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Showing posts from March, 2019

3.75 पैसे में रखा था कुलभूषण की यात्रा आधार, 42 वें पढ़ाव का जिम्मा फिर से पहले अध्यक्ष पर

3.75 पैसे में रखा था कुलभूषण की यात्रा आधार, 42 वें पढ़ाव का जिम्मा फिर से पहले अध्यक्ष पर -राजनीतिक अखाड़ा बनती जा रही है शोभायात्रा -पिछले दो बार से तो कुछ ज्यादा ही हद हो रही है -इस बार तो बच गई विप्रों की लाज अन्यथा साबित तो वामन, श्वान और गजराज वाली कहावत सिद्ध हो जाती संजय दीक्षित हाथरस का विश्वप्रसिद्ध महाकाली प्रदर्शन हाथरस। ब्रज की द्वार देहरी पर निकलने वाली विप्रकुल भूषण भगवान श्री परशुरामजी महाराज की प्रथम शोभायात्रा मात्र 3.75 रुपये में रख गई थी आधारशिला और मात्र दो हजार हो गया था पूरा मला संपन्न। जिसका प्रमुख आकर्षण मां के नौ रूपों में निकाला गया महाकाली प्रदर्शन रहा था। जो हमेशा यादगार रहेगा। इस शोभायात्रा ने जो इतिहास गढ़ा था उससे क्षेत्र में एक पुरानी कहावत जो वामन, श्वान और गजराज को लेकर कही जाती है, को भी झुठला कर दिया था, लेकिन दुखद यह है कि इसको भी राजनीतिक रोटियां सेकने वालों ने नहीं छोड़ा और राजनीति का अखाड़ा बना पूरे समाज को बांटने का कार्य किया। मजबूरन पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। बात हम 1977 की कर रहे हैं। जब हाथरस जनपद अलीगढ़ का एक...

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी

हाथरस की यह मजबूरी सिर्फ 35 किमी की दूरी -बाहरी प्रत्याशियों का दंश झेलता आ रहा है हाथरस -1984 तक कांगे्रस पर महरवान रही हाथरस की तनजा तो 1991 से भाजपा के प्रत्याशी को ही चुन कर संसद भेज रही जनता  संजय दीक्षित हाथरस। ‘‘अरे हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी, मुझ पल पल है तड़फाये एक दिना......’’ फिल्म ‘‘रोटी कपड़ा और मकान’’ के गाने के यह बोल लोकसभा हाथरस पर भी सटीक बैठते हैं। क्योंकि क्षेत्र की समस्या व लोगों की पीड़ा के निराकरण को अब तक हुए लोकतंत्र के 17 समरों को प्रतिनिधित्व 17 में 12 वार वाहरी लोगों को सौंपा गया है। मजे की बात तो यह है कि यह 18 लोकतंत्र के इस यज्ञ में 18 वीं वार भी आहूतियां देने के लिए लोकल प्रत्याशियों का पूर्णतः अभाव दिखाई दे रहा है। हाथरस के प्रथम सांसद नरदेव स्नातक को दुर्लभ चित्र यह हाथरस की पीड़ा ही कही जा जा सकती है कि लोकसभा के लिए यहां के मतदाताओं को अब तक 17 वार हुए मतदान में 12 वार वाहरी प्रत्याशियों को सांसद बनाकर लोकसभा भेजा है। लोगों के बोलों से निकली बातों पर जाएं तो यह सबसे बड़ी पीड़ा है कि हर विधानसभा और लोकसभा का एक अलग-अलग भौगो...

