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नथानाम मरकर के भी जिंदा है अपनी स्वांग विधा में: राकेश

नथानाम मरकर के भी जिंदा है अपनी स्वांग विधा में: राकेश
-ताज महोत्सव में मरणो उपरांत स्वांग सम्राट को नवाजा गया सम्मान
हाथरसहिन्दी लोक साहित्य में स्वांग विधा के पुरोधा रहे स्व.नथाराम शर्मा गौड़ को मरणों उपरांत आगरा के सूरसदन स्थित ताज महोत्सव में अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया। इस सम्मान के साक्षी बने स्वांग सम्राट के पौत्र और परपौत्र।
‘श्री काव्यकला परिषद आगरा के अध्यक्ष डॉ. राकेश
 कुमार अग्रवाल राहुल गौर को सम्मानित करते हुए
आगरा के सूरसदन में आयोजित इस सम्मान समारोह में वक्ताओं ने कहा कि क्या आपने कभी ऐसा देखा और सुना है कि मरने के बाद भी आदमी जिंदा रहता है ? लेकिन ऐसा है और वह आप देख सकते हैं साहित्य में, लोक कलाओं में, खेलों में व सामाजिक कार्यों में अपनी अच्छी शख्सियत के बाद वह मरने के बाद भी लोगों की जुवां और चर्चाओं में जीवित रहते हैं। आज वही नजारा है कि भले ही स्वांग सम्राट नथाराम शर्मा गौड़ हमारे बीच नहीं है, लेकिन स्वांग विधा को एक नई राह और दिशा देने में जो योगदान रहा वह अनुकरणीय है। आज उनके न होते हुए भी उनके होने का अहसास स्वांग मंचन में उपस्थित दर्ज कराता है।
सम्मन के साथ राहुल गौड़ अपनी पत्नी ज्योतिगौड़ के साथ
इस सम्मान से ओतप्रोत उनके प्रपौत्र राहुल गौड़ ने कहा कि आज भले ही हमारे परबाबा नहीं हैं, लेकिन दिवंगत होने के बाद भी उनके कारण हमारा जो सम्मान हुआ है उसको हम कभी भुला नहीं सकते हैं। उन्होंने इच्छा जाहित करते हुए कहा कि यदि सरकार स्वांग विधा के लिए पहल करे तो वह भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ
करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि ताज महोत्सव के दौरान 27 फरवरी, 2020 को सूरसदन आगरा में हमारे परबाबा स्वांग सम्राट स्व. पंडित नथाराम शर्मा गौड़ को अंग वस्त्र पहना कर उनका सम्मान किया गया। इन सौभाग्य के पलों में मेरे साथ पत्नी ज्योति गौड़ के संग और पिता पंडित गौरी शंकर गौड़ को भी

हर्ष की अनुभूति कराई। इस सम्मान को प्राप्त करते वक्त हमने अपने परबाबा की उपस्थति का अहसास भी किया। हमारे बाबा नोटंकी विधा के खयाली लेखक, गायक, निर्देशक के रूप में शसक्त और दक्ष थे। उन्होंने देश में ही नहीं अपितु विदेशो में भी अपनी विधा का लोहा मनवाया था। भारत के अलावा उन्होंने कनाडा, सिंगापुर, मलेशिया, फिजी आदि विदेशों की धरती पर भी हाथरस का परिचम फहराया था। राहुल गौड़ ने बताया कि यह सम्मान ‘श्री काव्यकला परिषद आगरा के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार अग्रवाल, संरक्षक श्री

भगवान शर्मा, उपाध्यक्ष शांति स्वरूप अग्रवाल एवं पंडित नथाराम गौड़ लोक-साहित्य शोध संस्थान के महासचिव डॉ. खेमचंद यदुवंशी आदि के द्वारा यह हमारे बाबा साहब को दिया गया। हम उनके वारिसान होने पर अपने आप को बहुत ही सौभाग्यसाली समझते हैं। हमारे बाबा खाटू श्याम के अनन्त भक्त भी थे। इसलिए ही श्याम पे्रस के नाम से ही उन्होंने प्रेस यानी छापाखाने के स्थापना भी हाथरस के अलीगढ़ रोड़ पर की थी।

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