Skip to main content

देश हित में न निकलें घरों से बाहर: योगी आदित्यनाथ

तीसरी स्टेज हो सकती है खतरनाक,
जाने क्या है कोरोना की प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्टेज
-नादानी न बरतें, आपकी और अपनों की सुरक्षा के लिए पढ़ें और पढ़ाएं
-सर्वोत्तम उपाय घर पर ही रुकें न निकलें और न किसी को निकलने दें
हाथरस। यह तो सभी को पता है कि नोवल कोराना वायरस एक भयंकर जानलेवा वायरस है। इसको लेकर यूपी के अलीगढ़ व आगरा सहित 15 जिलों को लाॅकडाउन किया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री जी ने अब पूरे प्रदेश में 25 से 27 मार्च 2020 तक लाॅकडउन की घोषणा की है। क्योंकि इस भयंकर वायरस से निजात पाने का बस लाॅकडाउन ही एक मात्र निदान है। यह वायरस खासकर विदेश से आए लोगों से फेल रहा है। चिंता का विषय है कि हाथरस भी इससे अछूता नहीं है क्योंकि यहां पर भी कहीं न कहीं किसी न किसी तरह से लोग आगरा-अलीगढ़ के संपर्क में हैं। किसी भी तरह की लापरवाही लोगों की जानके लिए सबब बन सकती है।
बेहद सतर्कता ही इससे बचाव का प्रथम उपचार हैः-
अगर कोई भी व्यक्ति पाॅजीटिव पाया जाता है तो उसको तत्काल आईसोलेशन वार्ड में सिफ्ट कर दिया जाए।
यहां पर ही प्रथम स्टेज में ही नोवल कोरोना वायरस परास्त हो जाएगा। लेकिन फिर भी कुछ नादान लोगों द्वारा दूसरे स्टेज में इसको पहुंचादेते हैं तो मामला हो जाता है खतरनाक।
आप सभी से निवेदन घरों में
 ही रहें बाहर न निकलें,
मास्क का प्रयोग करें और
लगातार हर घंटे
हाथ धोते रहेें
क्या है प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्टेजः-

प्रथम स्टेज: अगर कोई व्यक्ति विदेश से लौटता है और वह नोवल कोरोना से पाॅजीटिव है, लेकिन एयरपोर्ट पर वह पकड़ में नहीं आता है, लेकिन फिर भी वह आईसोलेटड रहता है (मसलन 14 दिन तक एक ही कमरे में बंद,
परिवार वालों से भी बिलकुल अलग) तो प्रथम स्टेज खत्म हो जाती है।
द्वितीय स्टेज: अगर कोई व्यक्ति विदेश से लौटता है। एयरपोर्ट पर वह पकड़ में नहीं आता है, लेकिन वह नोवल कोरोना वायरस की चपेट में है और वह आईसोलेटड नहीं रहता है तो वह अपनी चपेट में आने वाले हर व्यक्ति को कोरोना का मरीज बना देगा।
तृतीय स्टेज: जो व्यक्ति विेदेश से आता है और वह आइसोलेटेड न रहकर लोगों के संपर्क में रहता है और अगर वह व्यक्ति जिस-जिस व्यक्ति के संपर्क में आता है वह व्यक्ति भी नादानी में कोरोना को अन्य लोगों में पहुंचा देते हैं और यह बड़ी ही भीषण समस्या है बन जाती है और न जाने कितनों की मौत कुछ नादानों की बजह से हो जाती है। 
क्या है हाथरस की स्थितिः- बड़े वेपरवाह और लापरवाह हैं यहां के लोग। थोड़ी सी नादानी में हालात बिगड़ सकते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’

