्चाएं भी बहुत हो रही हैं।
फोटोः-कोई भी चुनाव प्रचार से संबंधित
18 अप्रैल को 18 वीं बार 18 लाख मतदाता संसद के लिए करेंगे वोट
हाथरस। इतिहास के पन्नों को उठाकर देखें तो इस बार एक और इतिहास रचने जा रहा है और वह है 18 का योग। यह 18 का योग हाथरस के लिए क्या गुल दिखाएगा। वह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है, लेकिन यह बात लोगों की चर्चाओं में जरूर जमकर तैर रही है। आइए जाने क्या है 18 का योग और क्या मतलब निकलकर सामने आ रहा है।
विदित हो कि इस बार हाथरस सुरक्षित सटी के लिए 18 अप्रैल को यानि आज मतदान होने वाला है और यह मतदान हाथरस के लिए 18 वीं वार पड़ने जा रहा है। इधर सरकारी आंकड़ों को उठाकर देखें तो लोकसभा में 18 लाख, 31 हजार 216 मतदाता तीन प्रत्याशियों के लिए मतदान करने वाली है। कुल मिलाकर मुख्य चर्चा का विषय यह है कि भले ही यह लोकसभा चुनाव देश के लिए 17 वीं वार हो, लेकिन हाथरस के मतदाता इस बार 18 वीं वार वोट करेंगे। क्योंकि 1962 के चुनाव को शून्य होने के बाद 1965 में मध्यावती चुनावों में का आंकड़ा आम चुनवों से एक अंक हाथरस को आगे ले जाता है। कुल मिलाकर 18 अप्रैल को होने वाली वोटिंग में 18 लाख मतदाता और 18 वीं वार ही अपने मत का दान करेंगे।
कुल मिलाकर यह 18 का आंक लोगों में हाथरस के लिए चुनावी चर्चा में एक विशेष बात बनी हुई है।
बड़े दिलेर के लिए अंतिम बार किया था 14 लाख मतदाताओं ने वोट
हाथरस। बात अगर भाजपा की करें तो बड़े दिलेर अंतिम बार 14 लाख मतदाताओं में से चुनकर पहुंचे थे संसद
में। चूंकि अब छोटे दिलेर की बारी है तो करीब चार लाख मतदाताओं की संख्या बड़ी है। अब यह बड़े मतदाता क्या गुल खिलाने वाले हैं। इसका खुलाशा तो 23 मई को ही होगा।
जीहां! हम बात कर रहे वर्ष 2004 की जब बड़े दिलेर यानि किशनलाल दिलेर अंतिम वार हाथरस विधानसभा से चुनाव लड़े थे। उस वक्त सरकारी आंकड़ों में इस लोकसभा क्षेत्र से 14 लाख 27 हजार 208 मतदाता दर्ज थे, लेकिन अब चूंकि फिर से इस क्षेत्र से दिलेर को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है, लेकिन वह छोटे दिलेर कहे जा रहे हैं। क्योंकि वह पूर्व सांसद रहे किशनलाल दिलेर के सुपुत्र हैं और उनका नाम राजवीर सिंह दिलेर है, लेकिन इस वक्त इस क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 18 लाख, 31 हजार, 216 आंकी गई है। जिसके लिए सरकारी मशीनरी ने 1310 पोलिंग बूथ। जिसमें 11 लाख, 1 हजार, 187 मतदाता हाथरस की हाथरस, सिकंदराराऊ व सादाबाद विधानसभाओं में हैं जबकि अलीगढ़ क्षेत्र की छर्रा और इगलास विधानसभाओं में 7 लाख, 30 हजार 29 मतदाता हैं। कुल मिलाकर करीब चार लाख मतदाता इस लोकसभा क्षेत्र में वर्ष 2004 की अपेक्षा अधिक हैं।



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