Skip to main content

कर्ज के कन्हाई झूमे नौकाबिहार में

कर्ज के कन्हाई की राधा हैं वृंदावन में
नौकाबिहार दर्शन देने निकले कर्ज के कन्हाई
-पंचामृत अभिषेक से पूर्व सप्त प्रभात फेरी में उमड़ा भक्तों का सैलाब
हाथरस। ब्रज के द्वार के प्रसिद्ध ठा.कन्हैयालाल जी महाराज का दो दिवसीय कार्यक्रम सोमवार को संपन्न हो गया। जबकि कार्यक्रम का शुभारंभ रविवार को मंगला आरती के साथ शुरू हुआ था। जिसमें प्रभात फेरी, भजन-कीर्तन, बालभोग प्रसादी के बाद रविवार शाम को नौकाबिहारणय दर्शन, जबकि सोमवार को सप्त प्रभात फेरी परिक्रमा से पूर्व पंचामृत अभिषेक दर्शन आदि कार्यक्रम शामिल रहे।
रूई की मंड़ी स्थित मंदिर ठा.कन्हैयालाल जी महाराज के वार्षिकोत्सव ‘‘नौकाबिहार’’ की धूम रविवार मंगला आरती से ही शुरू हो गई। इस मौके पर भगावान ठा.कन्हैया (कर्ज के कन्हैया) का अभिषेक पूजन किया गया। भजन-कीर्तन के बाद बालभोग प्रसादी (लड्डू प्रसादी) का वितरण किया गया। जबकि श्रृंगार आरती के बाद भगवान के नौकाबिहार की सेवकों ने तैयारी की। शाम को पांच बजे से भगवान के नौकाबिहार दर्शन कराए गए। देर रात तक कर्ज के कन्हैया की भक्ति की आलौकिक छटा बिखरी रही। जबकि सोमवार को उत्वस के द्वितीय दिन मंगला आरती के बाद कर्ज के कन्हैया के पंचामृत अभिषेक किए गए और बाद में सप्त प्रभात
सप्त फेरी परिक्रमा में शामिल भक्तजन
फेरी परिक्रमा लगाई गई। इस मौके पर मंदिर परिसर से होगा रूई की मंडी, सीकनापान चैराहा, नजिहाई बाजार, चैक सर्राफा, मोती बाजार, लोहट बाजार, सादाबाद गेट तिराहा होते हुए भगवान की सात परिक्रमा लगाई गई। बाद में प्रसादी वितरण हुआ। जबकि उत्सव के तहत ही शाम को मंदिर में देर रात तक भजन-कीर्तन और प्रसादी वितरण का दौर चला।
बिना लागत के किसी भी
 रिस्क व झंझट से अलग
नंबर एक का आता पैसा
जिसका नाम है हर्बलधारा
बिजनेस। सच मायने में
बेरोजगारी पर हे तमाचा।
 मोदी जी का नारा सबका
साथ सबका विकास
राह चलने वाला
बिजनेस हर्बलधारा
इस मौके पर पं.योगेश कुमार मिश्र, मुकेश कुमार मिश्र, संजय अग्रवाल, प्रेमबिहारी अग्रवाल (भगत जी), संजय दीक्षित एडवोकेट, प्रशांत दीक्षित, चेतन पंड़ित, रजत शर्मा, कृष्णा शर्मा, लक्की पंड़ित, अंजू दीक्षित, प्रशांत दीक्षित, अभी वाष्र्णेय, मीरा देवी, रंजना, मनोरमा, रामप्रकाश, रामलाल अग्रवाल, सोहनलाल वर्मा, कस्तूरी देवी, ला. हरप्रसाद, कृष्णमुरारी, देव कुमार आदि भक्तजनों का सहयोग सराहनीय रहा।
क्यों कहते हैं कर्ज के कन्हैयाः-
इस संबंध में पं.पप्पू महाराज ने बताया कि यहां के एक लाला से वृंदावन के एक पंड़ित जी ने आवश्यकता पड़ने पर कर्ज लिया था, लेकिन वह कर्ज नहीं चुका पाए तो उन्होंने अपने मंदिर से राधाकृष्ण की मूर्ति से कृष्ण की मूर्ति उठा कर बतौर रहन रख दी और कहा कि जब आपका कर्ज मुझ पर हो जाएगा तो मूर्ति लेकर आपका कर्ज चुका दूंगा, लेकिन समय बीतता गया और बिना प्रतिष्ठा से यह मूर्ति रखी रही। बाद में उन सेठ ने जो मूर्ति लाए थे स्वप्न के बाद यहां पर प्रतिष्ठि कराई, लेकिन मंदिर की प्रगति नहीं हो पा रही थी। उसके बाद यहां पर प्रकाशलाला घी वालों के समय में छोटी राधा लाने के बाद मंदिर का यश और वैभव निरंत फलफूल रहा है। यह ही नहीं यहां की जो भी व्यक्ति सप्त परिक्रमा लगाता है उसके कष्ट दूर होते हैं। यहा बात प्रमाण है। यहां पर हर दुखिया जो आता है प्रभू की परिक्रमा लगाता है तो उसके यहां पर भी वैभव की प्राप्ति होती है। आज सैकड़ों की संख्या में यहां पर लोग आते हैं और कर्ज के कन्हाई उनके कष्ट हरते हैं व कृपा परसाते हैं। उन्होंने बताया कि पूरा वृतांत पूर्ववत रहे सेवायत पूज्यनिय पं.धनीराम जी को बता था। अब कुछ बुजूर्गों को भी इसकी जानकारी है।

