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साइबर क्राइम, नादानी हो सकती है खतरनाक, जागरूकता जरूरी

*साइबर अपराध क्या है ? कैसे बचे हम साइबर अपराध से* 

*साइबर अपराध है काफी घातक,  साइबर क्रिमिनल ऑनलाइन बैठ कर आपके बैंक डिटेल और प्राइवेसी को बनाता है निशाना*
*इसके बचाव में पुलिस ने शुरू किया ''साइबर कवक'' आइये समझते हैं*
ब्रज द्वार हाथरस। साइबर क्राइम पर कंट्रोल का प्रथम माध्यम है सुरक्षा और सुरक्षा का प्रथम चरण है जागरूकता। इस जागरूकता के लिए   एसपी विनीत जयसवाल खुद निकाल पड़े हैं।
        19 जनवरी 2021 सोमवार को  पुलिस अधीक्षक हाथरस श्री विनीत जायसवाल ने सादाबाद के गांव मंस्या स्थित  इंग्लिश मीडियम प्राइमरी माॅडल स्कूल में पहुँच पुलिस के ऑपरेशन “साइबर कवच” यानी प्राइमरी अभियान के संबंध में जानकारी दी। इस मौके पर सुश्री रुचि गुप्ता (क्षेत्राधिकारी नगर) प्रभारी निरीक्षक सादाबाद, साइबर सेल प्रभारी के अलावा सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण भी मौजूद थे। 

        एसपी श्री जयसवाल ने बताया कि साइबर अपराध और अपराधी समाज के लिए लिए दोनों ही घातक हैं। इसका बचाव में सबसे प्रथम है सावधानी और सावधान रहने के लिए जगरूकता बहुत आवश्यक है। इस जागरूकता के लिए ही पुलिस एक प्राइमरी जागरूक अभियान चला रही है इसका नाम ही '' साइबर कवच '' है। एसपी श्री जयसवाल ने बताया कि तकनीकी के विकास के चलते अपराधी भी अपराध करने के नये-नये तरीके इजाद कर रहे हैं । आजकल प्रत्येक व्यक्ति मोबाइल व इंटरनेट बैकिंग का प्रयोग कर रहा है। हम इंटरनेट का प्रयोग तो करते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में कई लोग साइबर अपराध का शिकार हो जाते हैं। जागरूकता के लिए ही जनपद हाथरस में सभी को साइबर अपराध से बचाव और इससे निपटने के लिये बरती जाने वाली सावधानियां के प्रचार-प्रसार के लिए ही ऑपरेशन " साइबर कवच" अभियान की शुरूआत की गई है। उन्होंने ने ग्रामीणों व आमजन को इंटरनेट के सुरक्षित प्रयोग के संबंध में बताते हुए कहा कि एटीएम बूथ में एटीएम कार्ड का सुरक्षित तरीके से प्रयोग करें। जब भी आप एटीएम बूथ के अंदर ट्रांसजेक्सन (पैसा निकालना और जमा करना) करें तो वहां पर कोई और  व्यक्ति उपस्थित न हो ट्रांसजेक्सन करते समय एटीएम पिन को छुपाकर अंकित करें। एटीएम स्वयं इस्तेमाल करें। किसी अन्य पर विश्वास कर उसे न दे। बैंक के नाम पर टेलीफोन कॉल पर एटीएम/बैंक अकाउंट्स संबंधी कोई जानकारी जैसे OTP, CVV नंबर आदि कभी भी किसी को न बतायें। साथ ही इंश्यूरेंस कम्पनी, नौकरी.कॉम के नाम से कॉल किये जाने पर बिना वैरीफाई (सही जानकारी) किये कोई (डिटेल) तथ्य न दे। इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे व्हाट्सअप, ट्वीटर, फेसबुक व इंस्टाग्राम पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक न करें। क्योकि कोई भी व्यक्ति आसानी से आपकी जानकारी का इस्तेमाल कर दुरूपयोग (गलत लाभ) कर सकता है। सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर अपने परिचित व्यक्तियों को ही जोड़ें। अपनी निजी (व्यक्तिगत) जानकारियों को साझा करने से पूर्व प्राईवेसी ऑप्शन जरूर इस्तेमाल करें। फर्जी लॉटरी लगने का कॉल करने वालों को कभी अपनी बैंक की डिटेल शेयर न करें। क्योंकि  टावर लगाने के नाम पर भी लोगों से ठगी की कर ली जाती है। इससे बचने हेतु किसी अज्ञात बैंक खाता में पैसा जमा न करें। कोई कम्पनी कम लागत में अधिक पैसे कमाने का लालच देती है तो सावधान रहिये। ऐसी कंपनी फर्जी होती है। जो आपका पैसा लेकर कंपनी को बंद कर भाग जाते है। ठगों द्वारा फर्जी ऑफिस खोलकर, कम ब्याज दर पर अधिक लोन, बिना किसी कागज के आसानी से लोन दिलवाने हेतु फर्जी विज्ञापन प्रसारित किया जाता है और प्रोसेसिंग फीस के रुप में एकाउंट में रुपये जमा करा कर फरार हो जाते है। यहां पर मोबाइल व सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स के सुरक्षित प्रयोग के बारे में भी बताया गया। छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर इंटरनेट प्रयोग किये जाने पर साइबर अपराध के शिकार होने से बचा जा सकता है। ई-मेल के जरिए आये लिंक को खोलने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि यह सुरक्षित है या नहीं। साइबर अपराधी अक्सर लिंक साझा कर आपकी वित्तीय जानकारी प्राप्त कर ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार बना लेते है। इसके साथ ही ई-लिटरेसी और डिजिटलाईजेशन के निरन्तर बढ़ते चलन के बारे में विस्तार से बताते हुये कहा कि टेक्नोलॉजी के फायदे और नुकसान दोनो है। अतः महत्वपूर्ण है कि इसके प्रयोग किये जाते समय सावधानी रखी जाये और इसके प्रयोग के लिये “जानकारी ही बचाव” का महा मंत्र बताया। किसी भी ऐप को मोबाईल फोन में इन्सटॉल करते समय टर्म और कंडीशन का भली-भांति अवलोकन कर ले। क्योंकि ऐप इन्सटोलेशन के वक्त ऐप द्वारा आपका निजी डेटा प्रयोग किया जाता है, 

जो साइबर स्पेस मे चला जाता है, जिसका साइबर अपराधी द्वारा दुरूपयोग किया जा सकता है । उदाहरण के तौर पर जब आप True caller ऐप का इस्तेमाल करते है तो यह ऐप आपकी फोन डायरेक्टरी को इस्तेमाल करती है। जिससे आपके फोन के मोबाईल नंबर साइबर स्पेस में उपलब्ध हो जाते है। उन्होंने बताया कि अक्सर आपके ई-मेल पर वित्तीय संस्थाओं के नाम से मिला जुला नाम का फर्जी लिंक बनाकर मेल किया जाता है, आपको के-वाईसी डिटेल पूर्ण करने के लिये कहा जाता, जिससे आपकी वित्तीय जानकारी साइबर अपराधी जानकर आपको ऑनलाईन फ्रॉड का शिकार बना लेते है। किसी भी लिंक को खोलने से पूर्व उसकी विश्वसनीयता का सत्यापन अवश्य कर ले।

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