Skip to main content

डवलपमेंट का नया अध्याय श्री हरि अनंत रेजीडेंसी

डवलपमेंट के क्षेत्र में एक नया अध्याय होगी श्री हरि अनंत रेजीडेंसी
ब्रजद्वार हाथरस। जिले में डेवलपमेंट के क्षेत्र में 30 जनवरी 2021 शनिवार को एक और नया अध्याय श्री हरि अनंत रेजिडेंसी के रूप में जुड़ गया। यहां पर सनातन संस्कृति के तहत पूजन-अर्चन के साथ इस रेजीडेंसी का शुभारंभ हुआ। विकास और विश्वस के क्षेत्र का परिणाम था कि पहले ही दिन कई डुप्लेक्स (दुमंजिला) व सिंगल स्टोरी मकानों की बुकिंग हुई।
        जितना कि पता है, बताय चलते हैं कि सासनी में प्रवेश करने पूर्व ही टेलीफोन एक्सचेंज व दमकल मुख्य कार्यालय से सटी न्यूआरंभ काॅलोनी का शनिवार 30 जनवरी 2021 को शोध मुहूर्त के सनातन परंपरागत विद्वानों के मुखारविंद से मंत्रोच्चारण के साथ शुभारंभ हो गया। इस डवलपमेंट की आधारशिला रखने वाले जानेमाने समाजसेवी हेमंत सेंगर व मानवेंद्र सिंह आदि ने बाताया कि हमारा उद्देश्य विकास परख योजना के साथ-साथ अच्छे जीवनस्तर को लोगों तक पहुंचाना है। हम बड़े-बड़े शहरों की अपेक्षा छोटे क्षेत्रों को भी विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के काम में विश्वास रखते हैं।
        इस न्यूविकसित श्री हरी अनंत रेजीडेंसी को उच्च विकसित परिमाप से जोड़ना ही हमारा कार्य रहेगा। जिस में खासतौर से गेट बंद काॅलोनी के अलावा सुरक्षा की दृष्टि से पुख़्ता इंतजाम होगे। चप्पे-चप्पे पर सीसी टीवी के अलावा गार्ड और गनरों की व्यवस्था की पहल की जायेगी। आधुनिक सुसज्जा और डिजाइनिंग का भी वेजोड संमागम का प्रयास रहेगा। शुद्ध मीठे पानी, विद्युत सप्लाई  के अलावा बच्चों को खेलने के लिये पार्क होगे तो वहनों के लिये भी उचित पार्किंग की व्यवस्था होगी। इंडोर गेम्स, क्लब हाउस के अलावा सुंदर व पर्याप्त चौड़ी सड़कों की भी रेजीडेंसी में व्यवस्था रखी गई है।

            पूजन के बाद शुभारंभ के मौके पर पूर्व संसद, हाथरस राजेश दिवाकर, अपर जिला शासकीय अधिवक्ता अधिवक्ता टर्मेश सिंह, पूर्व उप संपादक अमर उजाला भूवेंद्र सेंगर, ईटीवी पोर्टल से अतुल नरायन कुलश्रेष्ठ, ब्यूरोचीफ हिन्दुस्तान रतन गुप्ता के अलावा दर्जनों की संख्या में प्रतिष्ठित व गणमान्य लोगों उपस्थित थे।

Comments

Popular posts from this blog

‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’

हनुमान जी की कृपा से गुसांई बाबा को चित्रकूट के घाट पर प्रभु के दर्शन होते हैंःगौरांग जी महाराज UP Hathras11 जून, 18। चित्रकूट का घट है और गोस्वामी बाबा पथर की एक सिला पर चंदन घिर रहे हैं। कथा प्रवचन करते व्यासपीठ गौरांग जी महाराज इंतजार कर रहे हैं कि कब उनके स्वामी आएंगे और मिलन होगा। अचानक वहां पर दो सुकुमार आते हैं और तुलसीदास से चंदन की मांग करते हैं, लेकिन प्रभु मिलन की आस में वह दोनों ही सुकुमारों से चंदन की मना करते हैं। महावीर जो देख रहे थे पहचान गए कि अभी भी तुलसीदास स्वामी को नहीं पहचान रहे। श्री रामदबार मंदिर में चल रही भक्तमाल कथा श्रवण करते श्रद्धालुजन कथा श्रवण करते बैंक अधिकारी कथा के दौरान आचार्य गौरांग जी महाराज इस मार्मिक प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि कहीं फिर से तुलसीदास प्रभु दर्शन से न चूक जाएं। इसलिए पेड़ की एक डाल पर तोते का रूप धर कर हनुमान जी कथा श्रवण करते सेवानिवृत्त रोडवेज अधिकारी कहते हैं ‘‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। तुलसीदास चंदन घिसत और तिलक लैत रघुवीर।।’’ यह दोहा सुनते ही गोस्वामी तुलसीदास का ज्ञानतंत्र जाग्रित हुआ। ध...