हनुमान जी की कृपा से गुसांई बाबा को चित्रकूट के घाट पर प्रभु के दर्शन होते हैंःगौरांग जी महाराज UP Hathras11 जून, 18। चित्रकूट का घट है और गोस्वामी बाबा पथर की एक सिला पर चंदन घिर रहे हैं। कथा प्रवचन करते व्यासपीठ गौरांग जी महाराज इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके स्वामी आएंगे और मिलन होगा। अचानक वहां पर दो सुकुमार आते हैं और तुलसीदास से चंदन की मांग करते हैं, लेकिन प्रभु मिलन की आस में वह दोनों ही सुकुमारों से चंदन की मना करते हैं। महावीर जो देख रहे थे पहचान गए कि अभी भी तुलसीदास स्वामी को नहीं पहचान रहे। श्री रामदबार मंदिर में चल रही भक्तमाल कथा श्रवण करते श्रद्धालुजन कथा श्रवण करते बैंक अधिकारी कथा के दौरान आचार्य गौरांग जी महाराज इस मार्मिक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि कहीं फिर से तुलसीदास प्रभु दर्शन से न चूक जाएं। इसलिए पेड़ की एक डाल पर तोते का रूप धर कर हनुमान जी कथा श्रवण करते सेवानिवृत्त रोडवेज अधिकारी कहते हैं ‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’ यह दोहा सुनते ही गोस्वामी तुलसीदास का ज्ञानतंत्र जाग्रित हुआ। ध...

हर दिन डेढ सजा का लक्ष्य किया तय

हर दिन सुनाई गई डेढ़ सजा - पुलिस के साथ अभियोजन ने 716 आरोपियों को सुनाई सजा - पूरे साल में 556 मामलों में सुनाई गई सजा - बकौल एसपी चिरंजीव नाथ सिंहा, आगे और बहतर करने का होगा प्रयाश हाथरस। पुलिस ने अभियोजन के साथ मिलकर 360 दिन में 556 सजाओं के माध्यम से 716आरोपियों को अभियुक्त सिद्ध कर के जेल का रास्ता दिखाया है। अगर यह कहा जाए कि हर दिन पुलिस और अभियोजन ने मिल कर डेढ़ सजा का आंकड़ा तय किया है तो गलत नहीं होगा क्योंकि साल में 360 दिन होते हैं और सजा 556 सुनाई गई है।इससे सीधा-सीधा आंकड़ा निकलता है एक दिन में डेढ़ सजा का मापदंड तप किया गया है।हालांकि यह आंकड़ा इतना अच्छा भी नहीं है, मगर आने वाले दिनों में इसको और सुधारा जा सकता है। बीते समय से सबक लेने की आवश्यकता है कि कहां पर चूक हुई है।क्योंकि कहीं ना कहीं पुलिस गवाहों के होस्टाइल होने के कारण ही आरोपी कोअभियुक्त सिद्ध नहीं कर पाती और वह सजा से वंचित रह जाते हैं ।इसलिए यह कहना फक्र की बात है कि पुलिस ने मेहनत करते हुए हर दिन एक से ज्यादा सजा का लक्ष्य तय किया है इधर, अभियोजन ने भी रात दिन एक करते हुए अपने कार्य को अंजाम द...

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी -बाहरी प्रत्याशियों का दंश झेलता आ रहा है हाथरस -1984 तक कांगे्रस पर महरवान रही हाथरस की तनजा तो 1991 से भाजपा के प्रत्याशी को ही चुन कर संसद भेज रही जनता  संजय दीक्षित हाथरस। ‘‘अरे हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी, मुझ पल पल है तड़फाये एक दिना......’’ फिल्म ‘‘रोटी कपड़ा और मकान’’ के गाने के यह बोल लोकसभा हाथरस पर भी सटीक बैठते हैं। क्योंकि क्षेत्र की समस्या व लोगों की पीड़ा के निराकरण को अब तक हुए लोकतंत्र के 17 समरों को प्रतिनिधित्व 17 में 12 वार वाहरी लोगों को सौंपा गया है। मजे की बात तो यह है कि यह 18 लोकतंत्र के इस यज्ञ में 18 वीं वार भी आहूतियां देने के लिए लोकल प्रत्याशियों का पूर्णतः अभाव दिखाई दे रहा है। हाथरस के प्रथम सांसद नरदेव स्नातक को दुर्लभ चित्र यह हाथरस की पीड़ा ही कही जा जा सकती है कि लोकसभा के लिए यहां के मतदाताओं को अब तक 17 वार हुए मतदान में 12 वार वाहरी प्रत्याशियों को सांसद बनाकर लोकसभा भेजा है। लोगों के बोलों से निकली बातों पर जाएं तो यह सबसे बड़ी पीड़ा है कि हर विधानसभा और लोकसभा का एक अलग-अलग भौगो...