न्यायालय भवन निर्माण पर लगा विराम हटा
-प्रशासन ने न्याय विभाग को दिलाया नगला गजुआ में कब्जा
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| मौके पर मौजूद प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय बीडी भारती के साथ अन्य अधिकारी व बार के पदाधिकारी व अधिवक्ता |
हाथरस। ‘‘जिसका मुझे था इंतजार, जिसके लिए दिल था दिल बेकरार बो घड़ी आ गई आ गई आज’’ फिल्मी गाने के यह बोल आखिर कर आज नगला गजुआ स्थित उस भूमि पर चरितार्थ होते नजर आए जिसका बरसों से इंतजार था। क्यांेकि इसी भूमि पर न्याय का मंदिर बनेगा और बरसों का वह स्वप्न भी पूरा होगा जहां पर सभी न्यायालय एक स्थान पर नजर आएंगे। क्यांेकि प्रशासन ने आज उस भूमि का कब्जा न्यायालय प्रशासन को सौंप दिया। जिसके साक्षी बने जिला जज अरुण चंद्र श्रीवास्तव और प्रधानन्यायाधीश परिवार न्यायालय। इस मौके पर बार ने मिष्ठान्न वितरित कर बधाई दी।
3 मई 1997 को जन्मे ‘‘हाथरस’’ जिले को जिसका इंतजार था आखिर कार उस का अब वक्त मुकर्रर हो
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| मौके पर मौजूद प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय बीडी भारती के साथ अन्य अधिकारी व बार के पदाधिकारी व अधिवक्ता |
गया। क्योंकि जिले नाम पर न्यायालय क्षेत्र को लेकर जो बिखराब बना अब शायद जल्द खत्म हो जाएगा। कारण बृहस्पतिवार को जिला एवं सत्र न्यायालय के लिए अब अपनी खुद की जगह पर कब्जा मिल गया। मथुरा रोड स्थित नगला गजुआ व गोपाल (वरामई) तहसली हाथरस पर जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम ने न्याय प्रशासन को कब्जा दिला दिया। इस मौके पर स्वयं जिजा एवं सत्र न्यायाधीश ने अरुण चन्द्र श्रीवास्तव के अलावा प्रधान न्यायाधीश बीडी भारती व सिविल जज मोहम्मद आरिफ के अलावा न्यायिक कर्मचारियों में नाजिर योगेंद्रनाथ शुक्ला, अमीन रमेशचंद्र पचैरी, अनिल मिश्रा आदि मौजूद रहे। जबकि डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन की ओर से इस मौके पर अध्यक्ष लक्ष्मीकांत सारस्वत, सचिव अरविंद वशिष्ठ, पूर्व सचिव नवदीप पाठक, विनोद शर्मा व प्रेस प्रवक्ता संजय दीक्षित ने मौके पर देशी घी का मिष्ठान्न वितरित किया।
22 साल, छह महीने वाद मिला न्याय के मंदिर को स्थान
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| Devesh Dixit |
विदित हो कि विकास पुरुष के रूप में पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय ने मायावती बसपा की मायावती सरकार में 3 मई, 1997 को जिले की घोषणा हुई थी, लेकिन डीएम को मथुरा रोड पर कलेक्ट्रेट और एसपी को मेंडू रोड पर एसपी कार्यालय का स्थान मिला और वहां पर भवन भी बन कर तैयार हो गए, लेकिन अभी तक न्याय संकाय के लिए जिला भूमि के लिए जूझ रहा था, लेकिन बृहस्पतिवार 21 नवंबर, 2019 में आखिर कर 22 साल छह महीने बाद न्यायालय को अपनी भूमि मिली ही गई।
किसी सरकारी निर्माण संस्था को मिलेगा भवन निर्माण का मौका
अगर न्यायालय विभाग के सूत्रों की माने तो भले ही अभी न्याय विभाग को भूमि पर कब्जा मिल गया है। मगर यहां पर भवन निर्माण को लेकर अभी बहुत कुछ पहल होना बाकी है। यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो जल्द ही आने वाले साल में जल निगम, राजकीय निर्माण निगम या फिर पीडब्ल्यूडी को भवन निर्माण के लिए शासन का आदेश मिल सकता है।
न्याय विभाग की ओर से पहले बाउंड्रीबाल के लिए होगी पहल
भले ही न्याय विभाग को आज अपनी भूमि पर कब्जा मिल गया है, लेकिन इसके लिए पहले भूमि पूजन और फिर बाउंड्रीबाल के लिए पहल होनी है, लेकिन बिना बजट के यह सब अधूरा रहेगा। जबकि बजट शासन से प्राप्त होना है। सूत्रों की माने तो अब न्याय प्रशासन अब इस कार्य में देरी नहीं करना चाहता। सूत्र बताते हैं कि एक दो दिन में ही यहां से बाउंड्रीबाल का प्रस्ताव बन कर भेजने की तैयारियां हैं।
अत्याधुनिक माडल के रूप में होगा हाथरस न्यायालय भवन
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वह नक्शा जहां पर न्यायालय भवन बनकर होगा तैयार
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न्यायालय भवन के निर्माण को लेकर जो व्यवधान बना हुआ था वह तो 21 नवंबर, 2019 को समाप्त हो गया और इसके समाप्त होते ही अब भवन निर्माण को लेकर अटकलें भी शुरू हो गई हैं। अगर हालिया सूत्रों की माने तो हाथरस का न्यायालय भवन एक आधुनिकता के दायरे में होगा। साथ ही बजट के अनुसार अपने आप में कुछ अलग ही होगा। अगर सूत्रों की माने तो पूरा न्यायालय भवन 17.526448 हैक्टेयर भूमि में बनेगा। जिसमें अभी 0.357516 हैक्टेयर भूमि शामिल होना वाकी है।
क्या कहते हैं अधिवक्ता
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| Laxmi Kant Sawat |
अध्यक्ष डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन लक्ष्मीकांत सारस्वत का कहना है कि जब से हमने अपना पदभार संभाला है, तभी से न्यायालय भवन हमारी प्रथम प्राइटी में रहा। इसके
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| Arvin Vashishta |
लिए हमने शासन से लेकर हाईकोर्ट प्रशासन तक कई चक्कर भी लगाए और हमको सभी अधिकारियों का इस कार्य में पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। सचिव अरविंद वशिष्ठ ने बताया कि अध्यक्ष जी के कदम से कदम मिलाकर हमारा पूरी बार साथ रही है। यह ही नहीं बार की अन्य मांगों को लेकर हम काफी गंभीर हैं। जल्द ही डिस्ट्रिक्ट बार के अधिवक्तओं को एक और नई खुशी की प्राप्ति हो सकती है।
कैसा होता है जनपद जनक को इस खुशी के मौके पर






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