Comments

Popular posts from this blog

‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’

हनुमान जी की कृपा से गुसांई बाबा को चित्रकूट के घाट पर प्रभु के दर्शन होते हैंःगौरांग जी महाराज UP Hathras11 जून, 18। चित्रकूट का घट है और गोस्वामी बाबा पथर की एक सिला पर चंदन घिर रहे हैं। कथा प्रवचन करते व्यासपीठ गौरांग जी महाराज इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके स्वामी आएंगे और मिलन होगा। अचानक वहां पर दो सुकुमार आते हैं और तुलसीदास से चंदन की मांग करते हैं, लेकिन प्रभु मिलन की आस में वह दोनों ही सुकुमारों से चंदन की मना करते हैं। महावीर जो देख रहे थे पहचान गए कि अभी भी तुलसीदास स्वामी को नहीं पहचान रहे। श्री रामदबार मंदिर में चल रही भक्तमाल कथा श्रवण करते श्रद्धालुजन कथा श्रवण करते बैंक अधिकारी कथा के दौरान आचार्य गौरांग जी महाराज इस मार्मिक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि कहीं फिर से तुलसीदास प्रभु दर्शन से न चूक जाएं। इसलिए पेड़ की एक डाल पर तोते का रूप धर कर हनुमान जी कथा श्रवण करते सेवानिवृत्त रोडवेज अधिकारी कहते हैं ‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’ यह दोहा सुनते ही गोस्वामी तुलसीदास का ज्ञानतंत्र जाग्रित हुआ। ध...

हर दिन डेढ सजा का लक्ष्य किया तय

हर दिन सुनाई गई डेढ़ सजा - पुलिस के साथ अभियोजन ने 716 आरोपियों को सुनाई सजा - पूरे साल में 556 मामलों में सुनाई गई सजा - बकौल एसपी चिरंजीव नाथ सिंहा, आगे और बहतर करने का होगा प्रयाश हाथरस। पुलिस ने अभियोजन के साथ मिलकर 360 दिन में 556 सजाओं के माध्यम से 716आरोपियों को अभियुक्त सिद्ध कर के जेल का रास्ता दिखाया है। अगर यह कहा जाए कि हर दिन पुलिस और अभियोजन ने मिल कर डेढ़ सजा का आंकड़ा तय किया है तो गलत नहीं होगा क्योंकि साल में 360 दिन होते हैं और सजा 556 सुनाई गई है।इससे सीधा-सीधा आंकड़ा निकलता है एक दिन में डेढ़ सजा का मापदंड तप किया गया है।हालांकि यह आंकड़ा इतना अच्छा भी नहीं है, मगर आने वाले दिनों में इसको और सुधारा जा सकता है। बीते समय से सबक लेने की आवश्यकता है कि कहां पर चूक हुई है।क्योंकि कहीं ना कहीं पुलिस गवाहों के होस्टाइल होने के कारण ही आरोपी कोअभियुक्त सिद्ध नहीं कर पाती और वह सजा से वंचित रह जाते हैं ।इसलिए यह कहना फक्र की बात है कि पुलिस ने मेहनत करते हुए हर दिन एक से ज्यादा सजा का लक्ष्य तय किया है इधर, अभियोजन ने भी रात दिन एक करते हुए अपने कार्य को अंजाम द...

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी -बाहरी प्रत्याशियों का दंश झेलता आ रहा है हाथरस -1984 तक कांगे्रस पर महरवान रही हाथरस की तनजा तो 1991 से भाजपा के प्रत्याशी को ही चुन कर संसद भेज रही जनता  संजय दीक्षित हाथरस। ‘‘अरे हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी, मुझ पल पल है तड़फाये एक दिना......’’ फिल्म ‘‘रोटी कपड़ा और मकान’’ के गाने के यह बोल लोकसभा हाथरस पर भी सटीक बैठते हैं। क्योंकि क्षेत्र की समस्या व लोगों की पीड़ा के निराकरण को अब तक हुए लोकतंत्र के 17 समरों को प्रतिनिधित्व 17 में 12 वार वाहरी लोगों को सौंपा गया है। मजे की बात तो यह है कि यह 18 लोकतंत्र के इस यज्ञ में 18 वीं वार भी आहूतियां देने के लिए लोकल प्रत्याशियों का पूर्णतः अभाव दिखाई दे रहा है। हाथरस के प्रथम सांसद नरदेव स्नातक को दुर्लभ चित्र यह हाथरस की पीड़ा ही कही जा जा सकती है कि लोकसभा के लिए यहां के मतदाताओं को अब तक 17 वार हुए मतदान में 12 वार वाहरी प्रत्याशियों को सांसद बनाकर लोकसभा भेजा है। लोगों के बोलों से निकली बातों पर जाएं तो यह सबसे बड़ी पीड़ा है कि हर विधानसभा और लोकसभा का एक अलग-अलग भौगो...