Skip to main content

कोरोना ने बदला विप्रों का 41 वर्ष पुराना इतिहास, यात्रा अक्षय तृतीया को

25 मार्च को सिर्फ नवसंवत की पूजा होगी वह भी अपने-अपने घरों पर 
-जबकि अक्षय तृतीय को नगर में धूम मचाएगी परशुराम शोभायात्रा
-परशुराम जी महाराज
शोभायात्रा अध्यक्ष
रविरंजन द्विवेदी एडवोकेट
हाथरस। नोवल कोरोना वायरस के चलते 41 वर्ष पुराना इतिहास बदलने जा रहा है। कयोंकि विप्र समाज द्वारा 25 मार्च को निकाले जाने वाली भगवान श्री परशुराम जी 42 वीं शोभायात्रा अब स्थिगित हो गई है। हालात संभलने पर इसके लिए दूसरी तिथि तय की जा सकती है।
यह कहना है कि 42 वीं शोभायात्रा के लिए बतौर अध्यक्ष चुने गए वरिष्ठ अधिवक्ता रविरंजन द्विवेदी का। उन्होंने बताया कि मुझे इस बार का कष्ठ हो रहा है कि भगवान श्री परशुराम जी की शोभायात्रा स्थिगत करनी पड़ रही है, लेकिन जो महामारी हमारे पड़ोसी देश ने पूरे विश्व को दी है। पहले उससे सुरक्षा जरूरी है। भले ही यात्रा दिन और समय बदल जाय, लेकिन देश में कोई जनहानी नहीं होनी चाहिए। यह वक्त देश और समाज
के साथ एकजुट रहने का है और देश के सर्वोच्च नेतृत्व के साथ चलने का है।
घरों से न निकलें,
 लगतार हाथों को
धोते रहें, मुंह पर
मास्क का प्रयोग करें
ळालांकि उन्होंने यह भी बताया कि अगर भगवान श्री परशुरामजी की जन्मजंती के वक्त यानि अक्षय तृतीय को हालात ठीक रहे तो शोभायात्रा को अक्षय तृतीय के दि नही निकाला जा सकता है, लेकिन इसके लिए पहले
समाज और शोभायात्रा संचालन समिति से भी सहमति लेना आवश्यक है, लेकिन देश में व्याप्त कोरोना महामारी के सामने किसी भी हालत में शोभायात्रा का संचालन होना संभव नहीं है। उन्होंने भगवान परशुराम से जल्द से जल्द इस महामारी से छुटकारा दिलाने की कामना भी की है।


Comments

Popular posts from this blog

‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’

हनुमान जी की कृपा से गुसांई बाबा को चित्रकूट के घाट पर प्रभु के दर्शन होते हैंःगौरांग जी महाराज UP Hathras11 जून, 18। चित्रकूट का घट है और गोस्वामी बाबा पथर की एक सिला पर चंदन घिर रहे हैं। कथा प्रवचन करते व्यासपीठ गौरांग जी महाराज इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके स्वामी आएंगे और मिलन होगा। अचानक वहां पर दो सुकुमार आते हैं और तुलसीदास से चंदन की मांग करते हैं, लेकिन प्रभु मिलन की आस में वह दोनों ही सुकुमारों से चंदन की मना करते हैं। महावीर जो देख रहे थे पहचान गए कि अभी भी तुलसीदास स्वामी को नहीं पहचान रहे। श्री रामदबार मंदिर में चल रही भक्तमाल कथा श्रवण करते श्रद्धालुजन कथा श्रवण करते बैंक अधिकारी कथा के दौरान आचार्य गौरांग जी महाराज इस मार्मिक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि कहीं फिर से तुलसीदास प्रभु दर्शन से न चूक जाएं। इसलिए पेड़ की एक डाल पर तोते का रूप धर कर हनुमान जी कथा श्रवण करते सेवानिवृत्त रोडवेज अधिकारी कहते हैं ‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’ यह दोहा सुनते ही गोस्वामी तुलसीदास का ज्ञानतंत्र जाग्रित हुआ। ध...

हर दिन डेढ सजा का लक्ष्य किया तय

हर दिन सुनाई गई डेढ़ सजा - पुलिस के साथ अभियोजन ने 716 आरोपियों को सुनाई सजा - पूरे साल में 556 मामलों में सुनाई गई सजा - बकौल एसपी चिरंजीव नाथ सिंहा, आगे और बहतर करने का होगा प्रयाश हाथरस। पुलिस ने अभियोजन के साथ मिलकर 360 दिन में 556 सजाओं के माध्यम से 716आरोपियों को अभियुक्त सिद्ध कर के जेल का रास्ता दिखाया है। अगर यह कहा जाए कि हर दिन पुलिस और अभियोजन ने मिल कर डेढ़ सजा का आंकड़ा तय किया है तो गलत नहीं होगा क्योंकि साल में 360 दिन होते हैं और सजा 556 सुनाई गई है।इससे सीधा-सीधा आंकड़ा निकलता है एक दिन में डेढ़ सजा का मापदंड तप किया गया है।हालांकि यह आंकड़ा इतना अच्छा भी नहीं है, मगर आने वाले दिनों में इसको और सुधारा जा सकता है। बीते समय से सबक लेने की आवश्यकता है कि कहां पर चूक हुई है।क्योंकि कहीं ना कहीं पुलिस गवाहों के होस्टाइल होने के कारण ही आरोपी कोअभियुक्त सिद्ध नहीं कर पाती और वह सजा से वंचित रह जाते हैं ।इसलिए यह कहना फक्र की बात है कि पुलिस ने मेहनत करते हुए हर दिन एक से ज्यादा सजा का लक्ष्य तय किया है इधर, अभियोजन ने भी रात दिन एक करते हुए अपने कार्य को अंजाम द...

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी -बाहरी प्रत्याशियों का दंश झेलता आ रहा है हाथरस -1984 तक कांगे्रस पर महरवान रही हाथरस की तनजा तो 1991 से भाजपा के प्रत्याशी को ही चुन कर संसद भेज रही जनता  संजय दीक्षित हाथरस। ‘‘अरे हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी, मुझ पल पल है तड़फाये एक दिना......’’ फिल्म ‘‘रोटी कपड़ा और मकान’’ के गाने के यह बोल लोकसभा हाथरस पर भी सटीक बैठते हैं। क्योंकि क्षेत्र की समस्या व लोगों की पीड़ा के निराकरण को अब तक हुए लोकतंत्र के 17 समरों को प्रतिनिधित्व 17 में 12 वार वाहरी लोगों को सौंपा गया है। मजे की बात तो यह है कि यह 18 लोकतंत्र के इस यज्ञ में 18 वीं वार भी आहूतियां देने के लिए लोकल प्रत्याशियों का पूर्णतः अभाव दिखाई दे रहा है। हाथरस के प्रथम सांसद नरदेव स्नातक को दुर्लभ चित्र यह हाथरस की पीड़ा ही कही जा जा सकती है कि लोकसभा के लिए यहां के मतदाताओं को अब तक 17 वार हुए मतदान में 12 वार वाहरी प्रत्याशियों को सांसद बनाकर लोकसभा भेजा है। लोगों के बोलों से निकली बातों पर जाएं तो यह सबसे बड़ी पीड़ा है कि हर विधानसभा और लोकसभा का एक अलग-अलग भौगो...