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केवल 3 रुपये 75 पैसे में रख गई थी पहली परशुराम शोभायात्रा की नींव, 25 सौ रुपये में हो गया था पूरा मेला

पहली शोभायात्रा की मांत्र 3.75 में रख गई थी नीवं
पहले अध्यक्ष बने थे मुन्नालाल रावत और 25 सौ रुपये में हो गया था पहला मेला
43 वें इतिहास को दौहराने निकलेगी दो अप्रैल को शोभायात्रा
43 वीं यात्रा के लिए चुने गए अध्यक्ष
रविरंजन द्विवेदी एडवोकेट
हाथरस। मेला और दशहराओं में भी अपनी एक अलग पहचान बना चुका हाथरस शहर अपने आप में भारत के दर्शन कराता है। क्योंकि यहां पर अनेता में एकता ठहराब होली के बाद से ही शुरू हो जाता है। इस बात का गवाह भगवान परशुराम शोभायात्रा भी है। जिसकी नींव मात्र 3.75 रुपये में रखी गई थी। जो 25 मार्च को फिर से अपने नए इतिहास की ओर होगा।
यह बात सन् 1977 की है। जब हाथरस अलीगढ़ जिले की एक बड़ी तहसील हुआ करता था। मेला और उत्सवों के नाम पर पहचान बना चुके हाथरस में हर जाति और समाज के मेले थे, लेकिन विप्र समाज का कोई मेला अयोजन नहीं था। इसके के लिए श्रेय जाता है तत्कालीन हैड क्लर्क बिजली काटन मिल स्व.शिवकुमार गौड़ को। उनकी पहल के
प्रथम अध्यक्ष (वर्ष 1978)
 मुन्नालाल रावत
साथ जुड़े रामकिशन शर्मा (हनुमान) सहित एक दर्जन लोग। पहली बैठक में चैत्रीय नवरात्र के प्रथम दिन भगवान श्री परशुराम शोभायात्रा निकालने का निर्णय लिया गया। जिसमें प्रथम अध्यक्ष स्व.रमेश चक्रपाणि, कोषाध्यक्ष गिर्राज गुरु, व महामंत्री के रूप में रामकिशन (हनुमान) को चुना गया और सब से प्रथम 3.75 पैसे की आई स्टेशनरी का भुगवान गिर्राज गुरु ने किया और प्रथम रसीद के रूप में स्व. जगदीश प्रसाद रंगीला 11 रुपये से कटा कर किया।
पहले अध्यक्ष पद में इस प्रकार हुआ बदलावः-
प्रथम महामंत्री रामकिशन (हनुमान) का कहना ने कि मेरे लगभग ज्यादातर साथियों का तो देहांत हो चका है, लेकिन मैं और प्रथम अध्यक्ष मुन्नालाल रावत
प्रथम महामंत्री (वर्ष 1978) 
रामकिशन शर्मा उर्फ हनुमान

इस बात के गवाह हैं शोभायात्रा के लिए जो नींव रखी गई थी आज भी बरकरा है। उन्होंने बताया कि हालांकि पहले अध्यक्ष के रूप में स्व. रमेश चक्रपाणि को चुना गया था, लेकिन अपने ही आवास पर बुलाई विप्र समाज की बैठक में मुन्नालाल रावत ने यह मांग रखी थी कि अगर समाज मुझे पहला मौका देता है तो सबसे ज्यादा चंदा और मेला महोत्सव को अनवरत बनाए रखने में वह अपना पुरजोर सहयोग करेंगे तो चक्रपाणि जी ने स्वतः ही मुन्नालाल को प्रथम अध्यक्ष के रूप में बतौर प्रस्तावक घोषित कर दिया था। उन्होंने यह भी बताया कि कुल 1800 रुपये का हुआ था चंदा और बाकी का सहयोग किया था नेता जी चित्रशाला वालों ने करीब 25 सौ रुपये में संपन्न हो गई थी पहली शोभायात्रा
इस बार की जिम्मेदारी रविरंजन द्विवेदी परः-
इस बार भगवान परशुराम शोभायात्रा अपना 43 वां इतिहास दौहराएगी और इसके लिए समाज ने मुरसान वार्ड से वरिष्ठ अधिवक्ता रविरंजन द्विवेदी को चुना है। शोभायात्रा की तैयारियां लगभग अपने अंतिम दौर में हैं और 25 मार्च को सायं चित्रकूट से आरंभ होकर शोभायात्रा नगर भ्रमण करते हुए अटलटाल के लिए निकलेगी।
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राष्ट्र धर्म ही सर्रोपरि है

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