18 अप्रैल को 18 वीं वार वोट डालेंगे हाथरस के मतदाता

यह संयोग ही है कि 18 अप्रैल को हाथरस के मतदाता लोस के लिए 18 वीं वार वोट करने वाले हैं -विशेष मांगः सांसद द्वारा तालाब ओवरब्रिज रही विशेष उपलब्ध संजय दीक्षित Rajesh Diwakar M.P. हाथरस। हाथरस सुरक्षित संसदीय क्षेत्र का चुनावी इतिहास का अगर आंकड़ा उठाकर देखें तो बड़ा ही रोचक और कड़ुवा रहा है। रोचक इसलिए कि आजादी के बाद जिसको को भी चाहा भरपल्ला दिया यानि चाहें कांगे्रस रही हों या फिर भाजपा जमकर जीतें दीं, लेकिन कड़वा इसलिए कि हाथरस लगाकर वाहरी प्रत्याशियों को झेलता रहा और उसके दर्द को कोई नहीं समझ सका। मसलन उद्योग धंधे का विकास, युवाओं को रोजगार और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के लिए सत्ताएं हाथरस को ठेंगा दिखाती रहीं। मिली चुनावी आंकड़ों की जानकारी का अगर परीक्षण करें तो हाथरस में 18 अपै्रल को 18 वें लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। हाथरस (सुरक्षित) संसदीय सीट के इतिहास पर अगर नजर डालें तो हाथरस की जनता ने अब तक कांग्रेस, भाजपा और इन दोनों के विरोधी दलों को मौका दिया। वर्ष 1984 तक यहां कांग्रेस और उसके विरोधी दलों में टक्कर होती रही। देश के पहले दो लोकसभा चुनाव यानि वर्ष...

ड्रैगन (चीन) को फिर पछाड़ा हाथरस ने, गुलाल की बंपर सेल

विश्व में 72 प्रतिशत हाथरस के गुलाल से खेली जाती है होली -फिर भी कंपटीशन में लाभांश हुआ कम, सरकार की मदद से हो सकता है गुलाल उद्योग को लाभ -फिल्मी मुंबई नगरिया में पूरे वर्ष भर लगता है हाथरस का गुलाल -तरफरार के चिरंजीलाल ने बनाया था 150 वर्ष पूर्व हाथरस में गुलाल संजय दीक्षित विश्वप्रसिद्ध बरसाना मंदिर से हाथरस के गुलाल को भक्तों पर उड़ेलते श्रद्धालु हाथरस। ‘‘होली के दिन खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं’’ इस गाने के बोलों से तो आप समझ ही गए होंगे कि यह किस ‘फल्मा’ है। इस गाने पर जो गुलाल और अबीर बिखेरा गया था वह भी हाथरस का ही था। जी हां फिल्म शोले को बने एक अरसा बीत गया, लेकिन आज भी जब-जब यह गाना साउंडों पर होता है या फिर इसकी वीडियो चलती दिखाई देती है तो निश्चित तौर पर होली के साथ हाथरस की याद आ ही जाती है, लेकिन यह अफसोस की बात है कि दुनिया को रंगबिरंगा करने वाला शहर ही बेरंग है। वही पुराना ढर्रा और जूझझते रंगकारोबारियों को सरकार की तरफ से कोई सहयोग और सरोकार नहीं रखा गया है। उसमें भी असली पर हाबी नकली और इस उद्योग के लिए घातक साबित हो रहा है। अपने 150 व...

दिनदहाड़े लूटी शिक्षका, पब्लिक ने दबोचा बदमाश, पुलिस बोली मजबूरी नहीं लिखेंगे मुकदमा

दिनदहाड़े लूटी शिक्षका, पब्लिक ने दबोचा बदमाश, पुलिस बोली मजबूरी नहीं लिखेंगे मुकदमा -जाने क्या है कहानी और क्यों हुई पुलिस मजबूर पकड़े युवक को बुरी तरह पीटते पब्लिक के कुछ युवक हाथरस। पब्लिक ने खुले आम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए एक चोर की सरेराह धुनाई की। हालांकि पीटने वाले ने तो काम ही पिटाई के किए थे, लेकिन काम था पुलिस का और काम कर रही थी पब्लिक। यह कोई कहानी नहीं है, हकीकत है। मजे की बात तो यह रही कि जिस शिक्षिका का मोबाइल लूट कर भाग था बदमाश उसकी कार्रवाई करने से ही मना कर दिया। रेवले पुलिस बोली ‘‘भली भई मेरी मटकी फूटी, दधि वेचन से छूटी’’ मतलब पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की और मामला हो गया आया गया। क्या है मामलाः- घटना मोबाइल लूट कर भाग रहे बदमाश से जुड़ी है। मोबाइल लूट कर भाग रहे चोर को तो पब्लिक ने रंगे हाथ नकाव में पीड़ित शिक्षका अपने मोबाइल के साथ पकड़ कर गुडवर्क किया, लेकिन साथ में कानून की धज्जियां भी जमकर उड़ाई। क्योंकि चोर को पब्लिक ने सरे राह पीट। मजे की बात तो यह रही कि जब आरोपी को रेवले पुलिस को सौंपा गया तो, पुलिस ने उसे छोड़ दिया। पुलिस का कहना रहा क...

