जमीन की जंग में मौत के बाद व्यापारी की यमुना घाट पर अंत्येष्ठी
-भूमाफिया आए सोफ्ट मोड़ में, चर्चाओं में निरीक्षक और मुंशी का नाम तैरा
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| मृतक जितेंद्र टालीवाल का फाइल चित्र |
हाथरस। जमीन की जंग में भूमाफियाओं द्वारा खेली गई कवड्डी कहीं वर्दी के लिए सिदर्द न बन जाए। क्योंकि पाला अब उल्टा पड़ सकता है। इस पलटवार में आकर निरीक्षक और मुंशी पर मुसीबत आती दिखाई दे रही हैं। सदमे में हुई जितेंद्र की मौत अब लोगों की चर्चाअें आम हो गई हैं। हालांकि इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई की अपडेट नहीं है।
लालवाला पेच की जमीन पर चल रही जंग में फिलहाल भूमाफियाओं ने उल्टी गिनती शुरू कर दी है। सूत्रों की माने तो हालात ज्यादा न बिगड़ें इसलिए वह पीड़ित परिवार को साधने और अपनी उल निरीक्षक और मुंशी पर डालते दिखाई दे रहे हैं। सूत्र यह भी बताते हैं, कि फिलहाल पारिकारिक विवाद में समझौता हो रहा है। साथ ही भूमाफियाओं का जो ऊपरी दबाव था वह भी कम है। इधर सूत्रों सपोर्ट से यह भी निकल कर सामने आया है कि निरीक्षक भी अपने बचाव में सक्षम सपोर्ट तैयार कर रहे हैं, लेकिन अगर निरीक्षक भी अपने आपको बचाने में सफल रहे तो बैचारे मंुशी जी का क्या होगा।
दूसरी ओर जितेंद्र टालीवाल की शनिवार तड़के हुई सदमे से मौत के बाद उनकी मथुरा के यमुना घाट पर अंत्येष्ठी की गई और उनके श्रेष्ठ पुत्र ने उन्हें मुखाग्नि दी। पूरे दिन मृतक पीड़ित के घर में करुण-क्रंदन होता रहा और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को परिजन कोशते रहे।
क्या था पूरा मामलाः-
जनकारी सूत्रों की माने तो बीएच मिल रोड लालवाला पेच में एक भूभाग ऐसा है जो मृतक जितेंद्र के परिवार का सामिलाती है। इस भूमि को लेकर नगर के भूमाफियाओं की नजरें पैनी थीं। सूत्र बताते हैं, मृतक तीन भाई है। जिसमें से दो को डरा या धमका कर भूमाफियाओं ने मैनेज कर लिया था, लेकिन जितेंद्र टालीवाल इसके लिए तैयार नहीं थी। इसमें एक बिलेन की भूमिका निभाई निरीक्षक ने और सहायता की मुंशी ने। प्लानिंग के साथ जितेंद्र टालीवाल को मौत के तीन दिन पहले कोतवाली बुलाया गया था। सूत्रों के मुताबिक उनको जमकर वर्दी के कारिंदों द्वारा मानसिक प्रताड़ना दी गई थीं। तभी से मृतक सदमे में थी और आज सुबह तड़के उके ह्रदय की गति रुक गई।

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