Skip to main content

हर पर्व और त्योहार में छिपा है शैक्षिक संदेश और सौहार्दता : जिला जज

हर पर्व और त्योहार में छिपा है शैक्षिक संदेश Or सौहार्दता

-डिस्ट्रिक्ट बार के होली मिलन में बोले जिला जज
हाथरस। भारतीय परिवेश का हर पर्व और त्योहार हमें शैक्षिक संदेश देता है और सौहार्दता की ओर ले जाता है।
डिस्ट्रिक्ट बार के होली मिलन समारोह में मौजूद
सभी न्यायिक अधिकारी व अधिवक्तागण
उसमें भी हाथरस की हर बात निराली है। होली के इस पावन पर्व पर आप सभी को होली की शुभकामनाएं। खासकर कलाकारों की प्रस्तुति है लिए भी धन्यवाद।
यह उद्गार जिला एवं सत्र न्यायाधीश विवेक सांगलन ने डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के हुए होली मिलन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत डिस्ट्रिक्ट बार हाॅल में स्थित मां शारदा मंदिर में पूजन-अर्चन के बाद शुरू हुआ। कार्यक्रम में अशोक शर्मा एंड पार्टी ने ‘होली में रे मेरे लग जायगी मत मारे दृगन की चोट’, ‘ऐसो चटक रंग डारो, मेरी चोलीउ कर गयो लाल री’ आदि ब्रज की होली गायन, ब्रज होली गीत और होली पैरोड़ी पर तमाम संगीतमय कार्यक्रम प्रस्तुत
होली गायन सुनाते कलाकार
किए। इस दौरान सभी अधिवक्ताओं ने अधिकारियों संग फूल की होली खेली। साथ ही इस मौके पर खासतौर से केरोना वायरस के बचाव के लिए सभी आपस में हाथ जोड़ कर एकदूसरे से नमस्ते कर होली की शुभकामनाएं दीं और इस वायरस से बचाव को ही उचित उपाय बताया। इसके बाद सभी अधिवक्ताओं ने आपस में एकदूसरे के गुलाल लगाकर के भी होली की शुभकामनाएं दीं।
खासकर इस मौके पर अध्यक्ष लक्ष्मीकांत सारस्वत, सचिव अरविंद वशिष्ठ, सीपी शर्मा, प्रमोद कुमार गुप्ता, राजेंद्र शर्मा, अपर शासकीय अधिवक्ता राजपाल सिंह दिशवार, यतेंद्र शर्मा, गौतेंद्र सिंह, नवदीप पाठक, विनोद कुमार शर्मा बंटी, राधेलाल पचैरी, रामकुमार गुप्ता, शशांक सारस्वत, योगांश पाराशर, देवेश दीक्षित, सुधीर चैधरी, त्रिलोकी शर्मा, संदीपक कुमार वर्मा व प्रेव प्रवक्ता संजय दीक्षित एडवोकेट आदि सभी अधिवक्ता मौजूद थे।
रिपोर्ट बाई
देवेश दीक्षित

Comments

Popular posts from this blog

‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’

हनुमान जी की कृपा से गुसांई बाबा को चित्रकूट के घाट पर प्रभु के दर्शन होते हैंःगौरांग जी महाराज UP Hathras11 जून, 18। चित्रकूट का घट है और गोस्वामी बाबा पथर की एक सिला पर चंदन घिर रहे हैं। कथा प्रवचन करते व्यासपीठ गौरांग जी महाराज इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके स्वामी आएंगे और मिलन होगा। अचानक वहां पर दो सुकुमार आते हैं और तुलसीदास से चंदन की मांग करते हैं, लेकिन प्रभु मिलन की आस में वह दोनों ही सुकुमारों से चंदन की मना करते हैं। महावीर जो देख रहे थे पहचान गए कि अभी भी तुलसीदास स्वामी को नहीं पहचान रहे। श्री रामदबार मंदिर में चल रही भक्तमाल कथा श्रवण करते श्रद्धालुजन कथा श्रवण करते बैंक अधिकारी कथा के दौरान आचार्य गौरांग जी महाराज इस मार्मिक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि कहीं फिर से तुलसीदास प्रभु दर्शन से न चूक जाएं। इसलिए पेड़ की एक डाल पर तोते का रूप धर कर हनुमान जी कथा श्रवण करते सेवानिवृत्त रोडवेज अधिकारी कहते हैं ‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’ यह दोहा सुनते ही गोस्वामी तुलसीदास का ज्ञानतंत्र जाग्रित हुआ। ध...