किले के सौंदर्य को लूटते रहे अतिक्रमणकारी और चिढ़ाते हैं वायदेखोर

किले के सौंदर्य को लूटते रहे अतिक्रमणकारी और चिढ़ाते हैं वायदेखोर -करोड़ों खर्च हुए वाउंड्री पर फिर भी असुरक्षित किला राजा दयाराम संजय दीक्षित हाथरस। ‘‘चुनावी वायदे हुए धूमिल’’ के तहत अगर हम हाथरस के इतिहास की बात करें तो ऐतिहासिक धरोहर और यहां की प्राचीन पहचान में अगर कहीं अग्रणी आता है तो वह है किला राजा दयाराम स्थित मंदिर श्रीदाऊजी महाराज। इतिहास के पन्ने खंगालने 202 वर्ष पुराने इतिहासिक अवशेष मिलते हैं। क्योंकि सौंदर्यीकरण के लित तरसरहा ऐतिहासिक किला क्षेत्र आज भी वैसा है जैसा आजादी के वक्त था अगर मिला है तो सिर्फ चुनावी वायदे। बाउंड्री की आधारशिला रखते वक्त 2006 का फाइल चित्र किला क्षेत्र में सौंदर्यीयकरण का यह रहा है इतिहासः- ऐतिहासिक किला राजा दयाराम का इतिहास को बहुत पुराना है। ऐतिहासिक अध्ययन से पता चलता है कि यहां पर कुषाण, मौर्य, गुप्त व राजपूत राजवंशों ने समय-समय पर शासन केंद्र बनाया। सन् 1710 के करीब जाट राजा भोज सिंह ने राजपूताना प्रभुत्व खत्म करते हुए मुरसान के बाद हाथरस पर अपना अधिपत्य किया और फिर से हाथरस किले का भव्य निर्माण करा अपनी राजधानी बनाया। ...

वर्दी के वीर की पहल लाई रंग मां की गोद में लौटी भावना

वर्दी के वीर की पहल लाई रंग मां की गोद में लौटी भावना  लापता हुई मासूम भावना मिलने के बाद अपने पिता की गोद में हाथरस। वर्दी के वीर की बारीक सोच ने मां की ममता को फिर से गोद में गोंद सा सकून दे दिया। घटना को आप भले की एक मामूली समझ सकते हैं, लेकिन इसकी गहराई में जाने से यह पता चलता है कि जब मां की गोद से उसकी मासूम चली जाय तो उस मां का क्या दर्द होता है। आप समझें या न समझें, लेकिन इसको विश्वेश्वर ने समझा और उस दुखियारी मां को फिर से ममता लौटाई। घटना का वक्त देर रात तकरीबन दो बजे का है और स्थान था हाथरस जंक्शन रेलवे स्टेशन का प्रतीक्षालय था। घटना थी एक मासूम बच्ची का आचानक प्रतीक्षालय से गायब हो जाना। बस अब आपको पूरी कहानी का सार समझ में आ गया होगा। घटना का आरंभ मां के विलापों से होता है। जैसे ही धर्मपाल की पत्नी जब चीखती है कि बेटी भावना कहां है। यहां यह बता देना आवश्यक है कि धर्मपाल यहीं हाथरस जंक्शन के गांव दरियापुर का रहने वाला है और परिवार पालने के लिए वह रोजगार चंडीगढ़ में करता है। बताते हैं, वह सोमवार की देर रात हाथरस जंक्शन रेलवे स्टेशन पर ऊंचाहार एक्सप्रेस से उतरा...