हर दिन डेढ सजा का लक्ष्य किया तय

हर दिन सुनाई गई डेढ़ सजा - पुलिस के साथ अभियोजन ने 716 आरोपियों को सुनाई सजा - पूरे साल में 556 मामलों में सुनाई गई सजा - बकौल एसपी चिरंजीव नाथ सिंहा, आगे और बहतर करने का होगा प्रयाश हाथरस। पुलिस ने अभियोजन के साथ मिलकर 360 दिन में 556 सजाओं के माध्यम से 716आरोपियों को अभियुक्त सिद्ध कर के जेल का रास्ता दिखाया है। अगर यह कहा जाए कि हर दिन पुलिस और अभियोजन ने मिल कर डेढ़ सजा का आंकड़ा तय किया है तो गलत नहीं होगा क्योंकि साल में 360 दिन होते हैं और सजा 556 सुनाई गई है।इससे सीधा-सीधा आंकड़ा निकलता है एक दिन में डेढ़ सजा का मापदंड तप किया गया है।हालांकि यह आंकड़ा इतना अच्छा भी नहीं है, मगर आने वाले दिनों में इसको और सुधारा जा सकता है। बीते समय से सबक लेने की आवश्यकता है कि कहां पर चूक हुई है।क्योंकि कहीं ना कहीं पुलिस गवाहों के होस्टाइल होने के कारण ही आरोपी कोअभियुक्त सिद्ध नहीं कर पाती और वह सजा से वंचित रह जाते हैं ।इसलिए यह कहना फक्र की बात है कि पुलिस ने मेहनत करते हुए हर दिन एक से ज्यादा सजा का लक्ष्य तय किया है इधर, अभियोजन ने भी रात दिन एक करते हुए अपने कार्य को अंजाम द...

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी -बाहरी प्रत्याशियों का दंश झेलता आ रहा है हाथरस -1984 तक कांगे्रस पर महरवान रही हाथरस की तनजा तो 1991 से भाजपा के प्रत्याशी को ही चुन कर संसद भेज रही जनता  संजय दीक्षित हाथरस। ‘‘अरे हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी, मुझ पल पल है तड़फाये एक दिना......’’ फिल्म ‘‘रोटी कपड़ा और मकान’’ के गाने के यह बोल लोकसभा हाथरस पर भी सटीक बैठते हैं। क्योंकि क्षेत्र की समस्या व लोगों की पीड़ा के निराकरण को अब तक हुए लोकतंत्र के 17 समरों को प्रतिनिधित्व 17 में 12 वार वाहरी लोगों को सौंपा गया है। मजे की बात तो यह है कि यह 18 लोकतंत्र के इस यज्ञ में 18 वीं वार भी आहूतियां देने के लिए लोकल प्रत्याशियों का पूर्णतः अभाव दिखाई दे रहा है। हाथरस के प्रथम सांसद नरदेव स्नातक को दुर्लभ चित्र यह हाथरस की पीड़ा ही कही जा जा सकती है कि लोकसभा के लिए यहां के मतदाताओं को अब तक 17 वार हुए मतदान में 12 वार वाहरी प्रत्याशियों को सांसद बनाकर लोकसभा भेजा है। लोगों के बोलों से निकली बातों पर जाएं तो यह सबसे बड़ी पीड़ा है कि हर विधानसभा और लोकसभा का एक अलग-अलग भौगो...