हर दिन डेढ सजा का लक्ष्य किया तय

हर दिन सुनाई गई डेढ़ सजा - पुलिस के साथ अभियोजन ने 716 आरोपियों को सुनाई सजा - पूरे साल में 556 मामलों में सुनाई गई सजा - बकौल एसपी चिरंजीव नाथ सिंहा, आगे और बहतर करने का होगा प्रयाश हाथरस। पुलिस ने अभियोजन के साथ मिलकर 360 दिन में 556 सजाओं के माध्यम से 716आरोपियों को अभियुक्त सिद्ध कर के जेल का रास्ता दिखाया है। अगर यह कहा जाए कि हर दिन पुलिस और अभियोजन ने मिल कर डेढ़ सजा का आंकड़ा तय किया है तो गलत नहीं होगा क्योंकि साल में 360 दिन होते हैं और सजा 556 सुनाई गई है।इससे सीधा-सीधा आंकड़ा निकलता है एक दिन में डेढ़ सजा का मापदंड तप किया गया है।हालांकि यह आंकड़ा इतना अच्छा भी नहीं है, मगर आने वाले दिनों में इसको और सुधारा जा सकता है। बीते समय से सबक लेने की आवश्यकता है कि कहां पर चूक हुई है।क्योंकि कहीं ना कहीं पुलिस गवाहों के होस्टाइल होने के कारण ही आरोपी कोअभियुक्त सिद्ध नहीं कर पाती और वह सजा से वंचित रह जाते हैं ।इसलिए यह कहना फक्र की बात है कि पुलिस ने मेहनत करते हुए हर दिन एक से ज्यादा सजा का लक्ष्य तय किया है इधर, अभियोजन ने भी रात दिन एक करते हुए अपने कार्य को अंजाम द...

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी -बाहरी प्रत्याशियों का दंश झेलता आ रहा है हाथरस -1984 तक कांगे्रस पर महरवान रही हाथरस की तनजा तो 1991 से भाजपा के प्रत्याशी को ही चुन कर संसद भेज रही जनता  संजय दीक्षित हाथरस। ‘‘अरे हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी, मुझ पल पल है तड़फाये एक दिना......’’ फिल्म ‘‘रोटी कपड़ा और मकान’’ के गाने के यह बोल लोकसभा हाथरस पर भी सटीक बैठते हैं। क्योंकि क्षेत्र की समस्या व लोगों की पीड़ा के निराकरण को अब तक हुए लोकतंत्र के 17 समरों को प्रतिनिधित्व 17 में 12 वार वाहरी लोगों को सौंपा गया है। मजे की बात तो यह है कि यह 18 लोकतंत्र के इस यज्ञ में 18 वीं वार भी आहूतियां देने के लिए लोकल प्रत्याशियों का पूर्णतः अभाव दिखाई दे रहा है। हाथरस के प्रथम सांसद नरदेव स्नातक को दुर्लभ चित्र यह हाथरस की पीड़ा ही कही जा जा सकती है कि लोकसभा के लिए यहां के मतदाताओं को अब तक 17 वार हुए मतदान में 12 वार वाहरी प्रत्याशियों को सांसद बनाकर लोकसभा भेजा है। लोगों के बोलों से निकली बातों पर जाएं तो यह सबसे बड़ी पीड़ा है कि हर विधानसभा और लोकसभा का एक अलग-अलग भौगो...