18 को 18 लाख मतदाताओं की सुरक्षा में 32 सौ होमगार्ड भी

18 को 18 लाख मतदाताओं की सुरक्षा में 32 सौ होमगार्ड भी -जिला प्रशासन के व्यवस्थाएं दुरुसत हैं, मतदान को शांतिपूर्ण ढंग से कराया जाएगा संजय दीक्षित हाथरस। लोकसभा चुनाव के लिए हाथरस लोस क्षेत्र में दूसरे चरण यानि 18 अपै्रल को मतदान होना है। लोस क्षेत्र में कुल 18, 31, 216 मतदाओं द्वारा मतदान किया जाना है। लोस क्षेत्र के पांच विधानसभाओं में होने वाले मतदान के लिए  1437 मतदान केंद्र व 2195 मतदेय स्थल की व्यवस्था की गई है। जबकि इस चुनाव की सुरक्षा बागडोर 2600 आरक्षियों व 3200 होमगार्डों पर होगी। इसके अलावा निगरानी आदि के लिए एसचओ, एसओ के अलावा मजिस्ट्रेटों की व्यवस्था भी की गई है। डीएम प्रवीण कुमार लक्षयकार व एसपी सिद्धार्थशंकर मीणा विदित हो कि लोस चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखें नियत करते हुए आचार संहिता की घोषणा कर चुनाव का विगुल पहले ही फूंक दिया है। जबकि हाथरस लोकसभा क्षेत्र में द्वितीय चरण में अलीगढ़, मथुरा, आगरा, फतेहपुर सीकरी, हमरोहा, नगीना आदि स्थानों के साथ हाथरस में मतदान यानि 18 अपै्रल गुरुवार को होना हैं। इसके लिए जिला निर्वाचन/जिला प्रशासन ने अप...

छह घंटे ही मिला किसान को ‘‘पीएम सम्मान सुख’’

छह घंटे ही मिला किसान को ‘‘पीएम सम्मान सुख’’ किसान हरवीर सिंह  हाथरस। एक किसान को महत छह घंटे का ‘‘पीएम किसान सम्मान’’ सुख ही प्राप्त हो सका। मसलन शासन की ओर से धनराशि भी उसके खाते में आई और फिर बापस हो गई। हालांकि इसके पीछे कारण क्या रहे इसकी जानकारी संबंधित विभाग के अधिकारियों सहित बैंक प्रबंधन भी नहीं दे पा रहा हैं। पासबुक  मामला उत्तर प्रदेश से जिला हाथरस के थाना सिकंदराराऊ क्षेत्र के गांव नगला सकत का है। बताते हैं, कि कुछ चुनिंदा किसानों को सरकार की ओर से ‘‘पीएम किसान सम्मन’’ योजना का लाभ प्रदान कराया जा रहा है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि इसके लिए सरकार ने प्रदेश के 47349 किसान लाभार्थियों को चुना गया था। इस चुने गए लाभार्थियों में एक नाम सिकंदराराऊ के गांव नगला सकत निवासी हरवीर सिं का भी था। यह ही नहीं नाम के मुताबिक किसान के खाते में योजना के तहत दो हजार रुपये भी आए। और तो और छह घंटे उसके खाते में ही रहे, लेकिन उसके बाद पुनः यह पीएम किसान सम्मान धनराशि उसके खाते से गायब हो गई। जब यह जानकारी किसान को हुई तो उसने कृषि अधिकारी औ बैंक अधिकारियों के चक्क...

शब्दों से साहित्य को रच काव्य की कोकिला बनी मौनिका

महिला दिवस पर विशेष........................... शब्दों से साहित्य को रच काव्य की कोकिला बनी मौनिका -महिलाओं के उत्थन के लिए करती रहती हैं प्रयास, किडनेपरों के चंगुल से छुड़ाई थी एक छात्रा संजय दीक्षित सुरेंद्र शर्मा के साथ मोनिका दहलवी हरीओम पंवार के साथ मोनिका दहलवी हाथरस। कोयल सी आवाज, शब्दों का सटीक मिलान और कविता में छिपा वह संदेश मोनिका को पूरे देश में एक अलग पहचान दिलाता है। महिलाओं और उनकी जिंदगी से जुड़े तमाम पहलुओं पर वह अपने साहित्य में ऐसे ढालती हैं कि उनको बदले में हजरों की संख्या में सुन रहे लोगों से मिलती हैं उनको तालियां और वंसमोर की आवाजें। हम बात कर रहे हैं ब्रज की द्वार देहरी रस की नगरी (हाथरस) में जन्मी उस मात्रशक्ति की जिसने अपने जिंदगी में तमाम उतार-चढ़ाव के बाद भी देश में उन चुनिंदा साहित्यकारों में स्थान प्राप्त किया है संतोषानंद के साथ मोनिका दहलवी , जिन्हें आज पूरा भारत जानता है। देश के कौने-कौने में अपने काव्य पाठ से धूम मचा चुकी मोनिका दहलवी भले ही इन दिनों दिल्ली में अपना कर्मक्षेत्र बनाए हैं, लेकिन ब्रजद्वार की बालाओं व कन्याओं क...

