3.75 पैसे में रखा था कुलभूषण की यात्रा आधार, 42 वें पढ़ाव का जिम्मा फिर से पहले अध्यक्ष पर -राजनीतिक अखाड़ा बनती जा रही है शोभायात्रा -पिछले दो बार से तो कुछ ज्यादा ही हद हो रही है -इस बार तो बच गई विप्रों की लाज अन्यथा साबित तो वामन, श्वान और गजराज वाली कहावत सिद्ध हो जाती संजय दीक्षित हाथरस का विश्वप्रसिद्ध महाकाली प्रदर्शन हाथरस। ब्रज की द्वार देहरी पर निकलने वाली विप्रकुल भूषण भगवान श्री परशुरामजी महाराज की प्रथम शोभायात्रा मात्र 3.75 रुपये में रख गई थी आधारशिला और मात्र दो हजार हो गया था पूरा मला संपन्न। जिसका प्रमुख आकर्षण मां के नौ रूपों में निकाला गया महाकाली प्रदर्शन रहा था। जो हमेशा यादगार रहेगा। इस शोभायात्रा ने जो इतिहास गढ़ा था उससे क्षेत्र में एक पुरानी कहावत जो वामन, श्वान और गजराज को लेकर कही जाती है, को भी झुठला कर दिया था, लेकिन दुखद यह है कि इसको भी राजनीतिक रोटियां सेकने वालों ने नहीं छोड़ा और राजनीति का अखाड़ा बना पूरे समाज को बांटने का कार्य किया। मजबूरन पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। बात हम 1977 की कर रहे हैं। जब हाथरस जनपद अलीगढ़ का एक...