वायुवीर अभिनंदन के साथ वघा बॉर्डर तक आने वाली महिला कौन थी ? जाने

वायुवीर अभिनंदन के साथ वघा बॉर्डर तक आने वाली महिला कौन थी ?  -हर किसी के अनुमानों के तीर चल रहे थे, लेकिन बाद में पता चला कि कौन थी वह पाकिस्तानी महिला India 03 March, 19। पाक से अपने वतन लौटे विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान शुक्रवार रात अपने वतन लौटे, लेकिन उनके साथ वाघा बॉडर तक आने वाली महिला आखिर कौन थी, सभी के दिमांगों में यह प्रश्न कौंध रहा था। तमाम सवालात भी लोगों के मनों में आ रहे थे, लेकिन काफी देर तक चली इस असमंजस की स्थिति का स्पष्टीकरण उस वक्त हुआ जब सूत्रों ने बताया कि वह एक पाकिस्तानी महिला थी और सरकारी सेवामें तैनात थी।      भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान शुक्रवार जिस वक्त रात वतन लौट रहे थे, पाकिस्तान के टीवी चैनलों ने विंग कमांडर अभिनंदन की एक तस्वीर दिखाई, जिसमें वह रात 9 बजकर 10 मिनट पर पाकिस्तान की ओर से वाघा चेकपोस्ट पर गहरे रंग का कोट और खाकी रंग की पैंट पहने हुए दिखे। हालांकि भारत में वायुवीर अभिनंदन वर्थमान की एक झलक पाने को बेताब थे। सबकी निगाहें वाघा-अटारी बॉर्डर पर टिकी थीं। अपने पराक्रमी योद्धा के इंतजार में...

हाथरस में 202 वर्ष पूर्व तबाही की तारीख बनी थी दो मार्च

दो मार्च पर विशेष ..................................... हाथरस में 202 वर्ष पूर्व तबाही की तारीख बनी थी दो मार्च -शरणार्थियों को शरण देने से चिढ़ गया था अंग्रेजी शासन -गद्दारी न होती तो हाथरस भी एक अलग रियासत के रूप में विलय होता भारत में संजय दीक्षित ऐतिहासिक किला स्थित मंदिर श्रीदाऊजी महाराज जिसकी प्राची पर दागे थे अंग्रेजों ने गोले हाथरस 02 March, 19। तख्त के ताज को तबाही की तारीख ने तमाम उम्मीदों पर उस वक्त विराम लगा दिया था जब एक गद्दार ने बारूद में आग लगा दी थी। गद्दार की गद्दारी से हाथरस का पूरा किला तो ध्वसत हो ही गया था। साथ ही गद्दार भी उसी बारूद की आग में जलकर सैकड़ों सेनिकों के साथ जल मरा था। ब्रज की द्वार देहरी आज भी 2 मार्च, 1817 की उस भयंकर तबाही की सोच कर कांप उठता है। प्रो. चिंतामणि शुक्ल की कलम से मिली तबाही की तारीख  ब्रज की द्वार देहरी (हाथरस) के लिए 02 मार्च किसी काले इतिहास से कम नहीं है। क्योंकि 02 मार्च, 1817 की शाम जब सूर्य अस्ताचलगामी होने जा रहे थे। हाथरस यह बारूद का वह गोला है जो सासनी से मंदिर श्रीदाऊजी महाराज दागा गया था शहीद क...